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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर 2022 में चुनाव जीतने की तैयारी में लगी बीजेपी

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर 2022 में चुनाव जीतकर सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी ने तैयारी कर लिया है. लंबे इंतजार के बाद बीजेपी जल्द से जल्द विधान परिषद और मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों पर विराम लगाएगी.

ये माना जा रहा है कि शीघ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संस्तुति पर अब विधान परिषद में चार नए सदस्य मनोनीत होंगे. मुख्यमंत्री जिन नामों पर संस्तुति करेंगे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल उनको मनोनीत करेंगी.

विधान परिषद में भाजपा को भले ही में बहुमत नहीं है, लेकिन इन चार सदस्यों की मदद से वह बहुमत के करीब आ जाएगी. उत्तर प्रदेश की 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 10 सदस्यों को मनोनीत करके भेजा जाता है.

प्रदेश सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल इन्हेंं मनोनीत करते हैं. वैसे तो मनोनीत क्षेत्र के सभी सदस्यों को साहित्य, कला, सहकारिता, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र से चुना जाना चाहिए, लेकिन पिछले कुछ वर्ष में राजनेताओं को ही मनोनीत करने का चलन शुरू हो गया है.

विधान परिषद में फिलहाल भाजपा के 32 सदस्य हैं. अब चार सदस्य बढ़ने के साथ सदन में इनकी संख्या 36 हो जाएगी. अखिलेश सरकार ने वर्ष 2015 में लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव, एसआरएस यादव और जितेंद्र यादव को परिषद का सदस्य बनाया था. एसआरएस यादव का 2020 में कोरोना वायरस संक्रमण से निधन हो गया था.

बीजेपी से कौन कौन हो सकते हैं सूची में शामिल. चर्चा इस बात की है कि बीजेपी अपने इन चारों नामों से जातीय समीकरण दुरुस्त रखेगी. कयास लगाया जा रहा है कि उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी बेबी रानी मौर्य का नाम दलित कोटे से हो सकता है.

वहीं जितिन प्रसाद को ब्राह्मण कोटे से सदस्य बनाया जा सकता है. निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद पिछड़े कोटे से हो सकते हैं. वहीं एक प्रत्याशी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जाट कोटे से हो सकता है.

वैसे चर्चा बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह और रामचंद्र प्रधान के नाम की भी है. चार नामों पर राज्यपाल द्वारा मुहर लगने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी.

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