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आखिर क्या है ग्रीन पटाखे? क्या इतने कम समय में डिमांड पूरी हो सकेगी?

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशभर में कुछ शर्तों के साथ दिवाली पर पटाखा बिक्री की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, केवल लाइसेंस धारक दुकानदार ही पटाखे बेच पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक रात आठ बजे से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिवाली या अन्य किसी त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. सवाल यही है कि ये ग्रीन पटाखे क्या हैं? कहां पर बनते हैं? क्या ग्रीन पटाखे पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होते हैं? एक और अहम सवाल कि क्या इतने कम समय में मांग के अनुरूप बाजार में ग्रीन पटाखों की आपूर्ति हो सकेगी. 

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के वैज्ञानिकों ने ऐसा फॉर्मूला तैयार करने का दावा किया है जिसे ग्रीन पटाखों की कैटिगरी में रखा जा सकता है. इन पटाखों का उत्सर्जन स्तर कम है और इनमें धूल को सोखने की क्षमता है. इन पटाखों में ऐसा फॉर्मूला है जिससे वॉटर पानी के अणु उत्पन्न होंगे और धूल-खतरनाक कणों को कम करने में मदद मिलेगी. 
 
विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री हर्ष वर्धन ने जनवरी में ग्रीन पटाखों का प्रस्तावि दिया था. बाद में इसे CSIR लैब के नेटवर्क द्वारा आगे बढ़ाया गया जिसमें सेंट्रल इलेक्ट्रो रिसर्च इंस्टीट्यूट (CECRI), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, नेशनल बॉटनीकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल केमिकल लेबोरेटरी शामिल थे. CSIR के निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि इस आइडिया में यह जानना शामिल था कि यदि हम पटाखा निर्माण से जुड़ी सामग्री से हानिकारक तत्व निकाल दें तो वह कम हानिकारक होगा. हमने 3-4 फॉर्मूले तैयार किए हैं, इससे 30-40% प्रदूषण कम हो सकता है. कुमार ने बताया कि ग्रीन पटाखों से जुड़े फॉर्मूले का तमिलनाडु के शिवाकाशी में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया जा चुका है. शिवाकासी पटाखा निर्माण का केंद्र है.  

उधर, पटाखा निर्माता संघ के महासचिव के. मरियप्पम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सकारात्मक है लेकिन उन्होंने कुछ प्रतिबंधों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा, “हम जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे. हमें कोर्ट को यह बताने की जरूरत है कि हम ‘ग्रीन क्रैकर्स’ जैसा पटाखा नहीं बना सकते. हम केमिकल को कम कर सकते हैं लेकिन इसमें समय लगेगा.” मरियप्पम ने कहा, शिवकासी में 6000 करोड़ की पटाखा फैक्ट्रियां थी जिसमें 8 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ था लेकिन अब यह इंडस्ट्री सिकुड़कर 4,000 करोड़ की रह गई है. 

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