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अमिताभ भी मुरीद हुए इसे बेमिसाल शख्स से, जिसने बदल दी हजारों बच्चों की जिंदगी

 कौन बनेगा करोड़पति (KBC) सीजन 10 के ‘कर्मवीर’ एपिसोड में नोएडा (UP) के प्रद्युत वोलेटी भी नजर आए। प्रोफेशनल बास्केटबॉल ट्रेनर प्रद्युत वोलेटी अब तक हजारों बच्चों की जिंदगी बदल चुके हैं। सेक्टर-93 स्थित एटीएस सोसायटी में रहने वाले प्रद्युत वोलेटी की यही ललक आज वटवृक्ष बन नोएडा का नाम देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी रोशन कर रही है। प्रद्युत गेझा गांव में डिबल एकेडमी फाउंडेशन चलाते हैं। 

वह शुक्रवार को कौन बनेगा करोड़पति में शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम केबीसी जूनियर कर्मवीर स्पेशल नाम से प्रसारित हुआ। इसमें प्रद्युत के साथ एकेडमी में बॉस्केटबॉल सीख रहे तीन खिलाड़ियों शिवानी, दिनेश और सचिन ने भी हिस्सा लिया। ये तीनों वंचित वर्ग से आते हैं, लेकिन उनकी मेहनत उन्हें आज बास्केटबॉल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रही है।

केबीसी में इन चारों की टीम ने 13 सवालों का सही जवाब देकर 25 लाख रुपए जीते। केबीसी में सफलता पाने वाले प्रद्युत ने कहा है कि वह इन रुपयों से वंचित वर्ग के बच्चों को नई राह दिखाएंगे। प्रद्युत पिछले 25 वर्षों से नोएडा में रह रहे हैं। वह मूलरूप से आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। उनके पिता गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में डॉक्टर हैं।

प्रद्युत ने बॉस्केटबॉल का प्रशिक्षण अमेरिका में लिया था। वह जब भारत वापस आए तो इलाके में रहने वाले गरीब बच्चों को देखा। इनमें से कई नशे के आदी हो चुके थे। इसके बाद उनके मन में विचार आया कि इन बच्चों को अगर खेल में व्यस्त कर दिया जाए तो ये कुछ कर सकते हैं।

वहीं, दिनेश और सचिन अमेरिका के फ्लोरिडा में हुए बॉस्केटबॉल के जूनियर एनबीए लीग में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। शिवानी ग्रेटर नोएडा में हुए जूनियर एनबीए नेशनल चैंपियनशिप में दिल्ली डिवीजन की कप्तान रह चुकी हैं। इन लोगों का कहना है कि इस खेल की वजह से ही उनकी पहचान बन रही है।

गेझा के बाद जुड़े हाजीपुर व शाहपुर में इस एकेडमी की शुरुआत चार वर्ष पहले हुई थी। यहां के बच्चे भी इस मुहिम से जुड़ चुके हैं। एकेडमी का मकसद गरीब तबके से आने वाले बच्चों को नशे इत्यादि से बचाकर सही राह दिखाना है। इसमें लगभग 1100 बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनमें आधी लड़कियां हैं। इन बच्चों को प्रद्युत के अलावा तुषार पिसाल, भुवनेश पिसाल और सचिन बंसल ट्रे¨नग देते हैं। इसके अलावा विदेशों से अभी तक सात वालेंटियर यहां आकर बच्चों को सिखा चुके हैं।

अनुशासन और टीम वर्क की भावना सीखते हैं बच्चे
प्रद्युत का कहना है कि यहां आने वाले बच्चे अनुशासन, टीम वर्क और भेदभाव न करना सीखते हैं। पढ़ाई के साथ ही खिलाड़ियों का यहां अन्य क्षेत्रों में भी विकास करने पर ध्यान दिया जाता है। इससे बच्चों के माता-पिता भी काफी खुश हैं।

हर साल 15-20 लाख रुपयों का आता है खर्च
प्रद्युत का कहना है कि एक खिलाड़ी को वर्ष भर में कम से कम चार जोड़ी जूतों की आवश्यकता होती है। वहीं, एक गांव में हर वर्ष 15 से 20 लाख रुपयों का खर्च आता है। इसके लिए लोग वित्तीय मदद करते हैं। इससे उनका काम चलता है।

2020 तक 25 हजार बच्चों को जोड़ने का है मकसद
एकेडमी का मकसद 2020 तक 25 हजार गरीब बच्चों को जोड़ने का है। वह जल्द ही राजस्थान और धर्मशाला में अपनी एकेडमी खोलने जा रहे हैं। जहां गरीब बच्चों को खेल की ट्रे¨नग देकर सशक्त बनाया जाएगा।

शिवानी के स्कूल की आधी फीस माफ
शिवानी भंगेल स्थित महर्षि विद्या मंदिर में कक्षा 10 की छात्रा हैं। महर्षि विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य उमेश सिंह सेंगर ने शिवानी के केबीसी में चयनित होने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने स्कूल बस और पढ़ाई की आधी फीस भी माफ करने की बात कही है।

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