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नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 51000 फ्लैट खरीदारों को मिला न्यू ईयर गिफ्ट

 नोएडा प्राधिकरण की ओर से बिना अधिभोग प्रमाणपत्र (ओसी) लिए फ्लैटों में रहने वाले खरीदारों के लिए एग्रीमेंट-टू सबलीज के तहत रजिस्ट्री होगी। गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने बिल्डर प्रतिनिधि और निबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद बुधवार को यह जानकारी दी। इससे करीब 51,808 उन फ्लैट खरीदारों को फायदा होगा, जो बिना रजिस्ट्री कराए दर्जनों सोसायटियों में रह रहे हैं। हालांकि, प्राधिकरण की ओर से सबलीज के बिना वे अपने फ्लैट बेच नहीं सकेंगे।

जिलाधिकारी के इस निर्देश के बाद अगले एक से दो माह में इन फ्लैटों की रजिस्ट्री होगी, जिससे निबंधन विभाग को करीब 1323.69 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी के रूप में मिलेंगे। हालांकि, इन फ्लैट खरीदारों को प्राधिकरण की ओर से बिल्डरों को अधिभोग प्रमाणपत्र मिलने के बाद 50 रुपये के स्टांप शुल्क पर सबलीज कराना होगा।

तीनों प्राधिकरणों के फंस सकते हैं  22 हजार करोड़ रुपये

भले ही जिला प्रशासन ने 51 हजार खरीदारों को एग्रीमेंट टू सबलीज का तोहफा दे दिया है, लेकिन इस फैसले से तीनों प्राधिकरण के करीब 22 हजार करोड़ रुपये फंस सकते हैं। इसमें नोएडा प्राधिकरण के करीब 11 हजार करोड़, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सात हजार करोड़ और यमुना प्राधिकरण के साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये शामिल हैं। इन रुपये की वसूली प्राधिकरण को बिल्डरों से करनी है। बिना प्राधिकरण की एनओसी के खरीदारों को एग्रीमेंट टू सबलीज छूट मिलने से बिल्डरों पर पकड़ कमजोर हो जाएगी। हालांकि, औद्योगिक विकास प्राधिकरण मंत्री सतीश महाना कहना है कि वह नए आदेश की समीक्षा करेंगे।

सेक्टर 27 स्थित कैंप कार्यालय में बिल्डर प्रतिनिधि और निबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद जिलाधिकारी बीएन सिंह ने बुधवार को प्रेसवार्ता की। इसमें उन्होंने बताया कि बिल्डरों का बकाया होने से प्राधिकरण की तरफ से उन्हें ओसी नहीं मिल रही है, जबकि इनके द्वारा निर्मित फ्लैटों का पजेशन ले चुके हैं। बिना रजिस्ट्री फ्लैटों में पजेशन देने पर फरवरी से अब तक 29 बिल्डरों के खिलाफ एफआइआर करानी पड़ी। इससे राजस्व का नुकासान हो रहा था।

बैठक में निर्णय के बाद पांच फीसद स्टांप ड्यूटी देकर एग्रीमेंट टू सबलीज के तहत रजिस्ट्री होगी। इस सबलीज का 50 रुपये के स्टांप पर ट्राई पार्टी एग्रीमेंट रजिस्टर कर लिया जाएगा। जिलाधिकारी ने बताया कि भारतीय स्टांप अधिनियम के अनुच्छेद 35 में एग्रीमेंट टू सबलीज का प्रावधान है।

प्राधिकरणों को वसूली के लिए अब करनी होगी माथापच्ची

बिल्डरों से वसूली के लिए अब तीनों प्राधिकरण को नए तरीके से रणनीति बनानी पड़ेगी, क्योंकि प्राधिकरण के बार-बार नोटिस के बावजूद बिल्डरों की ओर से बकाया रकम चुकाई नहीं जा रही थी। ऐसे में तमाम बिल्डरों से बकाया वसूली के लिए प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को भी पत्र लिखा है, लेकिन आज तक बिल्डरों पर किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की गई। ऊपर से जिला प्रशासन के दो पक्षीय एग्रीमेंट यानी एग्रीमेंट टू सबलीज का फैसला लेकर सभी प्राधिकरण की सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया।

प्राधिकरण की आस हुई धूमिल

पहले रजिस्ट्री कराने के लिए बिल्डर को एक मुश्त राशि प्राधिकरण में जमा करनी होती थी। यहां से अनुमोदन के बाद निबंधन विभाग से रजिस्ट्री होती थी। ट्राई पार्टी एग्रीमेंट के तहत कार्य किया जा रहा था, लेकिन प्रशासन के इस फैसले के बाद प्राधिकरण का बिल्डरों से पूरी तरह से दबाव समाप्त हो गया है। इसलिए हजारों करोड़ बकाया वसूली की आस भी धूमिल हो गई है।

आधा अधूरा मिलेगा मालिकाना हक

फ्लैट खरीदार को प्रशासन के एग्रीमेंट टू लीज फैसले से फ्लैट या मकान पर मालिकाना हक का एक कागज उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन वह फ्लैट बेच नहीं सकता है, क्योंकि उसको पहले सबलीज कराने के लिए प्राधिकरण से एनओसी की आवश्यकता पड़ेगी। उस समय बिल्डर को बकाया राशि प्राधिकरण में जमा करानी पड़ेगी। इसके बाद इस सबलीज का 50 रुपये के स्टांप पर ट्राई पार्टी एग्रीमेंट रजिस्टर किया जाएगा। यदि बिल्डर रकम नहीं जमा कराता है तो निश्चित ही खरीदारों को बड़ी दिक्कत भी होने वाली है।

बिल्डरों को कौड़ियों में बेची गई जमीन, अब वसूली में दिक्कत होगी

शहर को बसाने के लिए प्राधिकरण ने किसानों की जमीन अधिग्रहित की। इसे कौड़ियों के भाव में बिल्डर को बेच दिया गया। आवंटन के समय महज कुल लागत का 10 प्रतिशत लेकर बिल्डर को आवंटन पत्र दे दिया गया। बाकी रकम की किस्तें बना दी गईं। बिल्डर ने यह किस्तें प्राधिकरण में जमा नहीं की। यही कारण रहा कि प्राधिकरण पर 50 परियोजना के बिल्डरों का 11013.64 करोड़ रुपये बकाया हो गया। यही स्थिति कुछ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के साथ भी है। ग्रेनो प्राधिकरण में बिल्डरों पर करीब 7 हजार करोड़ रुपये व यमुना प्राधिकरण में करीब 3500 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में जिला प्रशासन के इस फैसले ने अब प्राधिकरण को बकाया रकम वसूलने में काफी दिक्कत होने वाली है।

कम्प्लीशन लेने के बाद बिल्डरों के प्रोजेक्ट में फ्लैटों की रजिस्ट्री बाकी

सत्ता परिवर्तन के बाद नोएडा प्राधिकरण द्वारा 20,600 से ज्यादा फ्लैटों के लिए कम्प्लीशन सार्टिफिकेट (अधिभोग प्रमाणपत्र) जारी किया गया। जिन बिल्डरों के फ्लैटों का अधिभोग जारी किया है। उन बिल्डरों का भी हजारों करोड़ रुपये का बकाया है। इसमें से भी बिल्डरों ने करीब 11 हजार खरीदारों की रजिस्ट्री कराई है, क्योंकि रजिस्ट्री कराने में बिल्डर को बकाया रकम चुकानी थी। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे खरीदारों को जब रजिस्ट्री के दौरान त्रिपक्षीय सब लीज होगी, उस दौरान बिल्डर प्राधिकरण का बकाया देगा।

हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि एग्रीमेंट टू सबलीज के आधार पर बिल्डर बायर्स के बीच एग्रीमेंट को रजिस्टर कराया जाएगा। बाद में बिल्डर प्राधिकरण से सीसी हासिल कर लेगा तो 50 रुपये के स्टांप पर फाइनल ट्राई पार्टी एग्रीमेंट रजिस्टर कर दिया जाएगा। बता दें कि प्राधिकरण से बिल्डर को सीसी जारी करने से पहले प्राधिकरण के नियोजन विभाग की टीम फ्लैटों का निरीक्षण करती है। निरीक्षण के बाद ही उसे सीसी जारी किया जाता है। यदि उस दौरान कोई खामी पाई जाती है तो बिल्डर से उस खामी को दूर कराया जाता है, लेकिन अब खरीदार को एग्रीमेंट टू सबलीज करने व कब्जा देने के बाद सीसी के लिए बिल्डर प्राधिकरण में आवेदन करेगा। इस दौरान यदि ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में कोई बड़ा हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। इस पर पर अधिकारी अभी कन्नी काट रहे हैं।

प्राधिकरण ने जिला अधिकारी को रिकवरी के लिए लिखा था पत्र

नोएडा प्राधिकरण ने 50 डिफाल्टर बिल्डरों की सूची जिला प्रशासन जारी की है। जिसमें बकाया रकम वसूलने के लिए लिखा था। यह बकाया आरसी काटने के साथ वसूल की जानी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने प्राधिकरण के इस तथ्य को सिरे से नकारते हुए आज यह अहम फैसला लिया। जिलाधिकारी ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं किया जा रहा। इससे पहले भी बिना त्रिपक्षीय लीज के सेक्टर-38ए स्थित जीआइपी मॉल में दुकानों की रजिस्ट्री सीधे कराई जा चुकी है।

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