जम्मू कश्मीर

बर्फ में दफन होने लगी जिंदगी तो देवदूत बनकर आए वायुसेना के जांबाज

लद्दाख में चद्दर ट्रैक पर ट्रैकिंग के लिए आए मुंबई के इंजीनियर को मानो नया जीवन दिया है। मौत पल-पल करीब आ रही थी और जिंदगी जंस्कार नदी के बर्फीले पानी में समाती जा रही थी। इसी दौरान वायु सेना का दस्ता उसके लिए देवदूत की तरह आया और पलक झपकते ही उसे संकट से बाहर निकाल दिया।

मुंबई से आए इंजीनियर सागर के साथ उनका दस्ता लद्दाख में चद्दर ट्रैक पर ट्रैकिंग के लिए आया था। वापसी में उसके साथी आगे निकल गए और वह जाने लगा तो चद्दर ट्रैक की बर्फ की परत टूट गई। इससे सागर बर्फीले पानी में जा गिरा। इसी दौरान विंग कमांडर विक्रांत उनीयाल के नेतृत्व में सात सदस्यीय वायु सेना का दस्ता वहां से लौट रहा था। इन जवानों ने रस्सियां फेंककर और अन्य उपकरणों की मदद से सागर को तुरंत पर बचा दिया।वायुसेना की आधिकारिक वेबसाइट पर सागर की कहानी को ट्वीट किया गया है।

ट्वीट में बताया गया है कि मुंबई के इंजीनियर सागर की मदद के लिए उस समय कोई नहीं था और बर्फीले पानी में फंस गया। इसी दौरान विंग कमांडर विक्रांत उनीयन के नेतृत्व में वायुसेना के दल ने तुरंत रस्सियां फेंकी और उसके बाद अपने उपकरणों की मदद से सागर को बचा लिया। सागर भी अपनी जान बचाने के लिए सेना के अधिकारियों को धन्यवाद देता नहीं थक रहा है।

ट्वीट के साथ सागर का वीडियो भी अटैच किया गया है। इसमें वह स्वयं अपनी कहानी सुना रहा है। वीडियो में सागर बता रहा है कि हमारे दल को चद्दर ट्रैक पर एक पैच क्रॉस करना था और यह स्पष्ट नहीं था कि वह जमा हुआ या नहीं। हमारे चार-पांच लोग आसानी से क्रॉस करके जा चुके थे। उनके बाद मैंने जैसे ही कदम रखा बर्फ की परत टूट गई और मैं बर्फ में फंस गया। लगा कि बचना मुश्किल है। इसी दौरान देवदूत की तरह आए वायुसेना के जवानों ने रस्स्यिां फेंककर मुझे बाहर निकाला।

क्या है चद्दर ट्रैक

लेह की जंस्कार वेली में बहने वाली जंस्कार नदी सर्दियों में जमने लग जाती है। ऐसे में जंस्कार वेली के लोग लेह तक जाने के लिए बर्फ से बने इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। इसी को चद्दर ट्रैक भी कहते हैं। देश व दुनिया के हजारों पर्यटक इस बर्फ की चद्दर पर ट्रैकिंग करने आते हैं।

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