आनंदेश्वर: खेल संघों को चलाने के लिए बजट की व्यवस्था करे सरकार
भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) और राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) के तहत आने वाले सभी राज्य संघों और जिला संघों में नेशनल स्पोट्र्स डेवलपमेंट कोड ऑफ इंडिया (एनएसडीसीआइ) लागू कर दिया जाए, लेकिन सरकार बताए कि वह खेल संघों को कैसे चलाएगी। बिना चंदे के एक भी दिन कोई खेल संघ अपना खर्चा नहीं निकाल सकता। यह कहना है भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के ट्रेजरार आनंदेश्वर पांडेय का।
केंद्रीय खेल मंत्री के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एनएसडीसीआइ लागू करने के निर्देश के संबंध में आनंदेश्वर ने कहा कि आइओए और एनएसएफ को चलाने का खर्चा ही लाखों रुपये साल का आता है। प्रतियोगिताओं का खर्चा अलग है। तमाम राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं हम समाजसेवी लोगों के सहयोग से और उनके कॉलेजों में कराते हैं। यह काम बिना नेताओं और अफसरों के संभव नहीं है। राज्य और जिला स्तर पर हालात और भी खराब हैं।
सबको खिलाड़ी पेशेवर चाहिए, लेकिन खेल संघों को चलाने की कोई पेशेवर व्यवस्था नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं है। अगर है भी तो उसे लेने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि उसे लेने में ही उससे ज्यादा खर्चा हो जाएगा। एनएसडीसीआइ को लागू करने के बाद राज्य और जिलास्तर पर व्यवस्था भंग हो जाएगी, जबकि हम चाहते हैं कि व्यवस्था तहसील और ब्लॉक स्तर तक पहुंचे, ताकि कोई खिलाड़ी छूटे नहीं।
फिर लग सकता है प्रतिबंध
आइओए के ट्रेजरार ने कहा कि एनएसडीसीआइ को अगर बिना सहमति के लागू कर दिया गया तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी (आइओसी) हमें फिर प्रतिबंधित कर देगी, जैसे उसने 2014 में किया था। आइओसी की सहमति के बाद आइओए खुद इस बारे में फैसला लेगा और एनएसएफ पर लागू करेगा। यह प्रक्रिया है।
हम सरकार से बात करेंगे, पहले आइओए, एनएसएफ के अलावा राज्य और जिलास्तर पर खेल संघों को चलाने की कोई आर्थिक व्यवस्था बनाई जाए। हम पर पदों पर चिपके रहने का आरोप गलत है। तमाम पदाधिकारी तो अपनी जेब से ही पैसा लगाकर खेलों की सेवा कर रहे हैं। एनएसडीसीआइ में कई विवादित मुद्दे हैं, जिन पर पहले बात करने की जरूरत है।
– आनंदेश्वर पांडेय, आइओए के ट्रेजरार
– हम राज्यस्तर पर खेल संघों को दैनिक कार्यों के लिए 15 हजार रुपये वार्षिक का खर्चा देते हैं, लेकिन आजतक किसी ने यह खर्चा नहीं लिया। खेल संघों का तर्क है कि यह पैसा लेने के लिए उन्हें सीए की सेवा लेना होगी, जिसकी फीस ही सहायता की रकम से कहीं ज्यादा होती है। खिलाडिय़ों और कैंप के लिए हम उपलब्ध बजट में से पैसा देते हैं। से प्रतियोगिताओं के खर्च के लिए खेल संघों से समन्वय कर लिया जाता है।