जब नौकरियां नहीं तो आरक्षण का क्या मतलब: सीताराम येचुरी
माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना महाभारत से की। उन्होंने कहा कि कौरवों को भी इस बात का अहंकार था कि वे सौ हैं। ये पांच पांडव क्या बिगाड़ लेंगे, लेकिन उनका क्या हश्र हुआ? चुटकी ली कि कौरवों में दुर्योधन और दुशासन के अलावा आपको कितने लोगों की याद है। आर्थिक आरक्षण पर कहा कि जब नौकरियां ही नहीं होंगी तो आरक्षण लागू कहां होगा।
नगर निगम के टाउन हाल में माकपा उत्तराखंड राज्य कमेटी की ओर से आयोजित सेमिनार ‘घृणा की राजनीति और उसका प्रतिरोध’ में माकपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद सीताराम येचुरी शिरकत करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार तमाम बड़े सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रही है। ऐसे में आरक्षण अगर लागू ही करना है तो फिर निजी कंपनियों में भी लागू हो। केंद्र सरकार एक ओर चमकता भारत का नारा दे रही है, जबकि दूसरी तरफ तरसता भारत है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने धर्म के आधार पर देश में द्विराष्ट्र के सिद्धांत को लागू करने की बात कही, जो आजादी के आंदोलन में कहीं नहीं थे, वो आज राष्ट्रभक्त की परिभाषा गढ़ रहे हैं। देश के मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कभी राम मंदिर तो कभी किसी विश्वविद्यालय में कोई विवाद किया जा रहा है। पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद तपन सेन ने कहा कि मौजूदा वक्त देश के लोकतंत्र को बचाने का वक्त है।
संविधान में ‘हम भारत के लोग’ क्यों लिखा गया?
सीताराम येचुरी ने बताया कि संविधान के प्रस्तावना की शुरुआत ‘हम भारत के लोग’ से की गई है। इसके पीछे मुख्य कारण था ‘हम’। हम में ह का मतलब था हिंदू और म का मतलब था मुस्लिम। हम सबको साथ मिलकर चलना था, लेकिन आज साम्प्रदायिक दल देश में जहर घोलना चाहते हैं। आम जनता को इसे समझना चाहिए।