खुले में शौच के लिए गए तो नीम के पांच पौधे लगाने पड़ेंगे। बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित पिपरासी पंचायत की मुखिया ने स्वच्छता अभियान को साकार करने के लिए एक माह पहले यह अनोखी ‘सजा’ निर्धारित की है। दरअसल, हर घर में शौचालय बनने के बाद भी कई लोगों ने अपनी आदत नहीं छोड़ी थी। इस मुहिम के तहत डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को सजा सुनाई जा चुकी है। अब वे शौचालय का उपयोग करने लगे हैं।
स्वच्छता अदालत का गठन
पश्चिमी चंपारण के पिपरासी प्रखंड को बिहार में सबसे कम दिनों में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) होने का गौरव प्राप्त है। महज 56 दिनों में यहां सात हजार शौचालय बने थे। 16 अप्रैल 2016 को प्रखंड ओडीएफ तो घोषित हो गया, लेकिन कई लोग वर्षों पुरानी आदत से मुक्त नहीं हो पाए। तब, पिपरासी पंचायत की मुखिया उर्मिला देवी ने पंचायत के छह वार्डों में वार्ड सदस्यों के नेतृत्व में स्वच्छता अदालत का गठन किया।
स्वच्छता अदालत के तहत प्रत्येक वार्ड में एक टीम बनी, जिसमें वार्ड सदस्य के अतिरिक्त पांच लोगों को शामिल किया गया। यह टीम खुले में शौच करने वालों को पकड़ती है। इसके बाद स्वच्छता अदालत में सुनवाई होती है। फिर दोषी को फूलमाला पहनाकर शर्मिंदा करने के साथ नीम के पौधे लगाने की सजा दी जाती है। पौधे सार्वजनिक भूमि पर लगाए जाते हैं। देखभाल की जिम्मेदारी भी दोषी की होती है।
पिछले एक माह में करीब 100 पौधे विभिन्न सड़कों के किनारे लगाए जा चुके हैं। इससे प्रेरणा लेकर मंझरिया, सेमरा लबेदाहा, सौराहा, डुमरी मुड़ाडीह, डुमरी भगड़वा और बलुआ ठोरी के मुखिया ने भी ऐसी ही पहल की घोषणा की है।
पर्यावरण के प्रति अच्छी सोच
पौधा लगाने की सजा पाने वालों में से एक सुरेश गिरी कहते हैं, पर्यावरण के प्रति यह सोच अच्छी है। इससे खुले में शौच जाने की आदत छूट गई। खैरवा टोला के दिग्विजय यादव का कहना है कि मेरे लगाए पौधों में नए पत्ते निकल आए हैं। बगहा के एसडीएम घनश्याम मीना कहते हैं इसे अन्य पंचायतों को भी अपनाना चाहिए