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मैं गर्व से कहती थी कि मैं डॉक्टर पायल की मां हूं, पर अब मैं क्या कहूं?

 

ये कहते हुए आबेदा तड़वी अपनी आंखों के आंसू रोक नहीं पाईं। पिछले हफ्ते 22 तारीख को हुई डॉक्टर पायल की आत्महत्या के सदमे से वो अब तक बाहर नहीं आ पाई हैं। उनकी 26 साल की बेटी मुंबई के नायर अस्पताल से जुड़े टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से एम।डी कर रही थीं। डॉक्टर पायल पढ़ाई पूरी करने के बाद आदिवासी इलाकों में जाकर काम करना चाहती थीं।

पायल की मां बताती हैं, “वो मेरा सहारा थी, मेरा ही नहीं हमारे पूरे समाज का। क्योंकि वो हमारे समाज की ऐसी पहली महिला थी जो एमडी डॉक्टर बनने वाली थी।” हमारा विश्वास था कि पायल हमारे समाज की कमियों को पूरा कर देगी। लेकिन हमारा ये सपना अधूरा ही रह गया।

पायल के घरवालों का कहना है कि तीन सीनियर महिला डॉक्टर्स ने उनकी रैंगिग की और उनका हैरेसमेंट करते वक्त जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया जिससे तंग आकर उन्होंने ये कदम उठाया।

होशियार, महत्वाकांक्षी और सेवाभावी

इस हादसे के बाद उनके जलगांव के घर में लोगों आना लगातार बना हुआ है। घरवाले, पड़ोसी और आस-पास गांव के लोग इस घटना पर अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं। पायल को याद कर के वें भावुक हो जाते हैं। उनमें से कुछ लोगों ने हमसे बात की।

आबेदा बताती हैं, “पायल बहुत होशियार लड़की थी उसको दसवीं में 88% मार्क्स मिले थे। उसने बहुत मेहनत से मेडिकल की पढ़ाई की थी और बहुत कम समय में कई लोगों का इलाज भी किया था।” पायल का छोटा भाई जन्म से ही विकलांग हैं। उसको देख कर ही पायल को डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। लोगों की सेवा करना ही उनका उद्देश्य था।

अपने पहले ही स्टाईपेंड से उन्होंने कुष्ट रोगियों की मदद की थी। “चार महीने के लिए मैंने उसे आदिवासी इलाके में काम करने के लिए कहा था तब जो भी मरीज आता था वो पायल से ही इलाज कराने के लिए कहता था।”

आदिवासी इलाके में काम करने के दौरान पायल को मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज में एमडी के लिए ऐडमिशन मिला। पायल के पति डॉक्टर। सलमान तड़वी मुंबई के ही कपूर मेडिकल कॉलेज में असिटेंट प्रोफोसर का काम करते हैं। पायल के सपनों का वे खूब समर्थन करते थे। जब पायल मुंबई चली गईं थी तो काम की वजह से बातचीत थोड़ी कम हो गई थी।

सीनियर्स पर आरोप

पायल ने अपनी मां को बताया था कि मेडिकल कॉलेज के तीन सीनियर डॉक्टर्स उन्हें परेशान करते हैं। “वो कहती थी मां ये तीन लोग मुझे मरीजों के सामने छोटी-छोटी वजहों से अपमानित करते हैं। फाइल मुंह पर फेंकते हैं, टिफिन भी खाने नहीं देते।”

भिल्ल समाज की पायल को उनकी जाति पर ताने दिए जाते थे। ऐसा आबेदा बताती हैं। आबेदा कैंसर की मरीज हैं जिस दौरान ये सब हो रहा था उसी दौरान अस्पताल में उनका आना-जाना होता था। लेकिन वे पायल से मिल नहीं पाती थीं।

“मेरे हॉस्पिटल आने के बाद मुझे ऐसा लगता था कि अब बेटी से मिलके जाउं, पर वो काम में व्यस्त रहती थी इसलिए मैं उसे दूर से देखकर ही लौट आती थी।” आबेद बताती हैं, “बेटी के साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव को लेकर मैं कम्प्लेंट करना चाहती थी लेकिन पायल ने ही मुझे रोक दिया था।”

पायल अपनी मां से कहती थीं, “मां तू कम्प्लेंट मत करना, वो लोग भी यहां पढ़ने के लिए आएं है उनके मां-बाप की भी उनसे कुछ उम्मीदे हैं फिर ऐसा करने से मेरी भी परेशानी बढ़ेगी।” इसके बावजूद पायल की मां और पति सलमान ने पायल के सीनियर्स की शिकायत कॉलेज से की थी।

उन्होंने आग्रह किया था कि पायल की यूनिट बदल दी जाए। उसके बाद पायल को कुछ समय के लिए दूसरी यूनिट में भेज दिया गया था, तब उन्हें लगा था कि अब प्रेशर कुछ कम हो गया है।

लेकिन उन तीन सीनियर्स का वैसा ही बर्ताव फिर शुरू हो गया था। तब 10 से लेकर 12 मई को पायल की मां और पति लिखित शिकायत लेकर कॉलेज विभाग के पास गए लेकिन उनको गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके लगभग 10 दिन बाद ही पायल ने आत्महत्या कर ली।

मेडिकल कॉलेज की भूमिका

पुलिस और टोपीवाला मेडिकल कॉलेज प्रशासन इस घटना की जांच कर रहे हैं। कॉलेज ने एंटी रैंगिग समिति गठित की है जो जल्द ही इस मामले की रिपोर्ट पेश करेगी। ऐसा कॉलेज के डीन डॉक्टर रमेश भारमल का कहना है।

भारमल कहते हैं, “हम बहुत शॉक में थे। जिस रात पंचनामा हुआ उस रात पांच घंटे हम वहीं पर थे। ये सब कैसे हुआ? हमें क्या करना चाहिए था? अब आगे क्या करना है? इस पर चर्चा कर रहे थे। पायल एक सीधी और होशियार लड़की थी। वो ऐसा कदम उठाएगी ऐसा किसी को नहीं पता था। इसे (रैगिंग) आसानी से रोका जा सकता था।”

पायल के जाने के बाद डॉक्टर भारमल हमसे मिलने आए थे ऐसा सलमान बताते हैं। उन्होंने हमसे कहा कि “इस बात की सूचना आपने मुझे क्यों नहीं दी?”

सलमान ने जवाब दिया, “सर आपको बताने से पहले हमने डिपार्टमेंट से बात की कोई चीज स्टेप-बाई-स्टेप होनी चाहिए हम सीधे आपके पास कैसे आ सकते थे। हम स्टेप-बाई-स्टेप गए लेकिन उन लोगों ने कोई एक्शन नहीं लिया।”

आबेदा मेडिकल कॉलेज से ग़ुस्से में सवाल करती हैं, “मैंने इसकी शिकायत की थी। इसमें हमें और क्या करना चाहिए था? वो यहां रात-दिन रहते हैं उनको ये बातें कैसे नहीं पता चलीं? ये सब उनकी आंखों के सामने ही हुआ। लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया।”

पुलिस अभी उनकी सहायता कर रही है लेकिन पुलिस के ऊपर दबाव आ सकता है ऐसा उनका डर है। वो कहती हैं, “हजारों पायल अभी पढ़ाई कर रही हैं उनका भी भविष्य है उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की है लेकिन मेरी बेटी की सुरक्षा प्रशासन ने नहीं की। प्रशासन ने ही मेरी बेटी की जान ली है।”

आरोपी सीनियर्स का क्या कहना है?

जिन तीन सीनियर्स पर रैंगिग और हैरासमेंट के आरोप लगे हैं उन्हें महाराष्ट्र के रेजीडेंट डॉक्टर संघ (MARD) ने निलंबित कर दिया है। तीनों सीनियर्स ने इस मामले में खत लिख कर अपना पक्ष MARD के सामने पेश किया है।

“आत्महत्या की सही वजह अभी तक पता नहीं चली है। हमें इस मामले में दोषी ठहराना और हम पर अट्रॉसिटी लगाना अन्याय है काम के प्रेशर को कोई रैंगिग कहे तो इस तरह की रैंगिग हमारी भी हुई है मेडिकल कॉलेज को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। लेकिन पुलिस और मीडिया प्रेशर के कारण कोई हमारा पक्ष सुन ही नहीं रहा है।”

पायल के लिए न्याय की गुहार

पायल के सहकर्मी और विद्यार्थी संगठनों ने न्याय की गुहार की है कुछ संगठनों ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया। पर इस दुख के साथ पायल की मां को एक और बात की चिंता सता रही है, “मेरे भाई की बेटियां अभी बारहवीं क्लास में हैं और सांइस की पढ़ाई कर रही हैं अगले साल वें भी हॉस्टल में रहेगीं। अब उनको हॉस्टल भेजे या न भेजे इस बात की भी चिंता हैं।”

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