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अंग्रेजी राष्ट्रीय किसान दिवस :- किसानों को मिली थी बड़ी सौगात ‘चौधरी चरण सिंह’ की बदौलत.

चरण सिंह द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। उनकी ही बदौलत 1 जुलाई 1952 को उत्‍तर प्रदेश में जमींदारी प्रथा खत्‍म हुई और गरीबों को उनका अधिकार मिला। उन्होंने ही लेखपाल के पद की भी शुरुआत की थी। उन्होंने 1954 में किसानों के हित में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। 3 अप्रैल 1967 को चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और राज्‍य में दोबारा चुनाव करवाए गए।

अपने राजनीतिक सफर में वे केंद्र सरकार में जब गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। इसके अलावा 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में उन्‍होंने नाबार्ड जिसको राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक भी कहा जाता है, की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को वे सपा और कांग्रेस (यू) के सहयोग से देश के प्रधानमंत्री बने। चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक जीवन स्वाधीनता संग्राम के समय शुरू हुआ था।

चौधरी चरण सिंह का जन्‍म 23 दिसम्बर,1902 को बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी मीर सिंह था। जब वह छह वर्ष के थे तब उनका परिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गया था। यहां से ही उनके मन में किसानों के प्रति लगाव पैदा हुआ था। 1928 में उन्‍होंने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और गाजियाबाद में कुछ समय के लिए वकालत भी की।

1929 में जब कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन पूर्ण स्वराज्य की मांग की तो इससे चौधरी चरण सिंह भी काफी प्रभावित हुए। इससे प्रभावित होकर उन्‍होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। चौधरी चरण सिंह महात्‍मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे।

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