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अमित शाह का यूपी दौरा, गठबंधन की नब्ज टटोल बनाई महागठबंधन से मुकाबले की रणनीति

मिशन 2019 की तैयारी में जुटी भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने 2014 के इतिहास को दोहराना चाहती है। बुधवार और गुरुवार को वाराणसी दौरे पर आए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पूर्वांचल के सहयोगियों की नब्ज टटोली और फिर महागठबंधन से मुकाबले के लिए रणनीति तैयार की।

काशी, गोरखपुर और अवध प्रांत में वोट बैंक साधने की योजना-रचना पर मंथन हुआ। चुनावी मुकाबले में विपक्ष को पटखनी देने के लिए सबसे अहम 51 फीसदी मत हासिल करने के लक्ष्य के लिए सामूहिक जिम्मेदारी तय की।

इसके लिए बूथ स्तर तक सामाजिक समीकरण मजबूत करने को कहा। सरकार के कामकाज को घर-घर पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के साथ ही बूथों पर परिचर्चा आयोजित करने सहित जनसंवाद के कई और कार्यक्रम आयोजित करने को कहा। कुल मिलाकर शाह ने अपने इस दौरे से पूर्वांचल में भाजपा को चुनावी मोड में ला दिया है।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल में अपना दल (एस) का साथ मिला। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी भाजपा के साथ आई।  इधर, एकजुट हो रहे विपक्ष और महागठबंधन की संभावनाएं भाजपा के सामने बड़ी चुनौती बनी है।  

अपना दल (एस) को खास तरजीह

महागठबंधन में विपक्षी पार्टियों के अलग-अलग वोट बैंक को एकजुट होने से रोकने और उसमें सेंधमारी के लिए सबसे पहले बूथ स्तर तक सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त करने को कहा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस दौरे में अपना दल (एस) को खास तरजीह दी।

इसके जरिए दूसरे सहयोगियों को संकेत दिया कि गठबंधन में संयम और समझदारी पर ही तवज्जो मिलेगी। दूसरी तरफ, भाजपा अध्यक्ष ने योगी सरकार के मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बागी तेवर को भी समझने की कोशिश की।

दरअसल, राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि विपक्ष के महागठबंधन के आकार लेने के बाद भाजपा भी छोटे दलों को साथ लाने की पूरी कोशिश करेगी। शाह ने अपने दौरे में कार्यकर्ताओं में जोश और आत्मविश्वास तो भरा ही, सहयोगियों को साधकर विपक्ष से मुकाबले की जमीन भी तैयार की। 

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