असम में रहने वाले 74 हजार बिहारियों की नागरिकता पर मंडरा रहा संकट
बिहार के कोने-कोने से रोजी-रोटी की तलाश में वर्षों पहले असम जाकर बसे 74 हजार लोगों की नागरिकता का मामला अधर में है। असम सरकार ने कई महीने पहले बिहार सरकार को इन लोगों की नागरिकता प्रमाणित कर रिपोर्ट भेजने का आग्रह किया था। कहा था कि उन सभी के नाम असम में तैयार हो रही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज किया जाना हैं।
सूत्रों के मुताबिक असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नाम दर्ज कराने के लिए दावे की दूसरी सूची जारी होने वाली है, लेकिन बिहार के किसी जिले से अभी तक नागरिकता को प्रमाणित कर असम सरकार को नहीं भेजा है। ऐसे में वहां से हजारों लोगों के फोन उनके परिजनों और सरकार के आला अफसरों के पास आने शुरू हो गए हैं।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर असम सरकार मार्च 1971 के बाद असम में आकर बसे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार कर रही है। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से वहां जाकर रह रहे लोगों की नागरिकता प्रमाणित करने के लिए संबंधित राज्यों को सूची भेजी है। कई राज्यों ने यह सूची प्रमाणित करके भेज भी दी है, लेकिन बिहार के जिलाधिकारियों ने अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
बताया जाता है कि असम से आई बिहारी लोगों की सूची को जमीन- जायदाद के दस्तावेजों की आवश्यकता होगी इसलिए सरकार ने यह जिम्मेदारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को दी है। विभाग ने नागरिकता से जुड़े आवेदन विभिन्न जिलों और संबंधित संस्थाओं को भेज दिए हैं, लेकिन अभी तक कही से भी नागरिकता प्रमाणित कर रिपोर्ट नहीं भेजी गई है।
इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम नारायण मंडल ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सात अगस्त को समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। समीक्षा के बाद प्रधान सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द आवेदकों की नागरिकता प्रमाणित कर सरकार उपलब्ध कराएं।