अरविंद केजरीवाल को पूर्व सहयोगियों ने घेरा…
नैतिकता, ईमानदारी और लोकतांत्रिक व्यवस्था की बुनियाद पर रखी गई आम आदमी पार्टी की नींव का एक-एक पत्थर समय के साथ सत्तालोभी फैसलों से क्षुब्ध होकर बिखर रहा है। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, कपिल मिश्रा और अब आशुतोष कुमार। इन नेताओं ने पार्टी के अंदर खत्म होते लोकतंत्र व गौण होते मूल सिद्धांत से समझौता के बजाय पार्टी से अलग होना ठीक समझा।
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास ने ट्वीट किया कि हर प्रतिभा संपन्न साथी की षड्यंत्र पूर्वक निर्मम राजनीतिक हत्या के बाद एक आत्ममुग्ध, असुरक्षित बौने और उसके सत्ता पालित, 2जी धन लाभित चिंटुओं को एक और आत्मसमर्पित कुर्बानी मुबारक हो। इतिहास शिशुपाल की गालियां गिन रहा है।
वहीं पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे मयंक गांधी का कहना है कि पार्टी के अंदर सिद्धांत टूट रहे हैं और ऐसे में जो इसमें नहीं ढल पा रहा है वह अलग हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम तो सिद्धांत के ऊपर आए थे, लेकिन जब पार्टी में सिद्धांत नहीं रहे तो इससे अलग होना ही मैंने बेहतर समझा।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को यह लग रहा है कि चुनाव जीतना है तो जाति की राजनीति करनी पड़ेगी, रुपये लेने पड़ेंगे और अन्य दलों के साथ अवसरवादी गठबंधन भी करने होंगे। हालांकि, मुझे जानकारी नहीं है कि आशुतोष क्यों अलग हुए हैं, लेकिन अब दूसरी पार्टी जैसा ही आप में भी हो गया है। आप सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा का कहना है कि आम आदमी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं बचा है।
यहां किसी की नहीं सुनी जाती। गलत बात पर बोलने पर दुश्मनों जैसा व्यवहार होना तय है। पार्टी को जिन ईमानदार व क्रांतिकारियों ने अपने खून पसीने से बनाया था। वे एक-एक करके साथ छोड़ छोड़कर जा रहे हैं। क्योंकि जिस व्यक्ति का नाम अरविंद केजरीवाल है वह तानाशाही चला रहा है। केजरीवाल का अहम पार्टी को ले डूबेगा। भाजपा नेता व पूर्व विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने कहा कि लोग अरविंद केजरीवाल के तानाशाह रवैये के कारण भाग रहे है। पार्टी एक व्यक्ति तक सीमित रह गई है और सत्ता पर काबिज रहने के लिए झूठ और कपट की राजनीति की जा रही है।
इस्तीफे पर AAP नेताओं का ट्वीट
श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आशुतोष का फैसला दुखद। मिलकर करेंगे बात। वहीं, राज्यसभा सदस्य और AAP के वरिष्ठ नेता संजय ने कहा कि हम सब मिलकर आशुतोष जी से अनुरोध करेंगे की वे अपना फैसला वापस ले लें।