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…जब राजीव गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी की थी ये बड़ी मदद

देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की हालत इस समय बेहद नाजुक है। वह इस समय एम्स में वेंटिलेटर पर हैं। हालांकि एक बार और ऐसी स्थिति आयी थी जब अटल जी का मौत से आमना-सामना हुआ था। तब राजीव गांधी ने उनकी बहुत बड़ी मदद की थी।

बात साल 1988 की है जब वाजपेयी अपने किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे, तब धर्मवीर भारती को एक खत लिखा था। उस खत में उन्होंने एक कविता भी लिखी थी। जिसमें मौत से ठन जाने की बात उन्होंने कही थी। बता दें कि इस अमेरिकी दौरे पर जाने का किस्सा भी दिलचस्प है और अगर राजीव गांधी न होते तो शायद ही वाजपेयी अमेरिका जा पाते।

दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री को जब पता चला कि अटल जी की तबियत खराब है और उन्हें अमेरिका में इलाज की जरूरत है तो राजीव गांधी ने एक बड़ा निर्णय लिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भेजे गए डेलिगेशन में अटल का नाम शामिल कर दिया था। यह इसलिए ताकि इसी बहाने से वाजपेयी अमेरिका जाकर अपना इलाज करा सकें।

वाजपेयी हमेशा इस बात के लिए राजीव गांधी की तारीफ करते थे। वह हमेशा कहते रहे कि राजीव गांधी की वजह से ही वह जिंदा हैं। इस अमेरिकी दौरे पर वाजपेयी ने एक कविता भी लिखी थी जो बेहद चर्चित है।

मौत से ठन गई
ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

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