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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा बोले- हर किसी को सम्मान के साथ मरने का अधिकार

अगले महीने 2 अक्तूबर को रिटायर हो रहे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इच्छामृत्यु पर अहम टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस मिश्रा का कहना है कि कानूनी तौर पर कोई भी व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता, लेकिन किसी को भी सम्मान के साथ मरने का अधिकार है।

समाज में समानता के लिए युवाओं की अच्छी शिक्षा जरूरी 

शनिवार को पुणे में ‘संवैधानिक अधिकारों के संतुलन’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर कोई इंसान कभी न ठीक होने वाली बीमारी से पीड़ित है और वह इच्छामृत्यु चाहता है तो वह इसके लिए अपनी ‘लिविंग विल’ बना सकता है। हर व्यक्ति का अपना अधिकार है कि वह अंतिम सांस कब ले और इसके लिए उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हमें समाज में समानता, स्वतंत्रता और हर इंसान को सम्मान से जीने का अधिकार देना है तो इसके लिए युवा पीढ़ी के लिए अच्छी शैक्षिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होगी।

इच्छामृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ऐतिहासिक फैसला 

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 9 मार्च को ऐतिहासिक फैसला देते हुए मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को गाइडलाइंस के साथ कानूनी मान्यता दी थी। कोर्ट ने फैसले में कहा था कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि कब वह आखिरी सांस ले। लोगों को सम्मान से मरने का पूरा हक है। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस मिश्रा ने पुणे में भी ये बातें कहीं। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस समेत बॉम्बे हाई कोर्ट के कई जज मौजूद थे।

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