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पतंजलि फूड पार्क के लिए यूपी सरकार व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में बन सकती है बात…

दिल्ली से बेहद करीब ग्रेटर नोएडा में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के फूड पार्क के लिए यूपी सरकार और बाबा रामदेव के बीच बात बन सकती है। बताया जा रहा है कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के फूड पार्क के अनुमोदन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से तीस जून तक का समय मांगा है। वहीं केंद्र ने 15 जून तक फूड पार्क को राज्य सरकार से अनुमोदन न मिलने पर परियोजना निरस्त करने की चेतावनी दी है।

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नवंबर 2016 में 430 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन फूड एवं हर्बल पार्क के लिए आवंटित की गई थी। जमीन पर निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन पिछले दिनों पतंजलि ने फूड पार्क से हाथ खींचने की बात कहकर प्रदेश सरकार को सकते में डाल दिया था।

इस पर आनन फानन में प्रदेश सरकार ने पतंजलि की सुविधाएं एवं रियायतों की शर्तों को पूरा कराने का भरोसा दिया था। प्रदेश कैबिनेट अभी इस पर फैसला नहीं ले पाई है।

बता दें कि मंजूरी नहीं मिलने की सूरत में पतंजलि ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित मेगा फूड पार्क परियोजना को कहीं अन्यत्र ले जाने का फैसला किया है। पिछले दिनों योगगुरु बाबा रामदेव के निकट सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि परियोजना के लिए किसी और राज्य में जमीन तलाशी जाएगी। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार अंतिम मंजूरी के लिए जरूरी शर्तों को पूरा करने के लिए पतंजलि को एक माह का समय और दिया गया है।

 

यहां पर बता दें कि 2016 उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ग्रेटर नोएडा में पतंजलि फूड पार्क के लिए जमीन देने की घोषणा की थी। 455 एकड़ बनने वाले पार्क पर करीब सात हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया था।

…तो क्या इसलिए योगी से नाराज थे बाबा

पिछले माह 28 मई को जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक कार्यक्रम में भाग लेने हरिद्वार पहुंचे तो योग गुरु बाबा रामदेव कार्यक्रम बीच में छोड़कर ही लौट गए थे। हालांकि तब पतंजलि के प्रवक्ता ने इससे स्पष्ट इन्कार किया था, लेकिन पतंजलि के नए फैसले से अब बाबा के इस कदम को योगी सरकार से नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है।

मेगा फूड पार्क की स्थापना को लेकर मिलने वाली मंजूरी में उत्तर प्रदेश सरकार अनावश्यक विलंब कर रही है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसमें अड़ंगा लगाया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार परियोजना को लेकर उत्साहित है और सभी कार्यवाही तेजी से पूरी की जा रही हैं।

-आचार्य बालकृष्ण, महामंत्री, पतंजलि योगपीठ

विवाद के बाद योगी ने की बालकृष्ण से बात

पतंजली को मेगा फूड पार्क के लिए जमीन देने में हीलाहवाली का आरोप लगाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बालकृष्ण से देर रात टेलीफोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने संबंधित नीति के तहत उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

राज्य सरकार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटित 455 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ जमीन समूह की एक अन्य कंपनी पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क के लिए ट्रांसफर करने पर विचार कर रही है। पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया है।

अधिकारी बोले-आवंटन अभी रद नहीं किया

पतंजलि समूह के मेगा फूड पार्क को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पांडेय ने साफ किया है कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को जमीन का आवंटन रद नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया था। मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपये सब्सिडी देती है।

अखिलेश ने किया था शिलान्यास

मेगा फूड पार्क के तहत कृषि आधारित उत्पादों, खाद्य व हर्बल उत्पाद, पशु आहार दुग्ध और औषधीय उत्पादों की इकाइयां तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की जानी थी। कहा गया कि पार्क में स्थापित की जाने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाई प्रतिदिन 400 टन फल व सब्जियों का प्रसंस्करण करेगी। इसमें जैविक गेहूं का इस्तेमाल करते हुए रोज 750 टन आटा भी तैयार किया जाएगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 नवंबर 2016 को लोक भवन में आयोजित कार्यक्रम में फूड एवं हर्बल पार्क का शिलान्यास किया था।

उधर, केंद्र सरकार ने 15 जून तक अंतिम अनुमोदन की शर्त लगाकर पतंजलि व प्रदेश सरकार की परेशानी को बढ़ा दिया है। प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चंद पांडे ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर 30 जून तक का समय देने का आग्रह किया है। 

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