जम्मू कश्मीरबड़ी खबर

मंदिरों के शहर जम्मू को स्मार्ट सिटी बनाने की पहल शहर को पालीथिन मुक्त बनाने के साथ की जाएगी

मंदिरों के शहर जम्मू को स्मार्ट सिटी बनाने की पहल शहर को पालीथिन मुक्त बनाने के साथ की जाएगी। इस दिशा में  नवनिर्वाचित मेयर चंद्रमोहन गुप्ता ने प्रभावी कदम उठाने का मन बनाया है। उनका कहना है कि इसके लिए पॉलीथिन प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाएगा परंतु यह सब व्यापारियों व दुकानदारों के सहयोग से होगा। लोगों को जागरूक करेंगे ताकि जमीनी स्तर से इसकी शुरुआत हो। हम जम्मू को खूबसूरत बना सकें। इसके लिए निकट भविष्य में निगम की टीमें जुर्माना तो करेंगी ही, दोषियों को सबक भी सिखाया जाएगा।

मेयर ने इसके लिए सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों, शॉपिंग माल समेत बड़े दायरे में इस पर सख्ती करने की रूपरेखा तैयार करना शुरू की है। उनका कहना है कि पॉलीथिन प्रतिबंध तब तक पूरी तरह से लागू नहीं हो सकता, जब तक लोग स्वयं जागरूक न हों। पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद न करें। दूसरे राज्यों से भी पॉलीथिन की आमद रहती है। इस पर तभी अंकुश लगाया जा सकता है, जब लोग इसका इस्तेमाल बंद करेंगे। दुकानदार प्रतिबंधित पॉलीथिन नहीं देंगे। गुप्ता का कहना है कि इसके लिए जल्द ही सभी व्यापारियों से विमर्श करते हुए ऐसे इंतजाम किए जाएंगे कि इससे निगम की आमदनी भी बढ़े।

पॉलीथिन देने वाले शाॅपिंग कांप्लेक्स, माल वालों पर टैक्स लगाने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पॉलीथिन पर प्रतिबंध है। इसे सख्ती से लागू नहीं करवाया जा सका। इसमें सिर्फ नगर निगम की भूमिका नहीं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस को भी ज्यादा सक्रियता दिखानी होगी। ऐसे इंतजाम करने की जरूरत है कि लोगों के पास विकल्प आसानी से उपलब्ध रहें। जूट व अन्य लिफाफों को बढ़ावा देना होगा। जल्द ही अधिकारियों व एक्सपर्ट से इस संबंध में बातचीत कर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। निगम प्रभावी योजना के साथ इस दिशा में काम शुरू करेगा।

धड़ल्ले से बिक रहा पॉलीथिन

कहने को तो जम्मू-कश्मीर में पॉलीथिन पर रोक है लेकिन जमीनी स्तर पर इसके इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं। यही कारण है कि जम्मू शहर में कहीं भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध नजर नहीं आता। शहर के बड़े शा¨पग माल से लेकर रेहड़ी-फड़ी पर आसानी से पॉलीथिन मिल रहा है। आलम यह है कि शहर की अधिकतर नालियां, नाले पॉलीथिन से भरे पड़े हैं। जम्मू के डिप्टी कमिश्नर से लेकर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जम्मू नगर निगम की टीमें औपचारिकता निभाने के लिए कभी-कभी छापामारी करती हैं लेकिन कुछ दिन की सख्ती के बाद सब गहरी नींद सो जाते हैं जिससे आज तक हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं।

राज्य में दस साल पहले लगा था प्रतिबंध

जम्मू-कश्मीर में सरकार ने 18 जून 2008 को जम्मू एंड कश्मीर स्टेट नान-बायोडिग्रेडेबल मेटेरियल (मैनेजमेंट, हैंड¨लग एंड डिस्पोजल) एक्ट 2007 के तहत एसआरओ 182 को जारी करते हुए पॉलीथिन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया था। इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में राज्य के सभी पर्यटन स्थलों, स्वास्थ्य संस्थानों में पॉलीथिन की आमद, इस्तेमाल और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए थे। जून 2017 में वन विभाग ने एसआरओ 45 जारी करते हुए 50 माइक्रोन से नीचे की पॉलीथिन पर प्रतिबंध घोषित करते हुए इससे अधिक माइक्रोन के पॉलीथिन के इस्तेमाल की छूट दे दी। जानकार बताते हैं कि 50 माइक्रोन एक मिलीमीटर का दसवां हिस्सा होता है। हालांकि एसआरओ 45 को भी हाईकोर्ट खारिज कर चुका है।

चोरी-छिपे तैयार होता है पॉलीथिन

पॉलीथिन प्रतिबंध के प्रभावी ढंग से लागू न होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण इसकी लगातार जारी आमद है। यूं तो सरकारी रिकॉर्ड में कोई पॉलीथिन बैग बनाने वाली कोई औद्योगिक इकाई नहीं लेकिन सूत्रों की माने तो गंग्याल व बड़ी-ब्राह्मणा के अलावा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में चोरी-छिपे आज भी पॉलीथिन तैयार हो रहा है। इन इकाइयों में चाहे जितना पॉलीथिन बने लेकिन यह शहर की जरूरत को पूरा नहीं कर सकता, लिहाजा दूसरे शहरों से इसकी आमद भी हो रही है। राज्य में पॉलीथिन की आमद सड़क व रेलवे मार्ग से हो रही है लेकिन न तो लखनपुर में इसे रोका जाता है और न ही जम्मू रेलवे स्टेशन पर। ऐसे में साफ है कि पॉलीथिन की यह आमद कुछ सरकारी कर्मचारियों के लिए मोटी कमाई का साधन बन चुका है।

रोजाना निकलता है करीब 200 मीट्रिक टन पॉलीथिन

जम्मू नगर निगम की मानें तो शहर से रोजाना करीब 400 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें से पचास फीसद कचरा सिर्फ पॉलीथिन का होता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहे इस पॉलीथिन का जम्मू में किस धड़ल्ले के साथ इस्तेमाल हो रहा है। पॉलीथिन पर रोक को लागू करने के लिए जब कभी अदालत का डंडा आता है तो सरकारी विभाग अपनी नौकरी बचाने के लिए कुछ कार्रवाई करके रिपोर्ट पेश कर देते हैं।

Related Articles

Back to top button