LIVE TVMain Slideदेशविदेश

पाकिस्तान अगले साल अप्रैल तक फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स की बना रह सकता ग्रे सूची में

आतंकवाद को पनाह देने वाला भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान अगले साल अप्रैल तक फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स की ग्रे सूची’ में बना रह सकता है. पेरिस से प्रकाशित ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है

कि एफएटीएफ का तीन दिवसीय सत्र 19 से 21 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा. पाकिस्तान ने अभी एफएटीएफ के मानदंडों को पूरा नहीं किया है. खबर में जर्मन मीडिया संस्थान डायचे वेले के सूत्रों के हवाले से कहा गया है

कि पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ से हटाने का फैसला अप्रैल 2022 में आयोजित होने वाले एफएटीएफ के अगले सत्र में लिया जा सकता है. जानिए इसका क्या मतलब है और पाकिस्तान पर इसका क्या असर होगा.

इस साल जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काले धन पर रोक नहीं लगाने, आतंकवाद के लिए वित्तपोषण बढ़ाने पर ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा था. साथ ही पाकिस्तान से संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से जुड़े हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे लोगों के खिलाफ जांच करने और उन पर मुकदमा चलाने को भी कहा गया था.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार कमर आगा ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया है कि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहता है या उसे आने वाले वक्त में ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है तो उसे इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड और वर्ल्ड बैंक से कर्ज नहीं मिल पाएगा.

वर्ल्ड बैंक के अलावा एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता बंद होगी और यूएई जैसे देशों से भी लोन मिलना नामुमकिन हो जाएगा. इतना ही नहीं कमर आगा आगे बताते हैं

कि पाकिस्तान की फॉरेन फंडिंग बंद होने के साथ ही कोई भी देश पाकिस्तान में निवेश नहीं कर पाएगा. इसका असर ये होगा कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जाएगी और आर्थिक मोर्चे पर उसकी कमर टूट जाएगी.

बता दें कि भारत लंबे वक्त से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किए जाने की मांग कर रहा है. क्योंकि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय नियमों की अनदेखी कर लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है.

कमर आगा ने बताया कि जब भी पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होती है तो वह कश्मीर का राग अलापने लगता है और गैर इस्लामिक गतिविधियों को बढ़ावा देने लगता है.

पाकिस्तान की ओर से आतंकी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र की तरफ से घोषित आतंकवादियों को सुरक्षित वातावरण मुहैया कराना जाना जारी है. इसलिए पाकिस्तान अभी ग्रे-लिस्ट में है.

मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को लगातार काबू न कर पाने के चलते पाकिस्तान जैसे देशों को सेफ टैक्स हैवन्स भी करार दिया जाता है. एफएटीएफ ऐसे देशों को ग्रे लिस्ट में डालकर एक तरह से चेतावनी जारी करती है.

पाकिस्तान 2018 से तुर्की, चीन और मलेशिया जैसे देशों से सक्रिय राजनयिक समर्थन के माध्यम से कम से कम दो बार एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट में धकेले जाने से बचा है.

पाकिस्तान ने अभी तक 27 में से 21 पैमानों पर ही कार्रवाई की है. छह महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की है. इसमें आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देने के साथ ही मसूद, हाफिज सईद, दाऊद और लखवी जैसी

आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न किया जाना शामिल है. अगर एफएटीएफ की ओर से प्रदान किए गए इन बिंदुओं पर पाकिस्तान जमीनी स्तर पर कार्य नहीं दिखा पाता है तो उसकी ग्रे सूची में बने रहने की आस धूमिल हो जाएगी और वह ब्लैक लिस्ट हो जाएगा.

एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है. ये संस्था ये भी तय करती है कि वित्तीय अपराधों को बढ़ावा देने वाले देशों पर कैसे लगाम लगाई जा सकती है.

Related Articles

Back to top button