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एसबीआई रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वद्धि 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान

नयी दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक ताजा रपट के अनुसार वित्त वर्ष 2021- 22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह उसके पहले के अनुमान से 0.5 अंक नीचे है।
एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग (ईआरडी) ने पहले चालू वित्त वर्ष में वृद्धि 9.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। एसबीआई-ईआरडी की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अुनसार भारत में वस्तुओं और सेवाओं के कुल वास्तविक मूल्य में स्थिर कीमत पर चालू वर्ष 2021-22 की अक्टूबर-दिसंबर में 5.8 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। एसबीआई ईकोरैप शीर्षक रिपोर्ट शोध रिपोर्ट के एसबीई बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने तैयार की है। रपट में चालू वित्त वर्ष के वृद्धि के अनुमान को कम करते हुए कहा गया है बहुरुपिए वायर से ‘लगातार लड़ाईÓ के कारण थकान और विभिन्न झटकों के मिले जुले प्रभाव के कारण वृद्धि प्रभावित हो रही है।
श्री घोष के अनुसार ईकोरैप के ताजा अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत का सकल वास्तविक जीडीपी 2.35 लाख करोड़ रुपये होगा जो महामारी पूर्व के वर्ष 2019-20 से 1.6 प्रतिशत अधिक होगा। जीडीपी में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही, (जुलाई-सितंबर) 2021-22 में 8.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की गयी थी। ‘एसबीआई के नाउकास्टिंग मॉडल के आधार पर लगाए गए अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर21) की अवधि में जीडीपी वृद्धि 5.8 प्रतिशत रहेगी। रपट के अनुसार इसमें कुछ और भी कमी आने का जोखिम है। एसबीआई की रिपोर्ट में पूरे 2021-22 में जीडीपी में वृद्धि के पहले के अनुमान को संशोधित कर 8.8 प्रतिशत कर दिया गया है।
श्री घोष के अनुसार घरेलू अर्थव्यवस्था की दशा में सुधार की प्रक्रिया अभी व्यापक स्तर पर नहीं पहुंची है। निजी उपभोग कम है और महामारी के पूर्व के स्तर से नीचे बना हुआ है। लेकिन फरवरी माह में जल्दी जल्दी आने वाले आंकड़ों में से इसमें तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं।
ग्रामीण बाजार से मिल रहे संकेतकों अनुसार वहां दुपहिया वाहन और ट्रैक्टरी की मांग गत अगस्त से लगातार ढलान पर है। इसी तहर शहरों में टिकाऊ उपभोक्ता सामान और यात्रीकारों की बिक्री भी गिरी है।
तीसरी तिमाही में ओमीक्रॉन की लहर के कारण घरेलू विमान-यात्रियों की संख्या गिरी पर निवेश की गतिविधियों में तेजी दिखी और निर्यात में उछाल जारी रहा। रपट में कहा गया है आर्थिक वृद्धि का आवेग अपेक्षाकृत धीमा है, ऐसे में अनुकूल मौद्रिक नीतियों को पहले की अपेक्षा और अधिक समय तक जारी रखने की जरूरत है।
रपट में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली में नकद धन के प्रवाह को कम करने के उपायों टाला जा सकता है। इससे सरकारी प्रतूभूतियों (जी-सेक) में निवेश के प्रतिफल (यील्ड) में और नरमी आएगी यह वर्तमान 6.7 प्रतिशत से घट कर 6.55 प्रतिशत के आसा पास आ जाएगी।

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