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प्रदेश को अमृत प्रदेश बनाने में जुटीं बुंदेलखंड की 40 हजार महिलाएं

योगी सरकार में प्रदेश को उत्तम और अमृत प्रदेश बनाने में स्वयं सहायता
समूह बड़ी भूमिका निभा रही हैं। यह हम बुंदेलखंड में पिछले 11 वर्षों से फेल
चल रही दुग्ध समितियों की जगह बलिनी दुग्ध उत्पादन कंपनी की कमान
संभाल रहीं स्वयं सहायता समूह के जरिए महज ढाई साल में प्राप्त 16.29 करोड़
के लाभांश से कह सकते हैं जबकि कंपनी ने ढाई साल में करीब 278 करोड़ का
कारोबार किया। इतना ही नहीं 40 हजार महिलाएं कंपनी से जुड़कर आर्थिक
रूप से समृद्ध हुई हैं। वहीं वर्ष 2022-23 में 12 हजार महिलाओं को जोड़ने का
लक्ष्य रखा गया है। स्वयं सहायता समूहों द्वारा बुंदेलखंड में प्रतिदिन 1 लाख आठ
हजार लीटर दूध का संग्रहण किया जा रहा है जो अपने आप में एक मिसाल है।
40 हजार महिलाएं अब तक कंपनी से जुड़ चुकीं
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के एमडी भानू चन्द्र गोस्वामी
ने बताया कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल आठ महिलाओं का इसके
संचालन में अहम योगदान है, जो नारीशक्ति का एक उदाहरण हैं। कंपनी के
सीईओ डाॅ. ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
(एनआरएलएम) के तहत अब तक कंपनी में 839 गांव की 950 स्वयं सहायता
समूहों से जुड़ी महिलाओं सहित कुल 40 हजार महिलाएं सदस्य बन चुकी हैं।
36 हजार से ज्यादा महिलाएं दुग्ध उत्पादक सदस्य शेयर होल्डर
वहीं 675 केंद्रों के माध्यम से 839 गांवों से दूध का कलेक्शन किया जा
रहा है जबकि अतिरिक्त 250 गांवों में दुग्ध संकलन केंद्र स्थापित करने के लिए
काम किया जा रहा है। इससे रोजाना करीब 1.08 लाख लीटर दूध का कलेक्शन
किया जा रहा है जबकि योजना काे बुंदेलखंड के चित्रकूट, झांसी, बांदा,
हमीरपुर, जालौन और ललितपुर में संचालित किया जा रहा है। आने वाले दिनों
में इसका विस्तार करते हुए महोबा को भी इस योजना से जोड़ने की तैयारी है
ताकि बुंदेलखंड दुग्ध उत्पादन के मामले में प्रदेश के सामने उभर कर सामने आए।

डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि वर्तमान में कंपनी में 700 गांवों से 36158 महिला
दुग्ध उत्पादक सदस्य शेयर होल्डर हैं।
बॉक्स
बलिया, मिर्जापुर समेत पांच जिलों को दुग्ध वैल्यू चैन परियोजना को हरी झंडी
ग्राम्य विकास विभाग के अनुसार काशी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के जरिए
पूर्वांचल के बलिया, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, गाजीपुर एवं चंदौली में दुग्ध वैल्यू चेन
परियोजना को हरी झंडी दे दी गई है। इसके तहत दुग्ध को इकट्ठा करते हुए
उसका प्रसंस्करण कर बेचा जाएगा। योजना में 3 वर्ष में 35 हजार दुग्ध
उत्पादकों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 42.23 करोड़ के बजट
का प्राविधान किया गया है।

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