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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

उ0प्र0 ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड का गठन और विनियम अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड का गठन और विनियम अनुमोदित कर दिया है।
वन विभाग/उत्तर प्रदेश वन निगम के माध्यम से प्रदेश के वन्य अभ्यारण्य बाहर अनुमेय क्षेत्र में पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं प्रबन्धन हेतु उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड का गठन किया जाना प्रस्तावित है। बोर्ड मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा बफर जोन में निर्माण हेतु पारित आदेशों व नियमों के अधीन कार्य करते हुए पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा व पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधा/अनुभव प्रदान करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु सदैव कार्यरत रहेगा। बोर्ड की संरचना में ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड तथा ईको-टूरिज्म कार्यकारी समिति सम्मिलित होगी। बोर्ड का मुख्यालय लखनऊ में होगा।
मुख्यमंत्री जी ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड के सदस्य 02 प्रकार के होंगे। शासकीय (पदेन) सदस्य एवं विशेष आमंत्री सदस्य। कृषि मंत्री, वन मंत्री, आयुष मंत्री, वित्त मंत्री, पर्यटन मंत्री, सिंचाई मंत्री, ग्राम्य विकास मंत्री, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश वन निगम, मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य संरक्षक और विभागाध्यक्ष बोर्ड के सदस्य तथा अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव पर्यटन बोर्ड के सदस्य सचिव होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन द्वारा समन्वयक की भूमिका का निर्वहन किया जाएगा। आई0आर0सी0टी0सी0 के प्रतिनिधि, सशस्त्र सीमा बल उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फण्ड इण्डिया के प्रतिनिधि, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के प्रतिनिधि, कछुआ कंजर्वेशन फण्ड के प्रतिनिधि, कतर्नियाघाट फाउण्डेशन के प्रतिनिधि, 05 नामित पर्यावरण एवं पर्यटन विशेषज्ञ, विशेष आमंत्री होंगे। इसके अलावा, विशेष आमंत्री के रूप में पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली 02 अन्य ख्याति प्राप्त संस्थाओं का चयन प्रत्येक 02 वर्ष के लिए किया जाएगा।
ईको-टूरिज्म कार्यकारी समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव तथा सदस्य सचिव (पदेन) अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, पर्यटन (वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों एवं वन क्षेत्रों के लिए) तथा सदस्य सचिव महानिदेशक पर्यटन (वन क्षेत्र से बाहर प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों/शेष क्षेत्रों के लिए) होंगे। ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अपेक्षित कार्यवाही का दायित्व कार्यकारी समिति का होगा।
ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड द्वारा पारिस्थितिकी पर्यटन क्षेत्र के विकास हेतु ट्रेकिंग, हाइकिंग, साइक्लिंग आदि, कैरावन टूरिज्म, सी-प्लेन, रिवर क्रूज, एडवेंचर टूरिज्म, होटल/रिजॉर्ट एवं अवस्थापना सुविधाओं का विकास, बैलूनिंग, जंगल कैम्पिंग तथा वेलनेस टूरिज्म-आयुर्वेद/योग/प्राकृतिक चिकित्सा जैसी गतिविधियों से सम्बन्धित विभिन्न कार्य सम्पादित किये जाएंगे।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश में लगभग 16,582 वर्ग कि0मी0 के वन क्षेत्र के साथ अनेक अतिसुन्दर परिदृश्य, वन-विस्तार, बहती नदियों और लुभावने सुन्दर झरनों और बड़ी संख्या में लुप्तप्राय पक्षियों और जानवरों की उपलब्धता है। राज्य में एक राष्ट्रीय उद्यान, 26 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जिनमें से 12 पक्षी विहार हैं। इसके अलावा राज्य 09 ईको-टूरिज्म सर्किट (पश्चिमी वन्यजीव सर्किट, बृजभूमि वन्यजीव/वेटलैण्ड सर्किट, पूर्वी वन्यजीव सर्किट, टाइगर सर्किट, बुन्देलखण्ड सर्किट, विन्ध्य वन सर्किट, गंगा बेसिन/अर्थ गंगा, पश्चिमी पक्षी विज्ञान/आर्द्रभूमि सर्किट तथा सेण्ट्रल आर्निथोलॉजी/वेटलैण्ड सर्किट) से आच्छादित हैं। इसके अतिरिक्त पर्यटन के विकास हेतु सलखान फॉसिल पार्क सोनभद्र, मुक्खा वॉटर फाल सोनभद्र, राजदरी और देवदरी वॉटर फाल चन्दौली, जार्गाे बाँध चुनार तथा सुरहाताल बलिया आदि तथा 10 रामसर साइट्स (बखिरा वन्यजीव अभ्यारण्य, हैदरपुर वेटलैण्ड, नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य, पार्वती आगरा पक्षी अभ्यारण्य, समन पक्षी अभ्यारण्य, समसपुर पक्षी अभ्यारण्य, सांडी पक्षी अभ्यारण्य, सरसाई नवर झील, सुर सरोवर, ऊपरी गंगा नदी) का राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के मध्य प्रचार-प्रसार किया जाना एवं पर्यटकों हेतु मूलभूत जन सुविधाओं का निर्माण एवं विकास किया जाना आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश में सदैव से ही पारिस्थितिकी पर्यटन की अपार सम्भावनाओं के दृष्टिगत पारिस्थितिकी पर्यटन क्षेत्र के सर्वांगीण विकास हेतु पर्यटन विभाग, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, आयुष विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, सिंचाई विभाग, नगर विकास विभाग, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, खेल विभाग, परिवहन विभाग एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के साथ समन्वय करते हुए उत्तर प्रदेश ईको-टूरिज्म डेवलपमेन्ट बोर्ड का गठन किया जा रहा है, जिससे यह भारतीय व विदेशी पर्यटकों के मध्य आकर्षण का केन्द्र बन सकें। इससे उत्तर प्रदेश के पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए व्यावसायियों एवं सेवा प्रदाताओं का आर्थिक उन्नयन होगा। ईको संवेदनशील क्षेत्रों का संरक्षण होने के साथ ही रोजगार एवं राजस्व में वृद्धि हो सकेगी।
परिस्थितिकी स्थलों का संरक्षण, सम्वर्धन एवं विकास किये जाने हेतु स्थानीय निवासियों को गाइड्स की भूमिका में इस परियोजना से जोड़ा जाना है, जिससे प्रदेश में पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा एवं पर्यटकों की संख्या में प्रभावशाली वृद्धि होगी, साथ ही रोजगार सृजन के नये अवसर पैदा होगें तथा राजस्व में भी वृद्धि होगी।
ईको-टूरिज्म जोन में सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जायेगा। जंगल सफारी हेतु वन विभाग की सहायता से गाइडों का प्रशिक्षण एवं उनकी बुकिंग की जायेगी। अवस्थापना एवं आवासीय क्षमता का निर्माण तथा ईको-टूरिज्म हेतु गाइडों का प्रशिक्षण, आतिथ्य, खान-पान और ट्रेकिंग किये जाने की व्यवस्था का विस्तार किया जायेगा।

 

फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट, अलीगढ़ को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ
होटल मैनेजमेण्ट में उच्चीकृत किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट, अलीगढ़ (एफ0सी0आई0) को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेण्ट (एस0आई0एच0एम0) में उच्चीकृत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, वर्तमान फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट, अलीगढ़ के संचालनार्थ राज्य सरकार द्वारा वेतन भत्तों के मद में दिए जा रहे अनुदान को उच्चीकृत होने के उपरान्त नवसृजित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेण्ट, अलीगढ़ को आवंटित किए जाने तथा एस0आई0एच0एम0 के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ होटल मैनेजमेण्ट एण्ड कैटरिंग टेक्नोलॉजी के मानकों के अनुरूप कुल 71 पदों की स्वीकृति तथा वर्तमान में एफ0सी0आई0, अलीगढ़ हेतु स्वीकृत 19 पदों को एस0आई0एच0एम0, अलीगढ़ में संविलीन करते हुए शेष 52 पदों को सृजित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
मंत्रिपरिषद ने प्रश्नगत प्रकरण में अग्रतर आवश्यक निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत करने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान कर दी है।
एफ0सी0आई0, अलीगढ़ को उच्चीकृत/उन्नयन कर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेण्ट (एस0आई0एच0एम0) के रूप में स्थापित किए जाने से संस्थान की क्षमता का विस्तार होगा। प्रतिवर्ष लगभग 1,700 से अधिक युवक/युवतियों को परास्नातक डिग्री, परास्नातक डिप्लोमा, स्नातक डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों को मिलाकर कुल 17 प्रकार के कोर्सों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाना सम्भव हो सकेगा।
शैक्षणिक संस्थान के प्रारूप में परिवर्तन होने के फलस्वरूप रोजगारपरक स्नातक स्तरीय विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षण-प्रशिक्षण होगा। प्रदेश स्तर/स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और स्थानीय विकास भी होगा। इस परियोजना पर आने वाले वास्तविक व्यय भार का आकलन योजनानुसार किया जायेगा। यह राज्य पोषित योजना है।

 

उत्तर प्रदेश रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार
प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) में संशोधन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश के वातावरण में आमूल-चूल परिवर्तन तथा अवस्थापना सुविधाओं में हुए गुणात्मक सुधार के कारण अब कतिपय बड़े आकार के निवेश प्राप्त हो रहे हैं। निवेशकों द्वारा वर्तमान नीति में अनुमन्य प्रोत्साहनों से अधिक प्रोत्साहनों की मांग की जा रही है। इसके दृष्टिगत निवेश को अन्य राज्यों के मुकाबले आकर्षक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) के प्रस्तर-2.5 (उत्तर प्रदेश में उपलब्ध अवसर), 3.1 (नीति के उद्देश्य) का उप प्रस्तर-6, 3.1 (नीति के उद्देश्य) में नया उप प्रस्तर-14 जोड़ा जाना, 3.3 (परिभाषाएं) का उप प्रस्तर-2 में नया उप प्रस्तर-VII जोड़ा जाना, 3.3 (परिभाषाएं) का उप प्रस्तर-6 एवं 7, प्रस्तर-5 (डिफेंस कॉरीडोर में निवेश करने वाली इकाइयों हेतु प्रोत्साहन) का उप प्रस्तर-5.5, प्रस्तर 11 (व्यवसाय में सहजता) का उप प्रस्तर-11.5 तथा प्रस्तर-12.3 के नोट-1 में संशोधन का निर्णय लिया गया है।
उत्तर प्रदेश रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 (यथासंशोधित) के तहत 13 क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने का प्राविधान है। विशिष्ट डिफेंस पैकेजिंग, रक्षा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस क्षेत्र को सम्मिलित करने के लिए नीति में संशोधन किया गया है।
रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत संरचना की घोषणा की गई है। इसके द्वारा देश में 08 ग्रीन फील्ड डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय द्वारा देश के दोनों डिफेंस कॉरिडोर में दो-दो सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, जिसमें राज्य द्वारा सहायता के तौर पर भूमि एवं आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी है। भारत सरकार की डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत संरचना योजना में राज्य प्रतिभाग करेगा। इसके लिए विद्यमान नीति में संशोधन करते हुए योजना के प्राविधानों के अनुसार आवश्यक भूमि डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के नोड्स में दी जाएगी तथा इसकी स्थापना हेतु योजनानुसार वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।
रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई उत्पादों में सामग्री, उपकरण/उपस्कर विनियोजन, इकाई उप संयोजक तथा उपस्कर समाहित होंगे। रक्षा/एयरोस्पेस इकाई उत्पादों में इन उत्पादों के परिवहन हेतु विशिष्ट लॉजिस्टिक्स वाहनों/संयंत्रों को भी सम्मिलित माना जाएगा।
ऐसी इकाई जिसने भारत सरकार के सम्बन्धित अधिनियमों के अन्तर्गत कतिपय डिफेंस आइटम्स अथवा आर्म्स एण्ड ऐम्युनिशन आइटम्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया है तथा मैन्युफैक्चेरिंग प्रारम्भ करना चाहती है, उसे डिफेंस कॉरिडोर में भूमि उपलब्ध कराए जाने की वर्तमान में व्यवस्था नहीं है। ऐसी नई इकाइयों को भी रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई की परिभाषा में सम्मिलित करने के लिए नीति में संशोधन किया गया है।
डिफेंस कॉरिडोर में रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों के मामलों में पश्चसिरा (बैक एन्डेड) पूंजीगत उपादान 07 प्रतिशत की सीमा (अधिकतम 500 करोड़ रुपये) तक अनुमन्य होगा जिसकी गणना भूमि के मूल्य को छोड़कर अर्हकारी स्थावर आस्तियों के आधार पर की जाएगी। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थापित होने वाली सभी रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों के मामलों में पश्चसिरा (बैक एन्डेड) पूंजीगत उपादान 10 प्रतिशत की सीमा (अधिकतम 500 करोड़ रुपये) तक अनुमन्य होगा जिसकी गणना भूमि के मूल्य को छोड़कर अर्हकारी स्थावर आस्तियों के आधार पर की जाएगी।
विनिर्माण इकाइयों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दिये जाने वाले पूंजीगत उपादान की राशि 50 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी। ऐसे प्रकरणों में जहां देय उपादान की राशि 50 करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें 50 करोड़ रुपये से ऊपर की उपादान धनराशि अगले वित्तीय वर्षाें में किश्तों में दी जाएगी।
डिफेंस नोड के अन्तर्गत अधिग्रहीत नवीन विकसित औद्योगिक क्षेत्र में विद्युत प्रणाली तंत्र, जलापूर्ति, सीवर एवं सड़क की सुविधा दी जाएंगी। औद्योगिक क्षेत्र की भूमि के डिमार्केशन और सुरक्षा के लिए पेरिफेरल बाउण्ड्रीवॉल का निर्माण किया जाएगा।
ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री बोर्ड का वर्ष 2021 में निगमीकरण किया जा चुका है तथा बोर्ड 07 सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा इकाइयों में परिवर्तित कर दिया गया है। इसलिए ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री बोर्ड को नीति के सुसंगत प्रस्तरों से विलोपित कर दिया गया है।
इस निर्णय के फलस्वरूप देश की रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम होगी, स्वदेशी तकनीकी के विकास एवं अनुसंधान तथा रक्षा उपकरणों एवं इससे सम्बन्धित सामग्री क्रय करने में कमी आएगी। इससे न केवल परोक्ष/अपरोक्ष रूप से रोजगार का सृजन होगा, अपितु रक्षा क्षेत्र की एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को भी निवेश का अवसर प्राप्त होगा।

जनपद लखनऊ स्थित कुकरैल वन क्षेत्र में
कुकरैल नाइट सफारी पार्क की स्थापना के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद लखनऊ स्थित कुकरैल वन क्षेत्र में कुकरैल नाइट सफारी पार्क की स्थापना के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। इसके अन्तर्गत लखनऊ के वन क्षेत्र के पूर्वी व पश्चिमी ब्लॉक को मिलाकर 2027.4 हेक्टेयर क्षेत्र में से घने जंगलों को डिस्टर्ब किए बिना लगभग 150 एकड़ क्षेत्र में प्राणि उद्यान तथा 350 एकड़ क्षेत्र में नाइट सफारी की स्थापना की जाएगी।
प्राणि उद्यान एवं नाइट सफारी की स्थापना में मौजूदा वनस्पति और जीवों को यथासम्भव प्रभावित न करते हुए, अधिक से अधिक ऐसे खुले क्षेत्र, जो वर्तमान में उपयोग में नहीं हैं, का ही प्रयोग किया जाएगा। प्राणि उद्यान तथा नाइट सफारी की स्थापना हेतु सभी आवश्यक अनुमतियां व अनापत्तियाँ प्राप्त करने की कार्यवाही की जाएगी। यह पूरा वन क्षेत्र जहां-जहां बाहरी क्षेत्र से मार्ग से जुड़ा है, वहाँ चार-लेन के मार्गाें का निर्माण किया जाएगा, ताकि आगन्तुकों को वहाँ आने-जाने में असुविधा न हो।
प्राणि उद्यान तथा नाइट सफारी की स्थापना के लिए मुख्य सचिव के स्तर पर बैठक कराकर इसकी प्रक्रिया का निर्धारण शीघ्रातिशीघ्र कराया जाना है। कुकरैल नदी को चैनलाइज कर यथासम्भव आकर्षक रिवर फ्रण्ट के रूप में विकसित करने की सम्भावनाओं पर विचार किया जाएगा। प्राणि उद्यान तथा कुकरैल नाइट सफारी में आगन्तुकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी।
ऽ यह एक वृहद एवं महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसकी परियोजना लागत कन्सलटेन्ट की रिपोर्ट के उपरान्त आकलित की जाएगी। कुकरैल नाइट सफारी की स्थापना के सम्बन्ध में एक अर्न्तराष्ट्रीय सलाहकार एवं सेण्ट्रल जू अथॉरिटी, नई दिल्ली की नियमावली एवं गाइडलाइंस में वर्णित समस्त कार्यवाही/अनुमति, मास्टर प्लान व मास्टर ले-आउट तैयार किया जाना, कार्यदायी संस्था का चयन इत्यादि प्रक्रियात्मक कार्यवाही को समयबद्ध रूप से परिणति तक पहुंचाने के लिए आवश्यक होगा। प्रस्तावित नाइट सफारी/प्राणि उद्यान की सम्भावित विंग यथा-प्रशासन, पशु चिकित्सा, शिक्षा व्यवस्था, प्रशासन इत्यादि के लिए सम्बन्धित क्षेत्र के अनुभव रखने वाले उप निदेशक स्तर के निःसंवर्गीय 04 पदों तथा प्रशासनिक अधिकारी के 02 पद (निःसंवर्गीय) सृजित किया जाना है।
महत्वपूर्ण बिन्दुओं के निस्तारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक इम्पावर्ड कमेटी का गठन प्रस्तावित है। इस कमेटी में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग/वित्त विभाग/लोक निर्माण विभाग/सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव, जिलाधिकारी लखनऊ को सदस्य तथा प्रभारी इन्चार्ज/सलाहकार नाइट सफारी, इसके सदस्य सचिव/संयोजक होंगे।
प्रस्तावित नाइट सफारी हेतु एक कार्य संचालन समिति भी गठित होगी। इसके पदेन अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा उपाध्यक्ष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष एवं सचिव, निदेशक नाइट सफारी होंगे। इस कार्य संचालन समिति में प्रमुख सचिव पर्यटन/प्रबन्ध निदेशक उ0प्र0 पर्यटन विकास निगम, प्रधान मुख्य वन सदस्य संरक्षक वन्य जीव एवं जिलाधिकारी, लखनऊ को सदस्य के रूप में नामित किया जाना है। प्रस्तावित नाइट सफारी के निदेशक का पद अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के स्तर का होगा।
मंत्रिपरिषद ने इसके अतिरिक्त, परियोजना के सम्बन्ध में अन्य निर्णय लेने/संशोधन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत करने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान की है।
कुकरैल नाइट सफारी पार्क की स्थापना से लखनऊ एवं निकटवर्ती क्षेत्र में पारिस्थितिकी, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास होगा। लखनऊ एवं निकटवर्ती क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण को और बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकेगा। यह ईको पर्यटन, ईको विकास, अनुसंधान, पर्यावरणी शिक्षा, प्रबन्धन के लिए महत्वपूर्ण परियोजना है। कुकरैल नाइट सफारी पार्क की स्थापना से ईको टूरिज्म को प्रोत्साहन मिलेगा। ईको टूरिज्म के माध्यम से रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे। इसके अतिरिक्त, स्थानीय जनसामान्य को ईको पर्यटन से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों जैसे-पर्यटन गाइड, कैटरिंग, साज-सज्जा व्यवस्था इत्यादि क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

उ0प्र0 हथकरघा, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2017 की समयावधि को 03 माह तक के लिए बढ़ाये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश हथकरघा, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंटिंग पॉलिसी-2017 की समयावधि को प्रभावी तिथि 13 जुलाई, 2022 से 03 माह तक के लिए बढ़ाये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि इस नीति की क्रियान्वयन अवधि 13 जुलाई, 2017 से 05 वर्ष तक अर्थात 12 जुलाई, 2022 तक प्रभावी है। वर्तमान नीति 2017 के अन्तर्गत निदेशालय को प्राप्त 85 इकाइयों के प्रस्तावों के सापेक्ष 32 इकाइयों को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी कर दिया गया है तथा धनराशि वितरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इस समस्त इकाइयों को धनराशि वितरण हेतु नीति-2017 के क्रियान्वयन अवधि को अगले 03 माह के लिए बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान नीति-2017 के अन्तर्गत निवेश प्रारम्भ की कटऑफ तिथि निर्धारित न होने के कारण 13 जुलाई, 2017 से पूर्व निवेश करने वाली कई इकाइयों के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। वर्तमान नीति-2017 के समाप्त होने की तिथि तथा नई नीति-2022 के प्रभावी होने की तिथि के मध्य की अवधि में प्रदेश में नई वस्त्र इकाइयों की स्थापना/निवेश का कार्य अवरुद्ध होगा। ऐसी स्थिति में वर्तमान नीति-2017 की क्रियान्वयन अवधि को 03 माह बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

जनपद प्रतापगढ़ में नगर पंचायत मानधाता बाजार के गठन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद प्रतापगढ़ में नगर पंचायत मानधाता बाजार के गठन के सम्बन्ध में अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। साथ ही, अधिसूचना के निर्गत होने के उपरान्त, किसी त्रुटि के परिलक्षित होने पर, आवश्यकतानुसार संशोधन/परिमार्जन के लिए मंत्री, नगर विकास विभाग को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि नगर पंचायत के गठन हेतु शासनादेश संख्या-2979 /9-1-2016-426सा/2014, दिनांक 06 अक्टूबर, 2016 द्वारा मानकों का निर्धारण किया गया है। जब कोई ग्राम पंचायत, नगर पंचायत के गठन किए जाने सम्बन्धी मानक पूर्ण करता है, तो उक्त क्षेत्र में सम्मिलित किए जाने वाले क्षेत्र के सुनियोजित विकास हेतु नगर पंचायत का गठन किया जाता है। विगत कुछ वर्षों से कई ग्रामों या विशिष्ट क्षेत्रों में उत्पन्न शहरी गुणों के दृष्टिगत जनपद प्रतापगढ़ से नगर पंचायत मानधाता बाजार के गठन किए जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव प्राप्त हुआ।
मानक के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव के उपयुक्त पाए जाने पर उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1916 में प्राविधानित व्यवस्था के आलोक में नगर पंचायत मानधाता बाजार के गठन किए जाने के सम्बन्ध में अनन्तिम अधिसूचना निर्गत करते हुए जनसामान्य से आपत्तियाँ एवं सुझाव प्राप्त किए गए। प्राप्त आपत्तियों के नियमानुसार निस्तारण के उपरान्त जनपद प्रतापगढ़ में नगर पंचायत मानधाता बाजार के गठन किए जाने सम्बन्धी अधिसूचना निर्गत करने हेतु मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है।

नगर पालिका परिषद मुंगरा बादशाहपुर, जिला जौनपुर का सीमा विस्तार करने विषयक अधिसूचना का आलेख्य निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने नगर पालिका परिषद मुंगरा बादशाहपुर, जिला जौनपुर में कुल 12 राजस्व ग्रामों को सम्मिलित करते हुए उसका सीमा विस्तार करने विषयक अधिसूचना का आलेख्य निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। अधिसूचना की अन्तर्वस्तु में संशोधन/परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता होने पर मंत्रिपरिषद द्वारा आवश्यक सुसंगत संशोधन/परिवर्तन हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किये जाने का निर्णय लिया गया है।
इस निर्णय से प्रस्तावित क्षेत्र के जनमानस को व्यावसायिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य, यातायात, सफाई व अन्य नागरिक सुविधाओं का लाभ मिलेगा। इससे जनमानस की जीवन शैली की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। ग्रामीण क्षेत्र का नगरीयकरण होने के फलस्वरूप रोजगार सृजन की सम्भावनाएं बढ़ेंगी।

जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लि0, उ0प्र0 राज्य विद्युत उत्पादन
निगम लि0 तथा उ0प्र0 जल विद्युत निगम लि0 के विलय के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड तथा उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड के निदेशक मण्डल द्वारा पारित प्रस्ताव पर विचार करते हुए तीनों निगमों के विलय के प्रस्ताव के अनुमोदन के साथ ही, विलय योजना उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार (राज्य उत्पादन कम्पनियों का समामेलन एवं विलय) योजना-2021 को भी अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने इस विलय योजना के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में अनुषांगिक कार्यवाही हेतु प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को अधिकृत करने का भी निर्णय लिया है।
जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की स्थापना ताप विद्युत परियोजना की स्थापना के लिए कम्पनी अधिनियम 1956 के तहत 04 सितम्बर, 2009 को विशेष प्रयोजन उपक्रम (Special Purpose Vehicle) के रूप में जवाहरपुर तापीय परियोजना को टैरिफ बेस बिडिंग लगाने के उद्देश्य से की गई थी। कालान्तर में इस परियोजना की स्थापना सार्वजनिक क्षेत्र में किए जाने हेतु ऊर्जा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन के पत्र 24 सितम्बर, 2014 द्वारा प्रदत्त सैद्धान्तिक अनुमति के तहत जवाहरपुर विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को अन्तरित कर दिया गया। तदनुसार 16 जून, 2015 से यह उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की सहायक कम्पनी के रूप में कार्यरत हैं। वर्तमान में निगम की कुल प्रदत्त अंश पूंजी 1596.05 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा धारित हैं।
इस प्रस्ताव से राज्य सरकार पर कोई भी व्यय भार नहीं पडे़गा, क्योंकि वर्तमान में कार्यरत विद्यमान कम्पनियों का विलय किया जाना प्रस्तावित है। शासन के अनुमोदनोपरान्त निर्धारित प्रारूप में भारत सरकार के कम्पनी मामलों के मंत्रालय में आवेदन किया जाएगा। कम्पनी मामलों के मंत्रालय में सम्पूर्ण कार्यवाही पूर्ण होने में अनुमानित समय 04 माह तक का रहेगा। प्रस्तावित विलय से कम्पनियों के संचालन में तालमेल, उपव्ययों एवं प्रशासनिक व्यय में कमी, बढ़ी हुई दक्षता और प्रशासनिक नियंत्रण, मशीनरी स्पेयर पार्ट्स आदि सहित संसाधनों का अनुकूलित उपयोग सम्भव हो सकेगा। साथ ही, विद्युत उत्पादन क्षमता 6,134 मेगावॉट से बढ़कर 7,979 मेगावॉट हो जाएगी।

उ0प्र0 जेल मैनुअल-2022 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को प्रख्यापित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में विद्यमान जेल मैनुअल का संस्करण 1941 में प्रख्यापित हुआ था, जिसमें समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन एवं शुद्धिकरण किए गए हैं और जेल मैनुअल के प्रस्तरों में आवश्यकतानुसार संशोधन भी हुए हैं। गृह मंत्रालय, भारत सरकार के आदेशानुसार बी0पी0आर0 एण्ड डी0 (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलेपमेण्ट नई दिल्ली) द्वारा देश के सभी राज्यों के कारागारों में एक समान जेल मैनुअल लागू किए जाने हेतु मॉडल प्रिजन मैनुअल-2003 एवं 2016 की संरचना की गयी। गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस मॉडल प्रिजन मैनुअल को देश के सभी राज्यों में लागू करने की अपेक्षा की गयी है। तत्क्रम में विद्यमान उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के कतिपय अप्रासंगिक नियमों का निरसन, कतिपय नियमों में यथावश्यक संशोधन एवं कतिपय नवीन व्यवस्थाओं को सम्मिलित करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल-2022 को प्रख्यापित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
कारागार की सुरक्षा एवं प्रशासनिक व्यवस्था के संचालन हेतु प्रिजन्स एक्ट 1894 की धारा-59 के तहत उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल की संरचना की गयी थी। उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल में निहित प्राविधान तत्समय की परिस्थितियों के अनुसार प्रासंगिक एवं व्यावहारिक होने के कारण उपादेय थे, किन्तु वर्तमान में बदलते सामाजिक परिवेश, सुधारात्मक दृष्टिकोण व अपराध की नयी-नयी तकनीकों के विकसित हो जाने के कारण उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के कतिपय प्राविधान अप्रासंगिक व अव्यावहारिक हो गए। फलस्वरूप वर्तमान परिदृश्य में कारागार की प्रशासनिक व्यवस्था के प्रभावी एवं सुदृढ़ संचालन हेतु उन्हें संशोधित किए जाने की प्रशासनिक आवश्यकता महसूस की जा रही थी। कारागार प्रशासन के सुचारु रूप से संचालन में कारागार कर्मियों को कोई व्यावहारिक कठिनाई उत्पन्न न हो तथा जेल मैनुअल पूर्णरूपेण उपादेय व सार्थक सिद्ध हो सके, इसी उद्देश्य से उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के प्राविधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
जेल मैनुअल-2022 में प्रस्तावित व्यवस्था के तहत कारागार में निरुद्ध महिला बंदी के साथ रह रहे 03 से 06 वर्ष तक की आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु शिशु सदन, समुचित शिक्षा, चिकित्सा, टीकाकरण तथा 04 वर्ष से 06 वर्ष तक की आयु के बच्चों को, उनकी माता की सहमति प्राप्त करने के बाद कारागार के बाहर किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिलाया जाएगा। वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कारागारों में निरुद्ध महिला बंदियों को सैनेटरी नैपकिन देने का प्राविधान किया गया है। बंदियों की मानवीय आवश्यकताओं के दृष्टिगत उनके रक्त सम्बन्धी अथवा पति/पत्नी की मृत्यु होने पर अंतिम दर्शन का प्राविधान किया गया है। प्रत्येक कारागार में उप जेलर स्तर के एक अधिकारी को कारागार कल्याण अधिकारी के रूप में पदाभिहित किया जाएगा, जो अधीक्षक और जेलर के साथ, महानिदेशक द्वारा प्रत्येक जेल में बंदियों के लिए बनाए गए कल्याण, देखभाल और पुनर्वास कार्यक्रमों के सुचारु और व्यवस्थित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। प्रत्येक जेल में एक बंदी कल्याण कैण्टीन तथा बंदी कल्याण कोष होगा।
महानिदेशक, (कारागार) यह सुनिश्चित करेंगे कि बंदियों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम विकसित किए जाएं, ताकि उनके समाजीकरण और पुनर्वास की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके। राज्य के विभाग, गैर सरकारी संगठन (एन0जी0ओ0), अकादमिक व्यक्ति, कॉर्पोरेट घराने, व्यवसायी या कोई अन्य मान्यता प्राप्त एजेंसी ऐसे कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं, जिनमें बंदियों की शारीरिक और स्वास्थ्य शिक्षा, अकादमिक शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होंगी। जहां तक सम्भव हो, बंदियों के शिक्षा कार्यक्रम को राज्य की शिक्षा प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा, ताकि उनकी रिहाई के बाद बंदी बिना किसी कठिनाई के अपनी शिक्षा जारी रख सकें। ऐसे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए जेल में नियुक्त शिक्षा अध्यापक जिम्मेदार होंगे। शैक्षिक कार्यक्रमों के तहत शुरुआती और अनपढ़ बंदियों के लिए शिक्षण व्यवस्था के साथ-साथ जूनियर हाई स्कूल, हाई स्कूल, इण्टरमीडिएट, स्नातक एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं में सम्मिलित होने का प्राविधान किया गया है।
महानिदेशक कारागार द्वारा जेल में उद्योग और बंदियों की सहकारी समितियों की स्थापना करायी जाएगी। कारागार मुख्यालय पर महानिदेशक,  कारागार की अध्यक्षता में ‘कौशल विकास कार्यक्रम और व्यावसायिक प्रशिक्षण समिति’ का गठन किया जाएगा। समति के कार्यों में कौशल विकास कार्यक्रमों की योजना बनाना, कोष की व्यवस्था, उत्पादन नीति का निर्धारण, विभिन्न स्तरों पर समन्वय आदि प्रमुख हैं।
बंदियों को कुशल बनाने हेतु विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम यथा निर्माण कार्य, राजगीरी, बढ़ई, प्लम्बरिंग, बिजली कार्य, दर्जी, रेडीमेड कपड़े, चमड़ा, कृषि, उद्यान, डेयरी, मुर्गी पालन, फूल उत्पादन, डीजन इंजन, विद्युत पम्प व टैªक्टर की मरम्मत, कम्प्यूटर संचालन आदि की व्यवस्था का प्राविधान है।
ई-प्रिजन प्रणाली के अन्तर्गत बंदियों से सम्बन्धित सभी सूचनाओं का अनिवार्य कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा। समस्त बंदियों के आंकड़ों और अभिलेखों के कम्प्यूटरीकृत रख-रखाव हेतु मुख्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ (आई0टी0 सेल) की व्यवस्था होगी।

जनपद रामपुर के अग्निशमन केन्द्र रामपुर के आवासीय/अनावासीय
भवनों के निर्माण हेतु भूमि हस्तान्तरित किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद रामपुर के अग्निशमन केन्द्र रामपुर के आवासीय/अनावासीय भवन निर्माण हेतु नगर पालिका परिषद् रामपुर के अन्तर्गत ग्राम हजरतपुर, तहसील सदर, आराजी गाटा संख्या-395/1, रकबा-2.477 हेक्टेयर में से अग्निशमन केन्द्र हेतु 7500 वर्ग मीटर भूमि नगर विकास विभाग से गृह विभाग को हस्तान्तरित किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि जनपद रामपुर के अग्निशमन केन्द्र रामपुर के आवासीय/ अनावासीय भवनों के निर्माण कार्य हेतु भूमि हस्तान्तरित किया जाना आवश्यक है। नगर पालिका परिषद् रामपुर द्वारा ग्राम हजरतपुर, तहसील सदर, रामपुर की गाटा संख्या- 395/1, रकबा-2.477 हेक्टेयर में से 7500 वर्ग मीटर भूमि से सम्बन्धित नगर पालिका परिषद् बोर्ड द्वारा अपने प्रस्ताव संख्या (विशेष) दिनांक 01 सितम्बर, 2020 को बहुमत से लिए गए निर्णयानुसार टचिंग ग्राउण्ड की 30 फिट गहराई पर रोड साइड लैण्ड, प्रानपुर रोड की तरफ से व्यावसायिक प्रयोग हेतु बचाते हुए, पीछे की साइड की भूमि गृह विभाग को नगर विकास विभाग, उ0प्र0 शासन लखनऊ से हस्तान्तरित किया जाना है।
जनपद रामपुर के अग्निशमन केन्द्र रामपुर के आवासीय/अनावासीय भवनों के निर्माण कार्यों हेतु/कार्यदायी संस्था सी0 एण्ड डी0एस0 जल निगम को धनराशि  12,82,09,000 रुपये $ जी0एस0टी0 की लागत पर प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करते हुए व्यय हेतु धनराशि 5,12,82,000 रुपये अवमुक्त की गयी, जिसमें से 02 माह के व्यय हेतु धनराशि 2,56,41,000 रुपये का भुगतान कार्यदायी संस्था को किया गया था, परन्तु भूमि उपलब्ध न होने के कारण निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हो सका। जिलाधिकारी, रामपुर द्वारा नगर विकास विभाग को प्रेषित 19 मई, 2022 के पत्र द्वारा यह भूमि नगर विकास विभाग से गृह विभाग के पक्ष में हस्तान्तरित किए जाने का अनुरोध किया गया।

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