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मुख्यमंत्री ने कोरियाई भाषा में जोग्ये बौद्ध संघ के भिक्षुओं

का स्वागत करते हुए उन्हें बधाई एवं धन्यवाद दिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भारत और दक्षिण कोरिया के राजनयिक सम्बन्धों की अर्धशताब्दी पूर्ण होने के उपलक्ष्य में दक्षिण कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ द्वारा भारत के बौद्ध तीर्थांे की 43 दिवसीय सफल पदयात्रा सम्पन्न होने पर आज यहां बौद्ध विहार शांति उपवन में आयोजित जोग्ये बौद्ध संघ के अभिनन्दन समारोह में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री जी ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। मुख्यमंत्री जी ने कोरियाई भाषा में जोग्ये बौद्ध संघ के भिक्षुओं का स्वागत करते हुए उन्हें बधाई एवं धन्यवाद दिया।
उत्तर प्रदेश की पावन धरा पर मित्र राष्ट्र दक्षिण कोरिया से आये बौद्ध भिक्षुओं का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब दोनों देशों की खुशहाली की प्रार्थना भिक्षु संघ या हमारे संत करते हैं तो वह निश्चित ही फलीभूत होती है। उभय राष्ट्रों के सम्बन्धों को मैत्रीपूर्ण प्रगाढ़ता प्रदान करने हेतु जोग्ये बौद्ध संघ की धम्मयात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई है।
दक्षिण कोरिया और भारत की स्वतंत्रता दिवस की तिथि 15 अगस्त एक ही है। वर्तमान में भारत ने अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के उपरान्त अमृत काल के प्रथम वर्ष मंे प्रवेश किया है। भारत और दक्षिण कोरिया, दोनों देश जी-20 समूह के सदस्य हैं। अपनी आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस वर्ष जी-20 की थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ है। यह भारत के प्राचीन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भाव से हमें जोड़ती है। पूरी दुनिया में जब भी मैत्री और करुणा की बात होती है, विश्व मानवता भगवान बुद्ध का स्मरण करती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में यही बात पूरी मजबूती के साथ कही थी कि ‘दुनिया के कुछ देशों ने विश्व मानवता को भले ही युद्ध दिया हो, लेकिन भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है।’ इसीलिए विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है। उत्तर प्रदेश के लिए यह गौरव का विषय है कि भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण स्थल यहां अवस्थित हैं। भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का दो तिहाई हिस्सा उत्तर प्रदेश में व्यतीत किया था।  
भगवान बुद्ध ने वाराणसी के समीप स्थित सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। श्रावस्ती में सर्वाधिक 25 वर्षावास (चातुर्मास) किये थे। संन्यासियों की परम्परा में वर्षा काल के चार मास चातुर्मास के रूप में माने जाते हैं। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में है। श्रावस्ती, कपिलवस्तु, देवदह, कुशीनगर, संकिसा, देवगढ़ ललितपुर, अहिछत्र बरेली, कौशाम्बी यह सभी बौद्ध आस्था के पावन स्थल हैं। इन सभी बौद्ध स्थलों के केन्द्र में प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। लखनऊ चारों तरफ से भगवान बुद्ध के आभामण्डल से घिरा हुआ है।
उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ सरकारी स्तर पर संचालित इतना विशाल बुद्ध विहार-‘शान्ति उपवन बुद्ध विहार’ है, जहां यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान भी है, जहाँ शोधार्थी बौद्ध धर्म पर शोध करते हैं। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ, प्रधानमंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में अवस्थित है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। कुशीनगर में कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट संचालित हो गया है। श्रावस्ती में एयरपोर्ट का विकास युद्धस्तर पर चल रहा है। शीघ्र ही श्रावस्ती को भी वायु सेवा से जोड़ दिया जाएगा। प्रदेश सरकार महात्मा बुद्ध के नाम पर जनपद कुशीनगर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना करने जा रही है।
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत व दक्षिण कोरिया के सम्बन्ध आज नयी ऊँचाइयां प्राप्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी तथा दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति श्री मून जई इन ने वर्ष 2018 में प्रदेश के जनपद गौतमबुद्धनगर स्थित नोएडा में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की नई मोबाइल फोन निर्माण इकाई का संयुक्त रूप से उद्घाटन  किया था। भारत और दक्षिण कोरिया का परस्पर व्यापार 28 बिलियन डाॅलर का है। इसमें भारत 09 बिलियन डाॅलर की वस्तुएं निर्यात करता है और 19 बिलियन डाॅलर का दक्षिण कोरिया से आयात भी करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक युग में भारत और कोरिया के राजनयिक सम्बन्धों के पचास साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन वास्तव में भारत और कोरिया के आध्यात्मिक सम्बन्ध शताब्दियों पुराने हैं। कोरिया के ध्यान पंथ सिओन की उत्पत्ति श्रावस्ती के जेतवन उत्तर प्रदेश से ही हुई है। अयोध्या की राजकुमारी द्वारा लगभग 2,000 वर्ष पूर्व जलमार्ग से अयोध्या से कोरिया की यात्रा की गई थी, जहाँ उनका विवाह वहाँ के स्थानीय राजा किम सूरो के साथ हुआ और राजकुमारी का नाम हू-वांग-आक पड़ा। राजकुमारी हू-वांग-आक एवं राजा किम सूरो से करक वंश की स्थापना हुई। वर्तमान समय में कोरिया में एक बड़ी आबादी इस वंश से जुड़ी हुई है।
दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला महोदया सुश्री किम जुंग-सूक 06 नवम्बर, 2018 को अयोध्या में दीपोत्सव के पावन आयोजन में सम्मिलित हुई थीं। भारत एवं दक्षिण कोरिया के प्राचीन और प्रगाढ़ सांस्कृतिक सम्बन्धों के दृष्टिगत इस अवसर पर दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर क्वीन हो मेमोरियल पार्क परियोजना का शिलान्यास अयोध्या में किया गया था। दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक सम्बन्धों को विस्तार देने के उद्देश्य से अयोध्या में रामकथा पार्क के समीप 11,658 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 21 करोड़ 92 लाख रुपये की धनराशि से क्वीन हो मेमोरियल पार्क का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस पार्क में किंग्स पवेलियन, क्वीन पवेलियन तथा कोरियन वॉल का निर्माण भी किया गया है। अयोध्या तथा कोरिया का गिम्हे शहर सिस्टर सिटी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के धम्म को चीन होते हुए भारत के बौद्ध आचार्य बोधिधम्म द्वारा कोरिया में प्रवेश किया गया। ध्यान परम्परा सिओन का उद्गम स्थल उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती है जहाँ आपकी यात्रा का उपसंहार हुआ है। इस प्रकार जोग्ये बौद्ध संघ के उद्गम की जड़ें भारत में हैं। हमारे सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक सम्बन्ध सदियों पुराने हैं। इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने आध्यात्मिक पूर्वजों के घर आए हैं। यहां आप अपने गुरु भाइयों से मिलने आये हैं।
हमारे देश में भी तीर्थों की पैदल यात्रा की परम्परा है। हमारे पवित्र तीर्थाें में पंचकोसी परिक्रमा, चैदहकोसी परिक्रमा, चैरासीकोसी परिक्रमा और नदियों की भी परिक्रमा नर्मदा परिक्रमा भारत में बहुत पवित्र मानी जाती है। आध्यात्मिक ऊर्जा के केन्द्र उत्तर प्रदेश में आप लोगों की यात्रा का सुखद अनुभव आप अपने देश में साझा करेंगे, तो अन्य लोग भी यहाँ आने के लिए प्रेरित होंगे। भविष्य में संघ के और सदस्यों को प्रदेश में आगमन में स्वागत का अवसर आप सभी उपलब्ध कराएंगे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा कि देश की अतिथि देवो भवः की परम्परा रही है। उत्तर प्रदेश बौद्ध भावना का हृदय स्थली है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में बौद्ध परिपथ को चिन्हित करके विभिन्न स्थलों पर सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। जोग्ये बौद्ध संघ द्वारा भारत के समस्त बौद्ध तीर्थाें की पद यात्रा का महासंकल्प सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत श्री अमित कुमार ने मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2023 भारत और दक्षिण कोरिया के द्विपक्षीय सम्बन्धों का महत्वपूर्ण पड़ाव वर्ष है। प्रदेश सरकार एवं विभिन्न एजेन्सियों द्वारा जोग्ये बौद्ध संघ की सफल पद यात्रा में सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने भारत और दक्षिण कोरिया परस्पर सम्बन्ध व बौद्ध धर्म से जुड़े मधुर सम्बन्धों के लिए जाने जाते हंै। दोनों देश समरसता, लोकतंत्र, मुक्त बाजार, उद्यमशील व नवोन्मेंषी देश हैं। इनके मधुर सम्बन्धों को परस्पर आगे बढ़ाया जा रहा है।
दक्षिण कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ के श्री पूज्य होसान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश की समृद्धि की मंगल कामना की।
हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हुए भारत में दक्षिण कोरिया के डिप्टी एम्बेसडर श्री सांग वु लिन ने इस यात्रा हेतु सहयोग प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री जी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया डिप्लोमेसी सम्बन्ध के 50वीं वर्षगांठ है। यह तीर्थ यात्रा हमारे वर्षगांठ मनाने का यह पहला आयोजन है, जो भारत और दक्षिण कोरिया की आध्यात्मिक सम्बन्ध एवं साझा संस्कृति को दर्शाता है।
इस अवसर पर इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी श्री रिम्पोचे, अध्यक्ष अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान श्री भदन्त शान्ति मित्र, अध्यक्ष उ0प्र0 अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम डाॅ0 लालजी प्रसाद निर्मल, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम, सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं बौद्ध भिक्षु उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि दक्षिण कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ के 108 भिक्षुओं द्वारा भारत के बौद्ध तीर्थांे की 43 दिवसीय (11 फरवरी से 20 मार्च, 2023) पदयात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न की गयी। इस पद यात्रा की शुरुआत सारनाथ से होकर बोधगया, गृद्धकूट पर्वत राजगीर, नालन्दा, वैशाली, कुशीनगर, लुम्बिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती में सम्पन्न हुई। इस धम्म यात्रा के आयोजक सैंगवा सोसायटी इण्डिया पिलग्रिमेज है। इस पावन संघ ने 43 दिन की यात्रा में एक हजार एक सौ अढ़सठ किलोमीटर की पैदल यात्रा की है।

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