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बीजेपी शासित बिहार में मुख्यमंत्री ने खारिज की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जानिए क्यों

केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना के आलोचक रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को औपचारिक रूप से एनडीए सरकार की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना को खारिज कर दिया। इसके बदले नीतीश कुमार ने एक नई योजना लेकर आए हैं जिसमें  किसानों को बिना प्रीमियम अदा किए मुआवजे का प्रावधान है। बिहार में कृषि मंत्री बीजेपी के प्रेम कुमार हैं। 

राज्य सरकार ने बताया कि नई योजना – ‘बिहार राज्य फसल सहायता योजना’ में ‘प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना’ से कवरेज का क्षेत्र बड़ा है। इसमें उन किसानों को भी शामिल किया गया है जिन्होंने राष्ट्रीय और सहकारी बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लिया है। 

केंद्रीय योजना के तहत राज्य और केंद्र दोनों को प्रीमियम की लागत का 49 प्रतिशत देना होता है। जबकि लाभार्थियों को प्रीमियम के बाकी बचे दो प्रतिशत का भुगतान करना होगा। इस योजना के तहत राज्य सरकारें बीमा कंपनियों को कितनी राशि का भुगतान करेंगे है, उसे केंद्र सरकार तय करती है। 

सहकारी विभा के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि 2016 में खरीफ फसल में बिहार ने बतौर अपने हिस्से के प्रीमियम का 495 करोड़ रुपया दिया, जबकि किसानों को फसल क्षति के लिए मुआवजे के रूप में केवल 221 करोड़ रुपये ही मिले। 

प्रसाद ने बताया कि कोई भी किसान जो इस योजना के तहत पंजीकृत रहेंगे उन्हें प्रीमियम जमा नहीं करना होगा बल्कि प्राकृतिक कारणों की वजह से फसलों को पहुंची क्षति मामले में इसका लाभ लेने के हकदार होंगे। उन्होंने बताया कि पहले वाली योजना में किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बीमा योजना के तहत वह राशि भी नहीं मिली जिसे उसने फसलों के बीमा के लिए प्रीमियम राशि (495 करोड़) के तौर पर जमा किया था. 

प्रसाद ने स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है न कि बीमा योजना। यह रैयत और गैर रैयत, दोनों तरह के किसानों  के लिए है।

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