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प्राथमिक स्कूमल में बर्बाद किया जा रहा शिक्षकों का समय, पढ़ाने के अलावा लादे जा रहे हैं कई काम

लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग  में आये दिन तरीको में बदलाव किये जा रहे है शिक्षकों को राहत देने के बजाय उनकी समस्याएं और अधिक बढ़ाते जा रहे हैं। कभी एनजीओ के जरिए पढ़ाई के लिए अलग अलग तरीकों की नसीहत दी जाती है तो कभी शिक्षकों से डाटा फीडिंग कराया जाता है।

शिक्षकों के अनुसार एक विद्यालय में कई एनजीओ काम कर रहे हैं। हर एनजीओ का अपना अलग अलग काम करने का तरीका है। अधिकारियों द्वारा एनजीओ का तरीका अपनाने का दबाव शिक्षकों पर बनाया जाता है। एनजीओ के अनुसार काम न करने पर अधिकारियों की डाट भी लगाई जा रही है। यहां तक की कई एनजीओ ऐसे भी हैं जो शिक्षकों से अपने जरूरत का डाटा भी अपलोड कराते हैं। इस कारण शिक्षकों का कीमती समय बर्बाद होने के साथ ही वह शिक्षण की अपनी मूल विधा भी भूलते जा रहे हैं।

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन की बैठक प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में शिक्षकों ने प्रेरणा एप के जरिए सेल्फी पोस्ट किए जाने के आदेश का पूरी तरह से  विरोध किया है। शिक्षक संगठनों ने कहा सेल्फी की व्यवस्था पहले डिग्री कॉलेजों में लागू की जानी चाहिए थी क्योंकि वहां शिक्षकों की संख्या कम होती है। इसके बाद माध्यमिक में लागू किया जाना चाहिए था। इसके बाद यदि सार्थक परिणाम आते तो इसे बेसिक शिक्षकों पर लागू किया जाना चाहिए था। क्योंकि प्रदेश भर में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की संख्या लगभग छह लाख है। संगठन का इस बात को लेकर विरोध है कि आखिर परिषदीय स्कूल के शिक्षकों की भूमिका पर ही शिक्षा विभाग क्यों संदेह कर रहा है। बैठक में मुख्य रूप से महामंत्री आशुतोष मिश्र, कोषाध्यक्ष रचना राजपूत, सचिव लल्ली सिंह, सहसंयोजक राकेश चतुर्वेदी, संगठन मंत्री रंजना मिश्र, पीयूष त्रिपाठी व अनुराग समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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