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दिल्ली: औद्योगिक प्रदूषण कम करने को राज्यों पर कसी नकेल…

औद्योगिक इकाइयों के जल और वायु प्रदूषण की ऑनलाइन निगरानी में ढीलाई बरत रहे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को सक्रिय होना ही पडे़गा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने ऐसे सभ राज्यों को चेतावनी भरा नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में उन्हें हर हाल में 20 सितंबर तक ऑनलाइन निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। ऐसा नहीं किए जाने पर 26 सितंबर को अपनी वेबसाइट पर राज्यों और उनकी औद्योगिक इकाइयों का नाम डालने की चेतावनी भी दे दी है।

दिल्ली-एनसीआर सहित देश भर में 4,865 औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं, जिन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सर्वाधिक प्रदूषित श्रेणी में रखा हुआ है। इन सभी में ऑनलाइन कांटीन्यूएंस इमीशन मॉनिर्टंरग सिस्टम (ओसीईएमएस) लगाना अनिवार्य है। इसके लिए सीपीसीबी ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को पहले 13 और फिर 17 अप्रैल 2018 को पत्र लिखकर 31 मई 2018 तक यह व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसीलिए अब 25 जून को सीपीसीबी ने सख्त चेतावनी भरा नोटिस जारी किया है।

इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि जिन औद्योगिक इकाइयों में यह सिस्टम लग गया है, वहां भी उसमें हेराफेरी की जा रही है। सीपीसीबी ने अपनी निगरानी में पाया है कि प्रदूषण फैल अधिक रहा है, लेकिन दिखाया कम जा रहा है। इसीलिए राज्यों को अपनी निगरानी मजबूत कर बेइमानी कर रही हर इकाई के साथ सख्ती से निपटने को कहा गया है। नोटिस में यह भी दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया गया है कि जो औद्योगिक इकाइयां अब भी लापरवाही बरतेंगी, उन्हें समय सीमा के बाद 15 दिन का नोटिस भेजकर बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

4,865 इकाइयों का ब्रेकअप
3377        वायु प्रदूषण फैलाने वाली
1109        गंगा को प्रदूषित करने वाली
175          जल प्रदूषण फैलाने वाली
179          मेडिकल कचरा फैलाने वाली
25            खतरनाक कचरा फैलाने वाली

सीपीसीबी तो ऑनलाइन निगरानी कर ही रहा है, लेकिन जब तक राज्य स्तर पर सख्ती के साथ ये निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होगी, प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पाएगी। इसीलिए राज्यों सहित केंद्र शासित प्रदेशों को भी नोटिस भेजा गया है। अब भी लापरवाही बरती गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।-ए. सुधाकर, सदस्य सचिव, सीपीसीबी

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