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नीतीश कुमार ने कहा की शराबबंदी पूरे देश में लागू होनी चाहिए

आपको बता दे की दिल्ली में शराब मुक्त भारत पर सम्मेलन में बोलते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने कहा कि शराब पर प्रतिबंध केवल आस-पास के राज्यों में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होना चाहिए उन्होंने कहा कि यह महात्मा गांधी की इच्छा थी क्योंकि उन्होंने कहा था कि शराब जीवन को नष्ट कर देती है साथ ही उन्होंने यह भी कहा की शराबबंदी से राजस्व संग्रह पर कोई असर नहीं पड़ता है.

बिहार उदाहरण है कि शराबबंदी के बाद समाज में बड़ा बदलाव आया है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि शराबबंदी के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन सराहनीय प्रयास है. बापू की भी यही सोच थी. लेकिन उनकी बात को लोगों ने भुला दिया.

वर्ष 1977 में प्रधानमंत्री रहते मोरारजी देसाई ने देशव्यापी शराबबंदी की कोशिश की थी. ऐसी ही पहल बिहार के मुख्यमंत्री रहते जननायक कर्पूरी ठाकुर ने किया था. लेकिन उनके पद से हटते ही इस कदम को हटा दिया गया. वह रविवार को शराब मुक्त भारत के राष्ट्रीय सम्मलेन में बोल रहे थे

मिलिता ओड़िसा निशा निवारण अभियान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे. इसके अलावा राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, गांधीवादी राधा भट्ट भी अतिथि थीं. मुख्यमंत्री ने बिहार में शराबंदी के फैसले पर कहा कि 2005 से पहले बिहार में शराब बिक्री के अनुपात में राजस्व नहीं मिलता था.

हमारी सरकार ने पहले नेक्सस को तोड़ा, तो आमदनी बढ़ने लगी. लेकिन मुझे आमदनी से अधिक चिंता लोगों के स्वास्थ्य की थी. ऐसे में शराब से नुकसान के लिए जनजागरण अभियान चलाया. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद आये सामाजिक बदलाव का अध्ययन करना चाहिए. बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध में कमी आने के साथ दूध की मांग बढ़ी है.

शराब से बचे पैसे का उपयोग लोग गाड़ी खरीदने, घर बनाने और कमाई के दूसरे साधन पर खर्च कर रहे है गांधीवादी राधा भट्ट ने कहा कि शराबबंदी साहसिक फैसला है. बिहार के मुख्यमंत्री ने यह कर दिखाया है. देश को नशामुक्त कर गरीबी मिटायी जा सकती है. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट की वकील अधिश अग्रवाल, नशा के खिलाफ अभियान चलाने वाली पूजा भारती, सामाजिक कार्यकर्ता वाणी दास, स्वामी संतोषनंद और अन्य लोग शामिल हुए.

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