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CM v/s LG : दिल्ली में अधिकारों को लेकर जंग जारी, फिर बढ़ा सियासी घमासान

उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को स्पष्ट कर दिया है कि अफसरों के तबादलों व तैनाती का अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं मिलेगा। इस संबंध में वह गृह मंत्रालय का आदेश ही मानेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज नहीं किया है। उन्होंने केजरीवाल को दिल्ली के विकास में पूरी तरह से सहयोग करने का आश्वासन दिया।

उधर, केजरीवाल ने एलजी के इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताया। अब केजरीवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने का समय मांगा है।

तय समय के मुताबिक, शुक्रवार अपराह्न् तीन बजे अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया उपराज्यपाल से मिलने राजनिवास पहुंचे। करीब 25 मिनट की मुलाकात में मुख्यमंत्री ने एलजी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में बताया और उनसे सहयोग की अपील की। एलजी ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। इसके लिए भी सहमति दे दी कि उन्हें हर मामले की फाइल भेजने की जरूरत नहीं है।

वहीं, जब दिल्ली सरकार में तैनात आइएएस और दानिक्स (दिल्ली, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह सिविल सेवा) अधिकारियों के तबादलों और तैनाती का मुद्दा उठा तो एलजी ने इस पर सहमति नहीं दी। केजरीवाल ने उनसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पैराग्राफ 277 में लिखा है कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा शेष सभी मामलों का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है, लेकिन एलजी ने इसे मानने से इन्कार कर दिया।

उन्होंने कहा कि वह गृह मंत्रालय द्वारा 21 जून 2015 को जारी की गई अधिसूचना को मानेंगे, क्योंकि कोर्ट ने उसे खारिज नहीं किया है। उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद अपने सरकारी आवास पर पत्रकार वार्ता में अरविंद केजरीवाल ने एलजी के रवैये पर आपत्ति जताते हुए कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब केंद्र सरकार ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करेगी। इससे दिल्ली में अराजकता की स्थिति उत्पन्न होगी।

दिल्ली के विकास का दायित्व दिल्ली सरकार का है। अफसरों से काम भी उसे ही कराना है, लेकिन नियुक्ति और तबादलों का अधिकार केंद्र सरकार के पास ही रहेगा। केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि गृह मंत्रालय ने ही एलजी को कोर्ट का आदेश नहीं मानने की सलाह दी है, इसलिए अब वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर इस मामले पर बात करेंगे।

कार्मिक मामले अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि कार्मिक मामलों पर कोई अंतिम रुख अपनाना कानून के खिलाफ होगा, क्योंकि यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और उपराज्यपाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने से इन्कार कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस आरोप से भी इन्कार किया कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के अधिकारों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश के किसी भी हिस्से की अनदेखी करने की सलाह दी गई है। गृह मंत्रलय के बयान के मुताबिक, ‘यह सलाह कानून मंत्रलय की उस राय पर आधारित है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मामला उचित नियमित पीठ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 145(3) के प्रावधानों के मुताबिक है।’

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