मुन्ना बजरंगी हत्याकांड: चश्मदीद ने किये खुलासे
बागपत के अब्दुलपुर स्थित जिला कारागार में मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में सुनील राठी के कुबूल नाम के बाद भी कई ओर राज खुल रहे है. जेल में मुन्ना बजरंगी और विक्की सुन्हैड़ा ने जश्न मनाया, सुनील राठी- बजरंगी की झड़प के बाद सुनील के पास फ़ोन आता है और इस फ़ोन के कुछ देर बाद ही सुनील मुन्ना बजरंगी का काम तमाम कर देता है. यह घटना क्रम जेल में बंद एक कैदी ने किया है जो घटना का चश्मीदीद है. जेल अधीक्षक विपिन मिश्रा ने कहा कि फिलहाल जेल प्रशासन के अलावा स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है. सुनील अपने बचाव में बजरंगी की हत्या करना बता रहा है लेकिन यह बात पच नहीं रही है. बहुत जल्द स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. जांच जारी है. मुन्ना की हत्या की रत की घटनाएं- टिफिन से जेल पहुंची पिस्टल, राठी ने हत्या के बाद नहाया, बाहर से एक फोन आना, जिसके बाद हत्या, मोबाइल फोन अभी तक नहीं मिला, पूर्व सांसद से राठी की भेंट.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, रविवार रात वह खाना खाकर जेल परिसर में टहल रहा था, करीब सवा नौ बजे जेल का मुख्य द्वार खुला और बाहर खड़ी एक एंबुलेंस को देखकर ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों में हड़बड़ी मच गई, एंबुलेंस को चेकिंग के बाद अंदर प्रवेश दिया गया, जिसमें से डरा-सहमा हुआ मुन्ना बजरंगी नीचे उतरा, कई सुरक्षाकर्मी तीन चरण में तलाशी लेकर बजरंगी को तन्हाई बैरक की ओर ले गए, इसी बीच विक्की सुन्हैड़ा आया और बजरंगी के गले मिलकर उसका स्वागत किया, बजरंगी को अलग बैरक में ले जाया जाने लगा तो बजरंगी की मांग पर विक्की और बजरंगी को एक बैरक में रखा गया, थोड़ी देर बाद बराबर वाली बैरक में बंद सुनील राठी उनकी बैरक में आया और हंसी-ठिठोली होने लगी,सुबह पांच बजे सुनील की बजरंगी की कहासुनी हुई.
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया इसी बीच सुनील के पास एक फ़ोन आया फिर सुनील ने पिस्टल से बजरंगी पर एक मैगजीन खाली कर दूसरी मैगजीन डाली और फिर एक के एक बाद एक सभी गोलियां बजरंगी को मार कर ढेर कर दिया. यह देखकर वहां तैनात एक पुलिसकर्मी भी भाग निकला. पांच मिनट बाद पुलिसकर्मी मौका-ए-वारदात पर पहुंचे. बाद में सुनील ने इतना जरूर कहा कि वह मुझे मारने आया था, मैंने उसे मार दिया. प्रत्यक्षदर्शी ने कहा सुनील के पास पिस्टल पहले से थी. सुनील के पास आये उस फ़ोन पर संशय है पर मोबाइल अभी तक नहीं मिला है.राठी की दबंग जेल में भी थी. मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुबूत मिटाने के लिए सुनील राठी नहाया. राठी ने वारदात के बाद अपने कपड़े भी धुलवा दिए थे. बागपत जेल में राठी ने सीसीटीवी कैमरे न होने की बात राठी को मालूम थी जिसका उसने भरपूर फायदा उठाया. जेल में राठी से मिलने आने वाले उसके खास लोगों की जेल रजिस्टर में एंट्री तक नहीं होती थी. शक की सुई जेल प्रशासन पर भी है.