दिल्ली छोड़ने से पहले महात्मा गांधी की पौत्रवधू ने कहा कुछ ऐसा कि सन्न रह जाएंगे आप
नवंबर, 2016 में पति कनु गांधी की मौत के बाद से एक साल से गुमनामी की जिंदगी जी रहीं डॉक्टर शिवा लक्ष्मी गांधी को लेकर सनसनीखेज जानकारी मिली है। पता चला है कि तकरीबन तीन सप्ताह पहले वह दिल्ली छोड़कर सूरत चली गईं। डॉक्टर शिवा लक्ष्मी गांधी देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्रवधू हैं।
पिछले एक साल से जी रही थीं गुमनामी की जिंदगी
बताया जा रहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्रवधू डॉक्टर शिवा लक्ष्मी गांधी पिछले एक वर्ष से गुमनामी की जिंदगी जी रही थीं। उत्तर पश्चिमी दिल्ली के गांव कादीपुर में हरपाल राणा के घर पर शिवा लक्ष्मी एक साल पहले रहने आईं थीं। हैरानी की बात है कि इस दौरान शासन, प्रशासन की ओर से कोई उनकी खोज खबर भी लेने नहीं आया।
दिल्ली में बाकी जिंदगी बिताने का इरादा था
डॉक्टर शिवा लक्ष्मी के करीबियों की मानें तो तकरीबन दो साल पहले नवंबर, 2016 में पति कनु गांधी के निधन के बाद उन्होंने बाकी बची हुई जिंदगी दिल्ली में ही बिताने की इच्छा जताई थी।
एक साल से परेशान थी वह
करीबियों की मानें तो शिवा लक्ष्मी पिछले एक साल से दिल्ली के माहौल से कुछ ज्यादा ही परेशान हो गई थी। इसके पीछे दिल्ली का प्रदूषण भी एक वजह बताई जा रही है।
दिल्ली में ‘माहौल ठीक नहीं’
शिवा लक्ष्मी के करीबियों की मानें तो वह दिल्ली के माहौल से ऊब चुकी थीं। उन्होंने कहा भी था कि दिल्ली का माहौल ठीक नहीं है। माना जा रहा है कि यहां पर बढ़ते प्रदूषण से वह परेशान थीं। वहीं, सूरत में उन्होंने कहा कि वह अब बापूजी के कार्यों को करेंगीं।
इंग्लैंड जातीं भी तो कैसे?
शिव की मानें तो कई बार मन किया कि वे भारत छोड़कर इंग्लैंड वापस चली जाएं, लेकिन वहां भी कोई ठिकाना नहीं। ताजा बयान के मुताबिक, वह अब गुजरात के सूरत में ही रहेंगी और गांधी जी के कामों को आगे बढ़ाएंगीं।
…इसलिए चर्चा में आईं थी राष्ट्रपति महात्मा गांधी की पौत्रवधू
यहां पर बता दें कि दो साल पहले अचानक ही लोगों को पता चला था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र कनु गांधी और पौत्रवधू डॉक्टर शिवा लक्ष्मी गांधी के पास रहने को छत तक नहीं है और दिल्ली में एक ओल्ड एज होम में रहने को मजबूर हैं। कनु गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास की इकलौती संतान हैं।
कनु-शिव के कोई बच्चा नहीं
शिव लक्ष्मी के मुताबिक, पति कनु भाई अमेरिका में पढ़ाई के बाद नासा के वैज्ञानिक रहे, वहीं पर वह भी प्रोफेसर थीं। उनके कोई बच्चे नहीं हैं। अपने पति कनु भाई गांधी के साथ साल 2014 में अमेरिका से भारत लौटीं थीं।नवंबर, 2016 में महात्मा गांधी के पोते कनु गांधी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
कनुभाई कुछ साल पहले अमेरिका से भारत लौट आए थे। कनुभाई शुरुआत में दिल्ली, वर्धा, नागपुर के बाद मरोली गांधी आश्रम में रहे थे। इसके बाद वो सूरत के एक वृद्धाश्रम में भी कुछ महीना रहे, लेकिन फिर दिल्ली चले आए थे।
मेधावी हैं शिवा लक्ष्मी, इंग्लैंड में बनीं थी प्रोफेसर
इंग्लैंड में पली बढ़ीं डॉक्टर शिवा लक्ष्मी के पिता वहीं पर बड़े कारोबारी थे। बचपन से ही मेधावी शिवा ने इंग्लैंड में ही पीएचडी की और वहीं पर प्रोफेसर बनीं। उनके पास अमेरिकी नागरिकता भी है।
गांधीजी की हत्या के समय कनु 17 साल के थे
बातचीत में शिवा ने अपने बारे में बताया था कि 1948 में जब गांधी जी की हत्या हुई थी, उस वक्त वह इंग्लैंड में अपने कॉलेज के लैब में थीं, तब वहां के एक प्रफेसर ने आकर इस बारे में बताया था। जब बापू की 1948 में हत्या हुई, तो वह महज 17 बरस के थे।
शिवा के मुताबिक, महात्मा गांधी चाहते थे कि देश के हर बच्चे को समुचित शिक्षा मिले
पिछले साल दिल्ली के कादीपुर गांव में 15 अगस्त के रोज झंडारोहण भाग लेने के दौरान कनु गांधी की पत्नी (पौत्रवधु) शिवा लक्ष्मी गांधी ने कहा था कि महात्मा गांधी चाहते थे कि देश के हर बच्चे को समुचित शिक्षा मिले। वह चाहते थे कि हर माता-पिता अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं और उनकी देखभाल व परवरिश इस तरह से करें कि बच्चे बड़े होकर देश के विकास में अपना योगदान भी कर सके। गुजरात स्थित साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी से जब लोग मिलने आते थे, तो वह लोगों को अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए जरूर आग्रह किया करते थे।
कई बार गांधी से आश्रम में मिल चुकी हैं शिवा
तब 91 वर्षीय शिवा लक्ष्मी गांधी महात्मा गांधी व साबरमती आश्रम से जुड़ी कई यादों को सुनाकर स्वतंत्रता आंदोलन की यादें ताजा कर दी थीं। उन्होंने बताया था कि वह वर्ष 1930 से 1940 के बीच अपने पिता के साथ कई बार आश्रम में जाकर गांधी जी से मिली थीं। वह उनकी गोद में भी खेल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी अच्छे विचार वाले थे, अपनी बातों को वे अधिक से अधिक प्रसार प्रचार करना चाहते थे। उनकी सोच थी कि अच्छे विचार को पुस्तक का रूप देना चाहिए, ताकि ऐसे विचार कभी खत्म न हो और यह पुस्तकों के माध्यम से अधिसंख्य लोगों तक पहुंच सके। जिससे लोगों की सोच में बदलाव हो सके। वह ऐसा इसलिए चाहते थे कि लोगों में सकारात्मक सोच से समाज की कई कुरीतियां स्वत: समाप्त हो जाएगी।
गांधी आज हमारे विचारों में जिंदा हैं
शिवा लक्ष्मी ने बताया था कि गांधी जी के अच्छे विचारों को आश्रम से निकलने वाली छापा (पत्रिका) नवजीवन में प्रकाशित किए जाते थे। शिवा ने तब कहा था कि गांधी आज हमारे विचारों में जिंदा हैं, लेकिन उनके विचारों को तभी पूरी सार्थकता मिलेगी, जब भारत का एक भी बच्चा शिक्षा पाने से वंचित नहीं रहेगा।