आखिर अपने ही नेताओं को क्यों कारण बताओं नोटिस जारी कर रही कांग्रेस…?
मिशन 2019 के लिए कमर कस चुकी प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी नेताओं की सुस्ती और निष्क्रियता तोड़ने के लिए सख्त रुख अपना लिया है। सभी नेताओं को साफ कर दिया गया है कि पद पर रहना है, तो काम भी करना होगा। इसी का परिणाम है कि नवनियुक्त ब्लॉक अध्यक्षों में से 15 को तो नियुक्ति के सप्ताह भर बाद ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
अब सभी के जवाब आ रहे हैं। कोई विदेश में था। कोई कांवड़ लेने गया था। कोई बीमार था। किसी की पारिवारिक मजबूरी थी। पार्टी ने इन सभी जिला एवं ब्लॉक अध्यक्षों को 14 अगस्त तक कार्यालय खोलने का निर्देश भी जारी कर रखा है। कार्यालय भी ऐसा जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध हों। बूथ स्तर पर कितने कार्यकर्ताओं की सूची तैयार हुई है, वार्ड कमेटियों के अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया में क्या प्रगति चल रही है, इत्यादि पहलुओं पर भी निगरानी की जा रही है।
पार्टी ने बूथ स्तर तक केजरीवाल सरकार के झूठे वादों की पोल खोलने की तैयारी की है। चाहे सीसीटीवी कैमरों का मुद्दा हो, बिजली एवं पानी के दामों में कमी का, स्कूलों में गिरते परीक्षा परिणाम और बच्चों की घटती संख्या का अथवा मुफ्त वाई-फाई सेवा देने का। कांग्रेस बाकायदा इश्तहार छपवाकर कार्यकर्ताओं की मदद से घर घर तक जाएगी।
दिल्ली के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन के अनुसार नेताओं का पद चाहे छोटा हो या बड़ा, पार्टी से ऊपर कोई नहीं है। पार्टी हित में सभी को अपनी सुस्ती छोड़नी होगी। पद भी तभी बरकरार रह पाएगा। अगर कोई सोचता है कि बिना काम किए पद बना रहेगा तो वह गलत है। पार्टी को 2019 और 2020 के चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना है। इसके लिए हर स्तर पर सक्रिय होना ही पड़ेगा।