देश में 26 साल में बढ़ गए डायबिटीज के 3.90 करोड़ रोगी…
जो रफ्तार देश में विकास की होनी चाहिए थी वह रफ्तार बीमारियों ने पकड़ ली है। पिछले 26 सालों में डायबिटीज, कैंसर, ह्रदय और सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से स्टेट लेवल डीजीज बर्डेन रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई। इस रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 1990 से 2016 के बीच डायबिटीज के 3.90 करोड़ मरीज बढ़े हैं। वहीं, आत्महत्या के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुतबिक पिछले 26 सालों में कैंसर, ह्रदय रोह और सांस संबंधी बीमारियों के साथ-साथ आत्महत्या के कारण करीब 21 लाख 71 हजार 314 लोगों की मृत्यु हुई है। हृदय ओर स्ट्रोक के मामले भी 50 फीसद तक बढ़ हैं। यह रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैसेंट में प्रकाशित हुई है।
भारत में मोटापा डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह
देश में डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह मोटापे को बताया गया है। हर 100 ओवरवेट में से 38 भारतीय वयस्क डायबिटीज के शिकार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु, केरल, दिल्ली, पंजाब और गोवा में सबसे ज्यादा डायबिटीज रोगी हैं।
बढ़े सांस के मरीज
देश में सांस संबंधी से संबंधित बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या पांच करोड़ 53 लाख पहुंच गई है, जो 1990 में दो करोड़ 81 लाख थी। देश में बीमारियों से होने वाली कुल मौतों में 10.9 फीसद मौतों का कारण सांस संबंधी बीमारियां होती हैं। 2016 में ही सांस संबंधित बीमारियों से आठ लाख 48 हजार मौतें हुई, जबकि 1990 में संख्या छह लाख 24 हजार थी। आईसीएमआर के महानिदेशक और स्वास्थ्य मंत्रालय के हेल्थ रिसर्च के सचिव डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से शुरू किए गए उज्ज्वला स्कीम से आने वाले समय में देश में सांस संबंधी मरीजों की संख्या में कमी आएगी। हालांकि अब तक इससे किसी तरह की कमी आई है या नहीं इस पर कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
आत्महत्या करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे
पूरी दुनिया में होने वाली आत्महत्याओं में करीब 37 फीसद भारतीय महिलाएं हैं। पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 24 फीसद है। 2016 में देश में 2 लाख 30 हजार 314 आत्महत्या हुईं, वहीं 1990 में इनकी संख्या एक लाख 64 हजार 404 रही।