विदेश

कचरे के ढेर में तब्दील हो रहा है माउंट एवरेस्ट

 दशकों के व्यावसायिक पर्वतारोहण से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले धनी पर्वतारोहियों की संख्या में इजाफा हो रहा है जो वहां के पर्यावरण का कोई लिहाज नहीं रख रहे हैं. लिहाजा माउंट एवरेस्ट कचरे के ढेर में तब्दील होता जा रहा है.

माउंट एवरेस्ट के 8,848 मीटर लंबे मार्ग में पर्वतारोही अपने टेंट, बेकार हो चुके उपकरण, खाली गैस सिलिंडर और यहां तक कि मानवीय अपशिष्ट भी छोड़ आते हैं. 18 बार एवरेस्ट की चढ़ाई करनेवाले पेम्बा दोरजे शेरपा ने कहा, “यह बहुत बुरा है. आंखों में चुभता है.”

पहाड़ पर टनों की मात्रा में कचरे पड़े हैं. एवरेस्ट पर चढ़नेवालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. इस साल कम से कम 600 लोग अब तक चोटी तक पहुंच चुके हैं. इससे समस्या और भी बिगड़ रही है. इसके साथ ही वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी से पिघल रहे हिमनदों के साथ-साथ ये कचरे भी उभर का आ रहे हैं.

बेशक, कचरे कम करने के प्रयास किए गए हैं. पांच साल पहले नेपाल ने नियम बनाया था कि पर्वत पर चढ़ने वाली प्रत्येक टीम को करीब ढाई लाख रुपये जमा करने होंगे. जो पर्वतारोही अपने साथ कम से कम आठ किलोग्राम कचरा लाएगा, उसे यह राशि वापस कर दी जाएगी.

सागरमाथा प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार साल 2017 में नेपाल के पर्वतारोही ने करीब 25 टन कचरा और 15 टन मानवीय अपशिष्ट नीचे लेकर आए. इस मौसम में इससे भी ज्यादा कचरा नीचे लाया, लेकिन यह तो प्रत्येक साल वहां जमा होने वाले कचरे का हिस्सा भर है.

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