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झटके में उठना, तेज शोर, ज्यादा काम … बंद कर रहा दिल की धड़कन

क्षमता से ज्यादा काम व व्यायाम, झटके में नींद से जगने व तेज शोर जैसी चीजों से अचानक हृदय की गति बंद हो रही है। इनमें पीड़ित को कुछ भी समझने का मौका नहीं मिलता और वह मौके पर ही दम तोड़ देता है। पिछले कुछ दिनों में देशभर के अलग-अलग शहरों में इस तरह के कई मामले भी सामने आए हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इसकी वजह कार्डियोमायोपैथी और कुछ सिंड्रोम है। इससे अचानक दिल की धड़कन की गति सामान्य 60-100 से बहुत ज्यादा हो जाती है। हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि कार्डियोमायोपैथी दिल की मासंपेशी में जन्म के बाद कभी भी होने वाला या माता-पिता से मिलने वाला वंशानुगत रोग है। इससे दिल से शरीर में ठीक तरह से खून नहीं पहुंचा पाता और दिल काम करना बंद कर सकता है। वहीं, सिंड्रोम में कई रोगों के लक्षण एक साथ दिखाई देते हैं। इसका सीधा असर दिल की धड़कन पर पड़ता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तरुण कुमार ने बताया कि अचानक ह्दय की गति रुकने में दिल का दौरा एक कारण हो सकता है। इसके अलावा कार्डियोमायोपैथी भी एक प्रमुख कारण है। साथ ही जरूरत से ज्यादा व्यायाम, शोर, अचानक नींद से जगाना भी कारण बन जाते हैं। हमारे ऐसे सिंड्रोम भी कारण बन जाते हैं जिससे अचानक दिल की धड़कन सामान्य से कई गुना तक बढ़ जाती है। इस दौरान कुछ समझने का मौका ही नहीं मिल पाता और ह्दय की गति रुकने से व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसका शिकार होने वाला एक बच्चा भी हो सकता और अधिक उम्र का व्यक्ति भी। सामान्य रूप से ये कारण उन लोगों में ज्यादा पाए जाते हैं जिनके परिवार में किसी न किसी की मौत अचानक ह्दय गति रुकने से हुई हो। हालांकि देखा गया है कि उस दौरान किसी ने इसपर ध्यान ही नहीं दिया हो। वहीं, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल में कार्डियोलॉजी के विभाग प्रमुख डॉ. संदीप बंसल ने बताया कि देश में पांच से सात फीसदी दिल के दौरे के मामले 30 साल के कम उम्र के लोगों में पाए जाते हैं। जबकि करीब 50 फीसदी मामले 45 साल तक की उम्र तक और दो तिहाई मामले 55 साल की उम्र तक में पाया जाता है। उन्होंने कहा कि दिल की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं जिस कारण दिमाग तक खून नहीं पहुंच पाता।

30 के बाद रखे इनका ध्यान
ब्लड प्रेशर
ब्लड शुगर
ब्लड कोलेस्ट्रॉल

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