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माँ ब्रहमचारणी की कैसे करे उपासना आइये जानते है

आज हम बात करेंगे माँ के दूसरे स्वरुप के बारे में की कैसे हम माँ ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न कर सकते है इनकी सम्पूर्ण पूजा विधि मंत्र व भोग क्या है

ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा रूप है इनकी उपासना नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है भगवान् शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यधिक घोर तपस्या माँ ने करी इस कठिन तपस्या के कारण इन देवी को तपश्रीनीः अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाने लगा माँ दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी है बतादे ब्रह्मा का अर्थ तपस्या से है माँ दुर्गा का यह स्वरुप भक्तो और सिद्धो को अनंत फल देने वाला है इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य सदाचार और संयम की वृद्धि होती है | भ्रह्म्चारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिमय अत्यंत भव्य है.

ब्रह्मचारिणी देवी जहा अपने दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण किये हुए है माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में बतादे की भगवान् शंकर जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की और कहा जाता है की एक हजार वर्ष तक इन्होने केवल फल फूल खाकर ही बिताये और सौ वर्षो तक केवल जमीन पर ही रही

Maa Brahmacharini Puja Vidhi And Mantra - Maa brahmacharini : नवरात्रि की  दूसरी रात होती है सबसे खास, माँ ब्रह्मचारिणी का यह मंत्र करेगा हर इच्छा  पूरी | Patrika News

माँ ने कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धुप में घोर कष्ट सहे तीन हजार वर्षो तक बेलपत्र खाये और भगवान् शंकर जी की आराधना करती रही और कुछ समय बाद तो उन्होंने सूखे बेल पत्र भी खाना छोड़ दिए कई हजार वर्षो तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रही कठिन तपस्या के कारण देवी जी का शरीर एक दम छिड़ हो गया देवता , ऋषि सिद्धगण मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया तथा सराहना की और कहा की तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी अब तपस्या छोड़कर कर घर लौट जाओ दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की पूजा व अर्चना की जाती है.

माँ ब्रहमचारणी के उपवास से तप त्याग वैराग्य और संयम की वृद्धि होती है ब्रह्मचारिणी मंगल गृह को नियंत्रित करती है देवी स्वरुप की पूजा से मंगल गृह के बुरे प्रभाव भी दूर होते है नवरात्र के दूसरे दिन हरे रंग के कपडे पहनने से विशेष लाभ प्राप्त होता है

साथ ही ब्रह्मचारिणी को मिश्री शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है इससे माता दीर्घायु होने का वरदान देती है और इस खास दिन पर माँ ब्रह्मचारिणी को सेवंती यानी गुलदावती का पुष्प अर्पण करना चाहिए इन सब का बस इतना सार है की जीवन के कठिन संघर्षो में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए

तत्पश्चात जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धापूर्वक माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है उन्हें सुख की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है हर संकट दूर होते है और जीवन में खुशियां आती है माता को प्रशन्न करने के लिए ॐ ऍंग रिंग क्लिंग ब्रह्मचारिणीय नमः का जाप करना चाहिए। .

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