LIVE TVMain Slideदेशधर्म/अध्यात्म

सूर्य की पूजा से इन मंत्र जाप की विधि से जीवन में सफलता की होती है प्राप्ति

रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं. पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है.

सूर्य की पूजा से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. सूर्यदेव को उगते और डूबते दोनों तरह से अर्घ्य दिया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को मान-सम्मान के साथ आरोग्य प्रदान करने वाला भी माना गया है.

सूर्य का धार्मिक महत्व होने के साथ चिकित्सा पद्धति में भी बहुत महत्व माना जाता है. योग में भी सूर्य नमस्कार को बहुत लाभदायक माना गया है. शास्त्रों के अनुसार किसी भी देवी-देवता की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु

मंत्र जप सबसे उत्तम रहता है. यदि मंत्रों का जाप एक सही विधि, नियम और निष्ठा से किया जाए तो जीवन में अनेक तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि मंत्र का सटीक प्रयोग किया जाए तो अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है. सूर्य के आरोग्य मंत्र का सही विधि से जाप करके आप रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. यदि आप या आपके परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित है

तो सूर्य के आरोग्य दायक मंत्र का जप कर सकते हैं. इससे न केवल रोग से मुक्ति मिलती है बल्कि आपको और भी कई तरह से लाभ प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं सूर्य का आरोग्य दायक मंत्र और विधि.

ऊँ नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे।
आयु ररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।

-सूर्य मंत्र का चमत्कारी लाभ प्राप्त करने के लिए इस तरह से जाप करें.
-सूर्य की उपासना के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए.
-रविवार को सूर्योदय से पहले नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
-उगते हुए सूर्य के समक्ष खुले आकाश के नीचे आसन बिछाकर बैठें.
-सूर्य की ओर मुख करके अपनी आंखें बंद करके सूर्य का ध्यान करें और एक गहरी-लंबी सांस लें.
-अब इस तरह से भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करें कि जैसे आपके रोम-रोम में उनका दिव्य प्रकाश प्रवेश कर रहा हो.
-इसी ध्यान अवस्था में लगभग 10 से 15 मिनट तक भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करें.
-जब ध्यान की प्रक्रिया पूरी हो जाए तो तुलसी की माला से 251 बार इस मंत्र को बिना बोले अपने मन ही मन में जाप करें.
-जब मंत्र जाप पूर्ण हो जाए तो उसके बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करके तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा दूध और शक्कर डालकर अर्घ्य दें.

Related Articles

Back to top button