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कल है प्रदोष व्रत जाने शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भोलेनाथ के साथ साथ माता पार्वती की पूजा करने का भी विधान है. प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों हर मनोकामना पूरी होती है.

हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है. एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. इस समय सावन का महीना चल रहा है और सावन मास भोलेनाथ का प्रिय महीना है.

ऐसे में सावन मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अधिक महत्व होता है. इस बार सावन माह का पहला प्रदोष व्रत कल है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त के बारे में और इस दिन कैसे करें भोलेनाथ की पूजा.

कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त (गुरुवार) को है. इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ- 5 अगस्त (गुरुवार) शाम 05:09 बजे से
कृष्ण त्रयोदशी समाप्त- 6 अगस्त (शुक्रवार) शाम 06:28 बजे तक
प्रदोष काल- शाम 07:09 बजे से रात 09:16 बजे तक

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है. कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. अगर संभव है तो व्रत करें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें.

भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है. भगवान शिव की आरती करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

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