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अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अध्यक्ष से आपात सत्र बुलाने का किया आग्रह

अफगानिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अध्यक्ष भारत से सुरक्षा हालात पर आपात सत्र बुलाने का आग्रह किया है. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ आत्मर ने भारतीय विदेश मंत्री को फोन कर यूएन और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अधिक सक्रिय भूमिका अदा करने की अपील की है.

अफगान विदेश मंत्री ने कहा कि तालिबानी आतंक और अत्याचारों के कारण अफगानिस्तान में नजर आ रही त्रासदी को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के देशों से अधिक व्यापक रोल निभाने को कहा.

भारतीय विदेश मंत्री को फोनकॉल से पहले आत्मर ने काबुल में विभिन्न देशों के राजदूतों और उनके अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को विशेष ब्रीफिंग भी दी.

अफगान राजनयिक सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान ने विश्व बिरादरी से मुख्यतः 6 बिंदुओं पर अपनी चिंताएं शेयर की. इनमें शामिल था- मौजूदा सुरक्षा हालात, तालिबान के साथ विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी, गंभीर मानवीय हालात, सुरक्षा स्थिति सुधारने के लिए सरकार की योजना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तालमेल के प्रयास.

ध्यान रहे कि अपने अध्यक्ष काल यानी अगस्त 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कामकाज का एजेंडा तय होने के बाद यूएन में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने साफ किया था

कि अफगानिस्तान के चिंताजन मौजूदा हालात पर बराबर नजर रखी जा रही है. उन्होंने साफ किया था कि इस बार में सभी सदस्य देशों के साथ मशविरा कर विचार किया जाएगा.

अफगान विदेश मंत्रालय के मुताबिक विदेशी राजनयिकों को बताया गया कि हाल के महीनों में तालिबान के खूनी हमलों में जहां 3000 लोग मारे गए हैं. वहीं तीन लाख लोग विस्थापित होने के मजबूर हुए हैं. मौजूदा हालात के चलते अफगानिस्तान में 1.8 करोड़ लोग गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहे हैं.

इतना ही नहीं, अफगानिस्तान ने विदेशी राजदूतों के साथ साझा किए डोजियर में बताया कि किस तरह तालिबान के साथ 10 हजार से अधिक विदेशी लड़ाके भी लड़ रहे हैं. इनमें लश्कर-ए-तोएबा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, अंसारुल्लाह, जुन्डल्लाह, अल-कायदा,

पूर्वी तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट और इस्लामिक मूवमेंट उजबेकिस्तान जैसे संगठनों के आतंकी शामिल हैं. हालांकि अहम है कि विदेशी राजनयिकों के लिए आयोजित की गई इस ब्रीफिंग में पाकिस्तान के राजदूत मौजूद नहीं थे जो बीते दिनों पाक में अफगान राजदूत की बेटी के अपहरण के घटनाक्रम के बाद से इस्लामाबाद में हैं.

बता दें कि बदली हुई रणनीति में अफगानिस्तान सरकार ने तालिबान पर चौतरफा वार का फैसला किया है. इस कड़ी में आक्रामक सैन्य कार्रवाई के साथ ही अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए तालिबान पर दबाव बनाने की रणनीति शामिल है.

अफगान राजनयिकों के मुताबिक अफगानिस्तान के सुरक्षाबल जहां एक तरफ बड़े शहरों में तालिबान के हमलों को नाकाम करेंगे. साथ ही मानवाधिकार हनन की रोकथाम पर जोर दिया जाएगा. अफगान शांति वार्ता के लिए प्रयासों को बढ़ाने के साथ ही अगले 6 महीनों की सुरक्षा व्यवस्था को लागू किया जाएगा.

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