अब IMF के सामने झोली फैलाएगा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान
गाड़ियां बेच दी. हेलीकॉप्टर बेंच दिए. रेलवे की ज़मीन बेच दी. पीएम हाउस के महंगे सामान बेंच दिए और तो और इमरान खान ने भैंसें तक बेंच दीं. मगर जिस मुल्क पर 30 हज़ार अरब का कर्ज़ा हो और अर्थव्यवस्था काल के गर्त में घुसी हुई हो. उसका इन छिटपुट आमदनियों से क्या ही भला होगा. एक ना एक दिन तो उसे दुनिया के सामने झोली फैला कर खड़ा होना ही था. हां हैरानी, बस इतनी है कि नए पाकिस्तान का वादा करने वाले इमरान खान इंटरनेशनल मोनिटरी फंड यानी आईएमएफ के सामने इतनी जल्दी अपनी झोली फैला देंगे ये किसी नहीं सोचा था.
दुनिया में ना अब पाकिस्तान के नोटों की कोई वक़त बची है. ना ही जिन्ना के मुल्क की. पाकिस्तान कटोरा लिए पूरी दुनिया के सामने खड़ा है और कोई उस कटोरो में भीख डालने तक को राज़ी नहीं. पाकिस्तानी वेबसाइट पर जारी किए गए कुछ कार्टून मुल्क की तमाम हकीकत बयान कर रहे हैं.
बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ से गुहार
मुल्क की अर्थव्यवस्था दमे की मरीज़ की तरह सांस लेने को झटपटा रही है. मगर पाकिस्तान की इकॉनमी में ऑक्सीज़न बची ही नहीं है. लिहाज़ा अब वो अपनी दम तोड़ती अर्थव्यवस्था के लिए किराए की ऑक्सीज़न के लिए दर दर भटक रहा है. और देश के अंदर बढ़ते भुगतान संतुलन संकट से निपटने की खातिर आखिरकार पाकिस्तान अब आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शरण में है.
क्या आईएमएफ देगा पाकिस्तान को पैसे?
पाकिस्तान को नया पाकिस्तान बनाने के तमाम दावों की पोल चंद महिनों में ही खुल गई और पड़ोसी मुल्क अपनी रिवायत पर वापस लौट आया. पाकिस्तान में भीख मांगने की पुरानी रिवायत है. मुल्क का तमाम पैसा हथियारों को खरीदने और आतंकियों को भारत में अशांति फैलाने के लिए खर्च करने वाले पाकिस्तान ने हमेशा की तरह एक बार फिर खुद को बदहाल घोषित कर आईएमएफ के सामने झोली फैलाई है. पाकिस्तान सरकार ने देश की खराब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए आईएमएफ से बेल आउट पैकेज की मांग की है. इसके लिए पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर ने इंडोनेशिया में आईएमएफ के अधिकारियों से मुलाकात भी की है.
इमरान सरकार ने टेक दिए घुटने
हालांकि आईएमएफ पाकिस्तान को इस बेल आउट पैकेज की मंज़री दे दे इसकी उम्मीद कम ही लग रही है. क्योंकि एक तरफ तो उसका निर्यात मंदा पड़ा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ इमरान का मुल्क गर्दन तक कर्ज में डूबा हुआ है. लिहाज़ा संकेत बेहद खराब हैं और उम्मीद बिलकुल कम.
बेल आउट पैकेज के खिलाफ अमेरिका
तो एक तरफ पाकिस्तान के अंदरूनी हालात उसका साथ नहीं दे रहे हैं. तो दूसरी तरफ अमेरिका भी पाकिस्तान के इस बेल आउट पैकेज के खिलाफ खड़ा हो गया है. अमेरिका की दलील है कि पाकिस्तान कर्जे में मिली रकम से मुल्क की अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाए चीन का उधार चुका सकता है. लिहाज़ा इस बेलआउट पैकेज को लेकर आईएमएफ को ट्रंप ने चेतावनी दी है.
तीन देशों से कर्ज मांग सकता है पाकिस्तान
हालांकि पाकिस्तान ने भीख मांगने के कई और विकल्प खोल रखे हैं. मुल्क के नए वज़ीर-ए-आज़म का कहना है कि अगर आईएमएफ से कर्ज़ा नहीं मिला तो वो तीन और मुल्कों से उधार लेने की पहल कर सकते हैं. इमरान को उधार आईएमएम से मिले या किसी मुल्क से इसका खामियाज़ा तो उस जनता को चुकाना पड़ेगा जो इस उम्मीद में बैठी थी कि उनका नया कप्तान उनके लिए अच्छे दिन लाएगा. मगर जो हालात बन रहे हैं, उससे तो लगता है कि बिजली और गैस पर मिलने वाली सब्सिडी भी इमरान को कम करनी पड़ जाएगी.
प्रधानमंत्री बनने से पहले यही इमरान खान थे जो देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए इस तरह के कदमों का विरोध किया करते थे. मगर अब जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है और डॉलर की कीमत 122 पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच चुकी है. तो शुरुआती हिचकिचाहट और इंतज़ार के बाद आखिरकार इमरान को भी आईएमएफ से सामने कटोरा लेकर खड़ा ही होना पड़ा.