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तालिबानी से पाकिस्तान ने जताई नाराजगी जाने क्या है मामला ?

पाकिस्तान और तालिबानी निजाम वाले अफगानिस्तान के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कम से कम वैसा ठीक तो कतई नहीं जैसा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाक पीएम इमरान खान दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.

इसकी तस्दीक जमीन से आती खबरें भी कर रही हैं. महज दो दिन पहले अफगानिस्तान के तालिबान राज ने पाकिस्तान से लगती चमन-स्पिन बोल्दाक बॉर्डर को अचानक और बिना किसी नोटिस बंद कर दिया है.

बॉर्डर गेट बंद कर बाकायदा सीमेंट के बड़े रोड ब्लॉक खड़े कर दिए गए. जाहिर है तालिबान के इस कदम से पाकिस्तान तिममिलाया हुआ है क्योंकि इस बॉर्डर गेट से कारोबारी सामान से लदे ट्रकों की आवाजाही होती है.

साथ ही लोगों का भी आना जाना बड़ी संख्या में होता है. हालांकि दोनों के बीच अन्य बॉर्डर गेट तोरखम अभी खुला हुआ है. जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान और तालिबान में सीमा प्रबंधन मामलों को

लेकर उभरी असहमतियों की वजह से तालिबान ने फैसला लिया है. पाकिस्तान की तरफ से अफगानियों की आवाजाही पर लगाई गई नई और ताजा शर्तें भी इस विवाद की एक बड़ी वजह हैं.

दरअसल, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से आने वाले हर शख्स के लिए वीजा समेत इंटीरियर मिनिस्ट्री से एक NOC लेने की शर्त भी लगा दी है. यानि वैध वीजा रखने के साथ ही अब अफगान नागरिक को पाकिस्तान जाने के लिए पाक गृह मंत्रालय से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र भी हासिल करना होगा.

एनओसी नहीं मिलने पर यात्रा मुमकिन नहीं होगी. जाहिर है ये फैसला कई लोगों को रोकने वाला कदम है. हालांकि अफगानिस्तान से आवाजाही मामले पर इमरान खान सरकार के भीतर भी मतभेद नजर आते हैं.

चंद रोज पहले प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार शहजाद अरबाब ने ट्वीट कर कहा था कैबिनेट ने अफगानिस्तान सीमा से आ रहे लोगों की वसूली शिकायतों को गम्भीरता से लिया है. उसे बंद होना चहिए और वैध वीजा धारकों को सहूलियत के साथ दाखिल होने की इजाजत होनी चहिए.

जाहिर है यूएन समेत दुनिया के मंचों पर खुद को अफगानियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह और वकील दिखाने वाले इमरान खान अपनी छवि एक हमदर्द रहनुमा की बनाना चाहते हैं. लेकिन उनके ही गृह मंत्री शेख राशिद का महकमा अफगानिस्तान से आ रहे लोगों के लिए पाबंदिया लगा रहा है.

पाबंदियां से बचने का गलियारा निकालने के लिए वसूली का कारोबार भी चल रहा है. काबुल में पाकिस्तान दूतावास में किस तरह वीजा बेचने और सरहद पर गेट पास देने के लिए खुले आम वसूली का कारोबार चल रहा है इसकी शिकायतें पाकिस्तानी मीडिया में भी सामने आई हैं.

हाल ही में पाकिस्तानी नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी सभी पाक एयरलाइनों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि बिना NOC के किसी भी अफगान नागरिक को अफगानिस्तान से पाकिस्तान आ रही उड़ान में बैठने की इजाजत न दी जाए.

हालांकि सीमा प्रबंधन को लेकर उठा ताजा विवाद कोई अकेला मुद्दा नहीं है. तालिबान के विभिन्न गुटों में पाकिस्तान की दखलंदाजी और उसके दबदबे को लेकर मतभेद किसी से छुपा नहीं. जिस तरह पाकिस्तान के आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने काबुल पहुंच शो मैनेज किया

और तालिबान सरकार का ऐलान हुआ, उसको पूरी दुनिया ने देखा है. जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे वक्त से सुलगता मुद्दा डूरंड लाइन की सीमा का भी है.

पाकिस्तान हर बार अपनी दोस्ती और मदद का हवाला देकर इस मामले को अपनी मर्जी मुताबिक हल करने की कोशिश करता है. उसका प्रयास है कि डूरंड लाइन ही दोनों मुल्कों के बीच स्वीकार्य अंतरराष्ट्रीय सीमा बना दी जाए.

लेकिन तालिबान उसके लिए न तो 1996-2001 तक चले अपने पिछले निजाम में राजी हुए थे और न ही अब तैयार नजर आते हैं. इस बीच बीते 20 सालों में आई अफगान सरकारों के साथ भी पाकिस्तान का मामला सुलझ नहीं पाया.

जाहिर है सिराजुद्दीन हक्कानी जैसे भरोसेमंद को अफगानिस्तान के बेहद ताकतवर गृह मंत्रालय में बैठाकर पाकिस्तान फिर एक बार डूरंड लाइन के पुराने दर्द की दवा तलाशने में जुटा है.

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