जम्मू कश्मीरप्रदेश

जयराम सरकार के गले की फांस बनी मित्रा मामले में मंजूरी की फाइल

साल 2010-11 में धूमल सरकार के दौरान 118 के तहत जमीन खरीद की मंजूरी देने के नाम पर हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच अब वर्तमान जयराम सरकार के गले की फांस बन गई है। जांच कर रही विजिलेंस ने सरकार से करीब दो हफ्ते पहले राज्य चुनाव आयुक्त पार्थ सारथी मित्रा को आरोपी के तौर पर पूछताछ में शामिल करने की मंजूरी मांगी थी।

लेकिन सरकार न तो जांच एजेंसी की इस मांग को खारिज कर पा रही है और न ही स्वीकार कर रही है। इसके पीछे कारण अपनों पर जांच की आंच आने की संभावना को माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो शुरू में तो सरकार ने विजिलेंस को मामले की जांच करने दी, लेकिन अब न तो राजस्व विभाग संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध करा रहा है और न ही सरकार सहयोग दे रही है।

कारण, 118 की हर अनुमति सरकार के स्तर से दिए जाने की व्यवस्था है। ऐसे में अगर जांच आगे बढ़ी और मित्रा पर शिकंजा कसा तो तत्कालीन सरकार के नुमाइंदे भी जांच की जद में आएंगे।

ऐसा इसलिए क्योंकि मित्रा और मामले के दो आरोपी व्यापारी भी सरकार की भूमिका की जांच की बात कह चुके हैं। उनका साफ कहना है कि जब वह अनुमति की फाइल को सरकार तक पहुंचाने का ही काम कर सकते हैं तो जिन्होंने मंजूरी दी उनसे भी पूछताछ होनी चाहिए।

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