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उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद बलरामपुर में पाटेश्वरी मंदिर, तुलसीपुर में की पूजा अर्चना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद बलरामपुर के माँ पाटेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन तुलसीपुर में श्री ब्रह्मलीन महंत महेंद्र नाथ जी की 21वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर आस्था के प्रतीक के साथ-साथ भारत और नेपाल के सांस्कृतिक स्वरूपों को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण आधार है। नवरात्रि के अवसर पर रतननाथ देवता जी की सवारी देवीपाटन तुलसीपुर आती है। यह सवारी सामान्य सवारी ना होकर भारत और नेपाल के प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने का एक माध्यम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेपाल और भारत दो देश हैं, लेकिन उनकी आध्यात्मिक और संस्कृति एक है। जैसे दो शरीर हैं, लेकिन दोनों शरीरों में एक आत्मा निवास करती है और यही कारण है कि नेपाल का हर व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से भारत को देखता है तो उसे चार धाम नजर आते हैं। हर नेपालवासी मां गंगा का स्नान कर अपने जीवन को धन्य करने का आनंद लेता है। हर भारतवासी जब नेपाल में भगवान पशुपतिनाथ जी के मंदिर को देखते हैं, तो उनकी इच्छा होती है कि वह भगवान पशुपतिनाथ जी का दर्शन अवश्य करें। भारत और नेपाल सांस्कृतिक रूप से एक है। माँ पाटेश्वरी मंदिर भारत और नेपाल की एकता, सांस्कृतिक सम्बन्धों को आगे बढ़ाने का माध्यम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की व्यवस्था में हमारे ऋषि-मुनियों और संतों ने पूरी व्यवस्था में जीवन को पुण्य एवं पाप के साथ जोड़ा है। जो अच्छा करेगा, वह पुण्य का भागीदार होगा, जो गलत करेगा वह पाप का भागीदार होगा। हमारे पाप के लिए अन्य कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं होगा और उसका प्रतिफल उसी रूप में प्राप्त होता है। यह पाप-पुण्य की अवधारणा लोगों को सत्य व धर्म के रास्ते पर चलने को प्रेरित करती है। धर्म केवल एक उपासना या पूजा पद्धति नहीं है, बल्कि नैतिक मूल्यों को अपने अंदर धारण करना, जीवन में सत्य, न्याय के पथ का अनुसरण करना और जिस क्षेत्र में जो व्यक्ति है, वह अगर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक पालन कर रहा है तो वही उसका धर्म है। धर्म केवल उपासना मात्र नहीं है, धर्म हमें सदाचार, नैतिक मूल्य और अपने स्वयं के कर्तव्यों के प्रति निरंतर प्रेरित करता है। भारतीय परम्परा किसी को कोई विशेष पूजा पद्धति का अनुसरण करने के लिए बाध्य नहीं करती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी ने गोरखपुर में गोरक्षपीठ की परम्परा को देखा और वहां कार्य करने का अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने देखा कि गोरखपुर में गोरक्षपीठ में दिग्विजयनाथ महाराज जी, अवेद्यनाथ महाराज जी के मार्गदर्शन में धर्मस्थल कैसे लोककल्याण के माध्यम बने, वहां पर 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के माध्यम से शिक्षा के लिए एक व्यापक अलख जगाने का कार्य किया गया। आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 50 से ज्यादा संस्थान कार्यरत हैं, 5,000 से ज्यादा शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहे हैं, 50,000 से अधिक बच्चे इन संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा 1956 में पॉलिटेक्निक, 1967 में पहले डिग्री कॉलेज की स्थापना के माध्यम से शिक्षा को बढ़ाने का कार्य किया गया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जमीन दान की गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन करने और उसके जीवन को सही मार्ग पर ले जाने के लिए शिक्षा एक सशक्त माध्यम है। गोरखपुर में गोरक्षपीठ द्वारा 1983-84 मे बनवासी छात्रों के लिए छात्रावास की स्थापना की गई, जिसमें थारू जनजाति के छात्रों व नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय क्षेत्रों से जनजाति के छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाती है, उसी तर्ज पर 1993-94 में थारू जनजाति छात्रावास की स्थापना हुई। वर्ष 2012 के बाद जनपद बलरामपुर के बच्चों को आधुनिक शिक्षा मिल सके, इसके लिए देवीपाटन मंदिर में देवीपाटन विद्यालय की स्थापना की गई तथा देवीपाटन तुलसीपुर में थारू जनजाति छात्रावास की स्थापना की गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मंदिर का स्वरूप सेवा का माध्यम होना चाहिए। इसी भावना के साथ महंत महेंद्रनाथ जी ने देवीपाटन तुलसीपुर में लोक कल्याणकारी कार्यों को प्रारम्भ किया किया। वह निरन्तर लोक कल्याणकारी पथ पर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने लोक कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया। लोक कल्याण, मानवता के कल्याण, शिक्षण संस्थाओं की स्थापना, स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा, गौ सेवा के लिए मंदिर का स्वरूप किस रूप में हो, इन सब के लिए विभिन्न कार्यों को उन्होंने आगे बढ़ाया। आज इन सब कार्यों का भव्य स्वरूप देखने को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन 72 वर्ष पहले भारत ने अपने संविधान निर्माण के कार्य को पूरा किया था और 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। भारत का संविधान जाति, धर्म, नस्ल, लिंग के आधार पर अपने नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है। एक समान अधिकार प्रत्येक नागरिक को देता है और उसी समान अधिकार की ताकत सबसे पास है। वह वोट देने के अधिकार के रूप में है, यह वोट का अधिकार व्यक्ति के जीवन को, समाज के जीवन को, राष्ट्र के जीवन को बदल भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। यदि हम अच्छे लोगों को चुनेंगे तो अच्छी सरकारें बनेंगी, विकास का कार्य होगा, सुरक्षा का माहौल बनेगा। लेकिन जब हम जाति के नाम पर, भाषा के नाम पर वोट देते हैं तो उसके बाद यह स्थितियां अन्य होती हैं। अच्छे जनप्रतिनिधियों के चुने जाने की सम्भावनाएं क्षीण हो जाती हैं। वर्ष 2017 से पहले गोंडा से बलरामपुर आने में 3 घंटे व गोरखपुर से बलरामपुर आने में 6 घंटे लगते थे और आज गोरखपुर से जनपद बलरामपुर आने में मात्र ढाई से तीन घंटे लगते हैं। गोंडा से बलरामपुर मात्र 1 घंटे में पहुंचा जा सकता है। आज जनता अंतर महसूस कर रही है। आज जनता को फ्री राशन, शौचालय, अच्छी सड़क, आवास, अच्छी स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर सड़कंे उपलब्ध हो रही है।

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