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लगभग चार दशकों से लंबित सरयू नहर परियोजना चार वर्षों में पूरी

प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प और मुख्यमंत्री योगी के समर्पण के कारण ही
लगभग चार दशकों से लंबित पड़ी सरयू नगह राष्ट्रीय परियोजना चार वर्षों में पूरी
हो गई। प्रधानमंत्री ने शनिवार को बलरामपुर में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का
उद्घाटन किया।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना से 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की
सिंचाई की व्यवस्था होगी तथा पूर्वी उत्तरप्रदेश के 6200 से अधिक गांवों के लगभग
29 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। इससे किसान अब कृषि क्षमता को बढ़ा पाएंगे।
परियोजना में पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस
में जोड़ा गया है।
गौरतलब है कि 1978 में परियोजना पर काम शुरू हो गया था, लेकिन
बजटीय समर्थन की निरंतरता, अंतर विभागीय समन्वय और समुचित निगरानी के
अभाव में, परियोजना टलती गई तथा लगभग चार दशक बीत जाने के बाद भी पूरी
नहीं हो सकी थी।
इस परियोजना से पूर्वी उत्तरप्रदेश के नौ जिलों बहराइच, श्रावस्ती,
बलरामपुर, गोण्डा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और
महाराजगंज को लाभ मिलेगा। क्षेत्र के किसान, जो परियोजना में अत्यधिक देरी
की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान में थे, अब उन्नत सिंचाई क्षमता से उन्हें बहुत
फायदा पहुंचेगा। अब वे बड़े पैमाने पर फसल की पैदावार कर सकेंगे और क्षेत्र की
कृषि क्षमता को बढ़ाने में समर्थ होंगे।
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना एक नजर में
-निर्माण की कुल लागत 9800 करोड़ रुपये से अधिक।
-परियोजना में पांच नदियों घाघरा, सरयू राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस
में जोड़ने का भी प्रावधान किया गया है।

-परियोजना से 15 लाख हेक्टेयर से अधिक खेतों को सिंचाई की सुविधा।
-24 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन होगा।
-पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6227 से अधिक गांवों के लगभग 30 लाख किसानों को लाभ
पहुंचेगा।
-करीब 6600 किमी लम्बी मुख्य और छोटी नहरों का निर्माण।
-सरयू और राप्ती नदी पर दो बड़े बैराज का निर्माण।
-अयोध्या, गोला, डुमरियागंज और उतरौला पम्प कैनाल का निर्माण।

  • नहरों पर 922 हेड रेगुलेटर और 11048 पुलों और नेपाल से आने वाले व क्षेत्रीय
    नालों पर 1495 ड्रेनेज क्रासिंग का निर्माण।

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