जस्टिस अनिरुद्ध के दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनने में फंस सकता है पेच
सरकार और न्यायपालिका के बीच नए सिरे से टकराव बढ़ने के आसार हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की कोलेजियम की सिफारिश में भी अब पेंच फंस सकता है।
कोलेजियम ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश सरकार को गत 10 जनवरी को भेजी थी। सूत्र बताते हैं कि जस्टिस बोस पर पेंच फंस सकता है। उन्हें दिल्ली के बजाय किसी और उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की बात हो सकती है। ऐसे में जस्टिस बोस का नाम पुनर्विचार के लिए कोलेजियम को वापस भेजा जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का पद गत वर्ष 13 अप्रैल, 2017 को न्यायाधीश जी. रोहिणी के रिटायर होने के बाद से खाली है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर सरकार और न्यायपालिका पहले से ही आमने-सामने हैं। सरकार ने जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश पुनर्विचार के लिए कोलेजियम को वापस भेज दी थी।
सरकार का कहना था कि वह आल इंडिया वरिष्ठता में 42वें और चीफ जस्टिस की वरिष्ठता में 11वें नंबर पर हैं। साथ ही वह मूल रूप से केरल हाई कोर्ट से हैं और केरल का पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, जबकि कई राज्यों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार से जोसेफ की सिफारिश वापस आने के बाद न्यायपालिका में कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी।
पहले तो लंबे समय तक सिफारिश दबाकर बैठने पर एतराज करते हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र को पत्र लिख कर आपत्ति जताई थी और मामले पर सात जजों की पीठ में विचार करने की बात कही थी।
सिफारिश वापस आने के बाद जस्टिस जे चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश और कोलेजियम के साथी जजों को पत्र लिख कर जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजने की बात कही थी। इसके बाद कोलेजियम की बैठक में जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजने की सैद्धांतिक सहमति भी बन गई।
हालांकि कुछ अन्य उच्च न्यायालयों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए और नामों पर विचार होने तक जोसेफ की औपचारिक सिफारिश भेजने का मसला टाल दिया गया था। अब जस्टिस बोस का नया मामला खुलता नजर आ रहा है।