जम्मू कश्मीर

देश के वीर जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने लहू से मातृभूमि को सींच रहे हैं

देश के वीर जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नापाक मंसूबे रखने वाले दुश्मन को दूर रखने के लिए अपने लहू से मातृभूमि को सींच रहे हैं। गर्मियों के महीने में जब पाकिस्तान ने आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए सांबा के मंगू चक में गोलाबारी की थी तो असिस्टेंट कमांडेंट जब्बर सिंह जान हथेली पर रखकर दुश्मन से लड़े थे।

जब्बर सिंह बहादुरी की मिसाल बन रही सीमा सुरक्षाबल की 173वीं बटालियन के अधिकारी थे। इस बटालियन के अधिकारी और जवान अपना खून बहाकर सरहद की रक्षा कर रहे हैं। दो वर्षो में इस बटालियन के पांच वीरों ने सीमा पर शहादत दी है। दुश्मन रह-रहकर इस बटालियन का हौसला आजमाता है और हर बार उसे मुंहतोड़ जवाब देकर अपने साथियों की शहादत का बदला लिया जाता है।

इसी साल गर्मियों में सीमा प्रहरियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अकारण गोलाबारी कर अपने साथी की जान लेने वाले पाकिस्तान के 10 रेंजर्स को मार कर बदला लिया था। मंगलवार को फ्रंटियर मुख्यालय में बीएसएफ के आइजी राम अवतार ने भी मई में दुश्मन की भारी गोलाबारी का जवाब देने में जब्बर सिंह की भूमिका को याद किया था। मई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य दौरे से ठीक पहले पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलाबारी शुरू कर दी थी।

इस दौरान सीमा पर गोलीबारी के बीच घुसपैठ को नाकाम बनाते हुए 173वीं बटालियन की बी कंपनी के 28 वर्षीय जवान देवेन्द्र सिंह ने शहादत पाई थी। सांबा सेक्टर में पाकिस्तानी रेंजर्स सीमा सुरक्षाबल की इस बटालियन को दो वर्षो से लगातार निशाना बना रहे हैं। दुश्मन ने सीमा पार अपने स्नाइपर सक्रिय किए हैं, जो मौका मिलते ही सीमा प्रहरियों को निशाना बनाकर खूनखराबा करने की साजिश रचते हैं। यह सीमा प्रहरियों पर दबाव डाल कर घुसपैठ करवाने की पाकिस्तान की रणनीति का हिस्सा है।

मंगलवार को जम्मू में जब्बर सिंह अमर रहे के नारे लगा रहे इस बटालियन के जवानों के चेहरों पर दृढ़ निश्चय झलक रहा था कि किसी भी सूरत में दुश्मन को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। इस वर्ष जनवरी में भी इस बटालियन के जवान आरपी हाजरा पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद हो गए थे।

इसके बाद वीर जवानों ने दुश्मन के करीब 10 रेंजर्स को मारकर इसका बदला लिया था।सांबा सेक्टर में दो नवंबर 2017 को इसी बहादुर बटालियन के जवान तपन मोंडल पाकिस्तान की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब देते शहीद हो गए थे। तपन से पहले अक्टूबर 2016 में भी इसी बटालियन के कांस्टेबल गुरनाम सिंह पाकिस्तान की साजिश को नाकाम बनाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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