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2019 लोकसभा चुनाव में बिहार की राजनीति का खेल बिगाड़ सकता है बॉलीवुड का सेट डिजायनर

बिहार में एक नया सियासी गणित बन रहा है। राज्य की एक नई राजनीतिक पार्टी यहां कई दिग्गजों के खेल को बिगाड़ सकती है। इस पार्टी के संस्थापक हैं मुकेश सहनी जो खुद को सन ऑफ मल्लाह (नाविक) कहते हैं। वह लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में एनडीए या महागठबंधन दोनों में से किसी के नए सहयोगी बन सकते हैं। सहनी की पार्टी का नाम विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) है और वह निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। ये जातियां अत्यंत पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखती है जिन्हें मछुआरे भी कहते हैं।

वर्तमान में निषाद एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जिसे सभी राजनीतिक संगठन अपने साथ करना चाहते हैं। मौसमी राजनेता होने के कारण वह जाति कार्ड को बहुत अच्छी तरह से खेल रहे हैं। एक अखबार से बातचीत में सहनी ने कहा, ‘एनडीए और महागठबंधन के नेता लगातार हमारे संपर्क में हैं। जिसका ऑफर सबसे अच्छा होगा हम उसमें शामिल हो जाएंगे। यह मोलभाव एनडीए पर भी लागू होता है।’ एक बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले सहनी को बॉलीवुड में अपनी एक छाप छोड़ने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।

सहनी ने बॉलीवुड में इवेंट मैनेजमेंट किया और हिंदी फिल्मों के लिए सेट डिजायन किया। उनके ‘देवदास’ और ‘बजरंगी भाईजान’ फिल्मों के लिए डिजायन किए हुए सेट्स काफी लोकप्रिय हुए। आज उनकी एक कंपनी है जिसका नाम मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी को चलाने के लिए उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों को रखा है ताकि वह अपने राजनीतिक सपने को पूरा कर सकें। नीतिश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच रिश्ते कड़वे हो गए हैं ऐसे में वह एनडीए के लिए उस खाली जगह को भरने का विकल्प बन सकते हैं।

बिहार की लगभग 14 प्रतिशत जनसंख्या निषादों की है। वहीं कुशवाहा बमुश्किल 6.4 प्रतिशत है। सहनी चुनाव के दौरान जाति का मूल्य जानते हैं और सालों से वह निर्विवाद तौर से निषाद के नेता बने रहने में सफल रहे हैं। दबाव बनाने के लिए वह निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो वह और उनकी पार्टी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारे 14 प्रतिशत वोट सरकार बना सकते हैं और तोड़ सकते हैं। उत्तरी बिहार में हमारी अच्छी खासी मौजूदगी है। हम 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का भाग्य बदल सकते हैं।’

सहनी का कहना है कि जो भी हमें अच्छी डील देगा हम उसे समर्थन देंगे। उनका निषाद समुदाय व्यापक तौर पर मल्लाह और नोनिया में बंटा हुआ है। दोनों आगे 23 उपजातियों में बंट जाते हैं जो कि बिंड, बेलदार, चाईये, तियार, खुलवत, सुराहिया, गोढी, वनपार और केवट हैं। यह समुदाय राज्य की बहुत सी विधानसभा सीटों में अहम भूमिका निभाता है। कई जिलों में इनकी जनसंख्या 8-17 प्रतिशत है। निषाद बहुल जिले मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मोतिहारी, बेगूसराय, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, वैशाली और मुंगेर हैं। 

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