उत्तर प्रदेश

पर्दे के पीछे से लंबे वक्त तक किया काम, अब राजनीति में हुई प्रियंका की फॉर्मल एंट्री

प्रियंका गांधी का अमेठी-रायबरेली से पुराना नाता है। उनका तेवर और कार्यशैली यहां की कांग्रेस की ताकत रही है। लोकसभा का चुनाव में वह अपने खास लहजे से मतदाताओं के बीच पैठ बनाती रहीं। 20 साल पहले उनके एक भाषण ने जता दिया था कि प्रियंका रायबरेली के लाेगों को अपने घर परिवार जैसा मानती हैं। तभी उन्होंने कै. सतीश शर्मा के चुनावी सभा में सवाल किया था कि जिसने आपके राजीव गांधी की पीठ में छूरा घोपा, उसको रायबरेली में घुसने क्यों दिया।

रायबरेली की संगठन प्रभारी भी
प्रियंका गांधी कांग्रेस की मुख्य धारा में अबतक भले नहीं रहीं लेकिन रायबरेली का चप्पा-चप्पा उनको जानता-पहचानता है। यहां के संगठन प्रभारी का दायित्व भी उन्हीं के पास है। अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव के दौरान वह यहां डेरा डाल देती रहीं हैं। पगडंडियों के सहारे गांव-गलियों के वोटरों से मिलना हो या सभाओं में भाषण देने का काम भी प्रियंका ने बखूबी निभाया। उनके पार्टी में अचानक दायित्व पाने से उन लोगों के हौसले बुलंद हो गए जो अब तक यह नारा लगाते थे कांग्रेस का डंका बेटी प्रियंका।

पहली बार आईं और छा गई
1999 में कै. सतीश शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी बनकर आए और उनके सामने भाजपा की ओर से अरुण नेहरू थे। इस चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने पांच जनसभाओं को संबोधित किया। रायबरेली सदर की सभा में प्रियंका का सख्त लहजा और कार्यकर्ताओं के बीच उनका अपनापन दिखा। वह पहली बार में चुनावी सभाओं में छा गईं। उनके बोले गए शब्द सुर्खियां बने और नतीजा चुनाव परिणाम का जब आया तो अरुण नेहरू तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे।

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