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दिल्ली: 28 दिनों में स्वाइन फ्लू के 440 मामले, 10 की मौत

राजधानी दिल्ली में स्वाइन फ्लू तेजी से फैल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक 1 से 28 जनवरी के बीच राजधानी में 440 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। केंद्र सरकार के दो अस्पतालों में इसकी वजह से पिछले 28 दिनों में 10 की मौत हो चुकी है। वैसे दिल्ली की स्वास्थ्य महानिदेशक का कहना है कि ये मरीज दिल्ली के निवासी नहीं हैं।

बता दें कि हाल में जारी केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल स्वाइन फ्लू के 205 मरीज राजधानी में सामने आए थे। इस वर्ष 28 दिनों में ही यह संख्या दोगुनी हो गई। इस साल 28 जनवरी तक राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सात और सफदरजंग अस्पताल में तीन लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है।

बाहर के लोग भी शामिल
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी के प्रमुख डॉक्टर नूतन मेहता का कहना है 1 जनवरी से अभी तक सात लोगों की मौत उनके अस्पताल में स्वाइन फ्लू की वजह से हुई है। इस दौरान 57 लोग स्वाइन फ्लू के संदिग्ध पाए गए हैं और 18 मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। सफदरजंग अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रमुख डॉक्टर जुगल किशोर के मुताबिक, उनके अस्पताल में स्वाइन फ्लू से जनवरी में तीन की मौत हुई है और स्वाइन फ्लू से पीड़ित 17 लोग अभी अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं, एम्स में भी स्वाइन फ्लू के 30 से अधिक मरीज पहुंचे हैं। स्वाइन फ्लू से लोगों की मौत के सवाल पर दिल्ली की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर नूतन मुंदेजा का कहना है कि दिल्ली के किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। संभव है कि बाहर के राज्यों से आए लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई हो।

इनको जरूरी वैक्सीन 
एम्स के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नवल विक्रम का कहना है कि जिन लोगों को इंफ्लूएंजा से अधिक खतरा है वे बचाव के लिए वैक्सीन इस्तेमाल कर सकते हैं। 65 साल या उससे ऊपर के सभी लोग, मधुमेह, अस्थमा से पीड़ित, गर्भवती,बच्चे इत्यादि को वैक्सीन देना चाहिए। इन्फ्लुएंजा के वैक्सीन से न सिर्फ दिल के मरीजों में मौत का खतरा कम हो जाता है। अधिक जोखिम वाले लोगों को इंफ्लूएंजा के चारों प्रकार के फ्लू(एच1एन1 (स्वाइन फ्लू), एच1एन2, एच3एन2, एच3एन1 ) से बचाव करें।

वायरस कर रहा बदलवा
सफदरजंग अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर जुगल किशोर के मुताबिक स्वाइन फ्लू का वायरस खुद में बदलाव (म्यूटेशन) कर लेता है। वायरस में म्यूटेशन आमतौर पर उन्हें दवा प्रतिरोधी बनाकर और खतरनाक बना देते हैं। उन्होंने कहा कि पहले हर तीन साल बाद स्वाइन फ्लू के मामले अचानक बढ़ जाते थे लेकिन वायरस ने इस तरह बदलाव किया है कि अब यह हर दूसरे साल बाद खतरनाक होकर उभरता है।

एम्स के पल्मनरी मेडिसन डॉ. करन मदान ने बताया कि जो लोग लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है या फिर अस्पतालों में काम करने वाले लोगों को स्वाइन फ्लू की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। संक्रमित लोगों से दूर रहें। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल बेहतर बचाव कर सकता है।

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