बिहार: राहुल गांधी की रैली के सहारे कई निशाने साधना चाहती है कांग्रेस
पटना के गांधी मैदान में तीन फरवरी को होने वाली कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली पर विरोधियों के साथ सहयोगियों की भी निगाहें हैं। रैली की सफलता पार्टी के लिए कई मोर्चों पर मददगार होगी। इससे न सिर्फ बिहार में उसका खोया जनाधार लौटेगा बल्कि यूपी सहित हिंदी पट्टी में इसका संदेश जाएगा। लोकसभा चुनाव में सहयोगियों संग सीटों की सौदेबाजी में भी उसकी ताकत बढ़ेगी। वहीं रैली की असफलता पार्टी के अरमानों पर पानी भी फेर सकती है।
सीटों के लिहाज से यूपी भले ही आगे हो पर राष्ट्रीय राजनीति में बिहार का खास दखल रहा है। यही कारण है कि हिंदी पट्टी में चुनावी शंखनाद को राहुल गांधी ने पाटलिपुत्र की धरती को चुना। तीन दशक बाद राज्य में कांग्रेस फिर करवट लेती दिख रही है। तीन राज्यों की जीत ने हौसला दिया तो पार्टी ने गांधी मैदान में रैली करने की हिम्मत दिखाई है। तीन फरवरी को होने वाली कांग्रेस की जनआकांक्षा रैली असल में पार्टी का शक्ति प्रदर्शन है।
सहयोगियों की भी टिकी निगाहें
पार्टी ने 1989 के बाद अकेले दम पर इस रैली का ऐलान करके विरोधियों के साथ ही सहयोगियों को भी यह जताने का प्रयास किया है कि उसे हल्के में न आंका जाए। कांग्रेस ने इसीलिए सहयोगी दलों के सिर्फ बिहार के नेताओं को ही न्योता दिया है। किसी से भीड़ लाने की अपेक्षा नहीं की गई है। इस शक्ति प्रदर्शन पर एनडीए की निगाहें जमीं है। महागठबंधन के दलों की नजरें भी टिकी हैं। असल में कांग्रेस का यदि जनाधार लौटा तो उसका सीधा असर विरोधियों के साथ ही सहयोगी दलों पर भी पड़ेगा।
सीट सौदेबाजी को बढ़ेगी ताकत
महागठबंधन में अभी सीटों का बंटवारा होना बाकी है। यह रैली के ठीक बाद होगा। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि रैली की सफलता महागठबंधन में उसकी ताकत बढ़ाएगी। पार्टी की मांग बिहार में 15 सीटों की है मगर सूत्रों का कहना है कि दर्जनभर सीटों तक बात बन सकती है। बीते कुछ समय में कांग्रेस में तमाम नए लोग शामिल हुए हैं तो कइयों ने घर वापसी की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर, पूर्व विधायक रघुनंदन मांझी सहित कई और नाम हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा कहते हैं कि पुराने कांग्रेसियों को फिर जोड़ने के लिए पार्टी ने ‘आ घर लौट चलें’ का नारा बुलंद किया है।
उधर, पार्टी ने रैली की सफलता को ताकत झोंक दी है। भीड़ जुटाने को किसी से भी परहेज नहीं किया जा रहा। मोकामा विधायक अनंत सिंह सहित तमाम ऐसे लोगों की मदद ली जा रही है, जो अभी पार्टी में नहीं हैं।