मध्य प्रदेश

इंदौर की निजी लैब में भी होगी स्वाइन फ्लू की जांच

स्वाइन फ्लू से प्रदेश में सबसे अधिक मरीज व अधिक मौत इंदौर में होनेपर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने बड़ा कदम उठाया। उन्होंने कहा कि शहर के निजी लैब में स्वाइन फ्लू के नमूनों जांच के लिए भेजने की अनुमति दे दी। इससे चार से पांच घंटे के भीतर ही मरीज की रिपोर्ट मिल जाएगी। निजी लैब में होने वाली जांच का खर्च भी सरकार वहन करेगी।

शनिवार को रेसीडेंसी में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में नमूने भेजने के बाद रिपोर्ट देरी से मिलने पर स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जब शहर में सुविधा मौजूद है तो हम क्यों इंतजार कर रहे हैं? नमूनों को भेजकर प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ले ली जाए ताकि मरीज को तुरंत इलाज मिल सके।

स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए चिन्हित 19 अस्पतालों में से चार अस्पतालों द्वारा इलाज में सहयोग नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिए। उन्होंने अधिकारियों को किसी भी तरह से लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने बताया कि एमजीएम कॉलेज में बनने वाली वायरोलॉजी लैब का काम अगले एक माह में प्रारंभ हो जाएगा।

शाम चार बजे स्वास्थ्य मंत्री ने संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी, स्वास्थ्य विभाग व एमजीएम कॉलेज के अधिकारियों के साथ बैठक ली। उन्होंने पॉजिटिव मरीजों की संख्या के साथ ही मौत के आंकड़ों को भी देखा। शहर में एक जनवरी से अभी तक 12 मौत होने व चार अन्य जिलों से पहुंचे मरीजों की मौत होने पर चिंता जताई। डॉक्टरों से व्यवस्था के बारे में भी जानकारी ली।

सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया ने स्वास्थ्य मंत्री को बताया जिले में 19 अस्पताल स्वाइन फ्लू के लिए चिन्हित किए गए हैं। इनमें से चार अस्पतालों ने स्वाइन फ्लू के इलाज की व्यवस्था नहीं होने से इलाज से मना कर दिया। इन अस्पतालों में लाइफ केयर, तर्पण अस्पताल, सिनर्जी अस्पताल व ग्लोबल असेंबली शामिल है। सीएमएचओ ने बताया कि स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड, वेंटिलेटर व प्रशिक्षित डॉक्टर व स्टाफ की व्यवस्था करना होती है। इन चारों अस्पतालों ने अलग से आइसोलेशन वार्ड व वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री ने इन अस्पतालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। लगभग एक घंटे चली बैठक में जागरूकता सहित स्वाइन फ्लू की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान करने के लिए कदम उठाने चर्चा की गई। स्वास्थ्य विभाग सेंट्रल लैब या चोइथराम अस्पताल में बनी लैब में नमूने भेजने पर विचार कर रहा है।

बस्तियों में कराई जाएगी जांच

स्वास्थ्य मंत्री ने शहर की बस्तियों में बीमार व्यक्तियों की जांच व लक्षण के आधार पर पहचान करने के निर्देश दिए। वहीं जिन स्थानों से अधिक मरीज मिले हैं उनकी पहचान करने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने रोकथाम के लिए किए चलाए जा रहे अभियान को तेज करने सहित बजट की कमी को दूर करने भी निर्देशित किया। मरीज के नमूने सी केटेगरी में भेजे जाने की जानकारी के बाद उन्होंने इससे पहले ही नमूने भेजे जाने के निर्देश भी दिए।

नई व्यवस्था से यह होगा लाभ

-स्वाइन फ्लू नमूनों जांच के लिए फिलहाल भोपाल भेजे जाते हैं। वहां से रिपोर्ट आने में दो दिन का समय लगता है तब तक गंभीर बीमार मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। इंदौर में यह सुविधा मिल जाने से रिपोर्ट चार से पांच घंटे में ही मिल जाएगी।

-भोपाल लैब में होने वाली जांच में सिर्फ यही पता लगता है कि स्वाइन फ्लू है या नहीं जबकि स्वाइन फ्लू का वायरस हर दो साल में परिवर्तित होता है। भोपाल से मिलने वाली रिपोर्ट में 70 से 80 प्रतिशत नमूने निगेटिव आते हैं। उसके बाद डॉक्टर बीमार व्यक्ति का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट लक्षणों के आधार पर तय करते हैं या फिर अन्य जांच करवाते हैं। इसमें समय लग जाता है। अब स्थानीय लैब में जांच से यह भी पता लगाया जा सकेगा कि यदि उसे स्वाइन फ्लू नहीं है तो किस वायरस की वजह से वह बीमार है। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों को उसके इलाज में आसानी होगी। इसके साथ ही शरीर में वायरस का संक्रमण कितना है, इसकी जानकारी भी हासिल हो सकेगी।

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