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तो इस वजह से पीएम मोदी ने लिए शपथग्रहण के 24 घंटे के भीतर बड़े फैसले

नई दिल्ली। शपथग्रहण के 24 घंटे के भीतर तीन बड़े फैसले लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि चुनाव के दौरान न सिर्फ उन्हें जीत का पूरा भरोसा था, बल्कि अगली सरकार के क्रियाकलापों की दिशा भी स्पष्ट थी। यही कारण है कि नौकरशाहों को नई सरकार के गठन का इंतजार किये बिना काम करने का स्पष्ट निर्देश दे दिया गया था। जहां एक ओर सभी नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, वहीं केंद्र सरकार की पूरी ब्यूरोक्रैसी अपने-अपने विभागों के लिए 100 दिन के काम का एजेंडा तैयार करने में जुटी थी।

किसानों को छह हजार रुपये सालाना की मदद में दो एकड़ की सीमा रेखा को समाप्त कर इसे सभी 14.5 करोड़ किसानों को देने के साथ ही छोटे किसानों व छोटे दुकानदारों को पेंशन का वायदा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किया था। लेकिन जीत के बाद इतनी जल्दी चुनावी वायदों पर अमल पहली बार होते देखा गया। इसके साथ ही कैबिनेट ने देश में लगभग 51 करोड़ पशुओं के टीकाकरण की योजना को भी मंजूरी दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने नेशनल डिफेंस फंड से प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप स्कीम के तहत सेवानिवृत व शहीद सैनिकों के बच्चों को मिलने की वाली राशि को बढ़ाने और उसमें नक्सली व आतंकी हमले में मारे गए राज्य पुलिस के जवानों के बच्चों को भी शामिल करने का फैसला किया।

जाहिर है कि इतने बड़े फैसले एक दिन में नहीं हो सकते। इसकी लंबे समय से तैयारी करनी पड़ती है। इन योजनाओं से संबंधित मंत्रालयों ने कम-से-कम 15-20 दिन पहले से ही इनपर काम करना शुरू कर दिया होगा। योजना को लागू करने की विस्तृत रूपरेखा, उससे होने वाले लाभांवितो की संख्या, उस पर होने वाले खर्च और उसके लिए धन की व्यवस्था के साथ कैबिनेट नोट चुनाव खत्म होने के पहले ही तैयार कर लिया होगा और उसपर मुहर के लिए केवल नए मंत्रिमंडल के शपथग्रहण का इंतजार किया जा रहा था। सबसे बड़ी बात यह है कि कैबिनेट की बैठक के पांच घंटे पहले तक मंत्रियों को अपने मंत्रालयों की जानकारी तक नहीं थी।

आदर्श चुनाव आदर्श संहिता लागू होने की वजह से पिछले तीन महीने से सरकार भले ही कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि देश में पहली बार चुनाव के दौरान भी सरकार काम रही थी और उन्हें सामने लाने के लिए केवल चुनाव खत्म होने का इंतजार किया जा रहा था।

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